The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • Gujarat Elections 2017: 6 time winner BJP MLA contesting from dwarka tha land of Sri Krishna

द्वारका में कृष्ण भगवान के बाद इन साहब का ही जलवा है

गुजरात की द्वारका सीट का हाल.

Advertisement
Img The Lallantop
द्वारका की पेंटिंग. इमेज: holy dham.
pic
अविनाश
6 दिसंबर 2017 (Updated: 8 दिसंबर 2017, 10:53 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

शुरुआत पौराणिक किस्से से

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक वक्त चार भागों में बंटा हुआ है. सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग. फिलहाल कलयुग चल रहा है. इससे पहले द्वापर चल रहा था. इस युग में एक भगवान हुए थे. नाम था कृष्ण. इनके बारे में असंख्य कहानियां हैं. सबसे बड़ी कहानी महाभारत से जुड़ी है. महाभारत की लड़ाई के दौरान जब अर्जुन ने अपने सगे-संबंधियों पर हमला करने से मना कर दिया था तो कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए. ये उपदेश भगवद्गीता के नाम से जाने जाते हैं, जो हिंदुओं की सबसे पवित्र पुस्तकों में से एक है. उपदेश सुनने के बाद अर्जुन लड़ाई के लिए तैयार हो गए. लड़ाई में कौरव मारे गए और पांडवों को जीत हासिल हुई.
इस कहानी से पहले की एक कहानी ये है कि कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था. उस वक्त मथुरा का राजा कंस था, जिसने अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को जेल में बंद कर दिया था. कंस को डर था कि देवकी से पैदा हुआ बेटा उसकी हत्या कर देगा. देवकी ने जेल में ही कृष्ण को जन्म दिया. आधी रात में वासुदेव कृष्ण को लेकर वृंदावन चले गए और वहां उन्होंने कृष्ण को नंद और उनकी पत्नी यशोदा के हवाले कर दिया.
कृष्ण की बसाई द्वारका. इमेज: India Divine.
कृष्ण की बसाई द्वारका. इमेज: India Divine.

कृष्ण बड़े हुए तो उन्होंने कंस को मार डाला और फिर अपने कुछ लोगों को लेकर चले आए भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर. शहर बसाने के लिए उन्होंने समुद्र से जगह देने की गुजारिश की. समुद्र ने उनके लिए 12 योजन (96 वर्ग किमी) की जमीन छोड़ दी. कृष्ण ने वहां पर अपना शहर बसाया. नाम रखा द्वारका. ऐसी मान्यता है कि उनकी बसाई द्वारका तो अब समुद्र में है, लेकिन भारत के पश्चिमी छोर पर आज भी एक शहर है, जिसे द्वारका कहते हैं. फिलहाल की ये द्वारका गुजरात राज्य का एक जिला है, जिसे जिले का दर्जा 2013 में हासिल हुआ. उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जिले का दर्जा दिया था.

स्वर्ग का द्वार द्वारका

द्वारका को स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है. इसे मोक्षपुरी, द्वारकामति और द्वारकावती के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि द्वारका ही गुजरात की पहली राजधानी थी. एक मान्यता ये भी है कि द्वारका को आर्यों ने बसाया था और इसे सौराष्ट्र की राजधानी बनाया था. द्वारका को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं.
द्वारका बाहर से आनेवाले टूरिस्टस को खूब आकर्षित करती है.
द्वारका बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स को खूब आकर्षित करती है.

कई बार तोड़ा गया मंदिर

200 ईसवी में महाक्षत्रिय रुद्रदमा ने द्वारका के राजा वासुदेव II को हरा दिया था. रुद्रदमा की मौत के बाद उनकी पत्नी धीरादेवी ने रुद्रदमा के भाई पुलुमावी को राज करने के लिए बुलाया. बाद में जब वज्रनाभ ने जब द्वारका पर शासन किया, तो उसने कृष्ण के प्रतीक के तौर पर छतरी का निर्माण करवाया. इसे नाम दिया गया द्वारकाधीश मंदिर. 885 में श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य पीठ के पीठाधीश्वर नरसिम्हा शर्मा ने इस छतरी वाले मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. 1241 में जब मोहम्मद शाह ने हमला किया तो उसने मंदिर तोड़ दिया. इस लड़ाई के दौरान मंदिर को बचाने में पांच ब्राह्मण शहीद हो गए थे. उनके सम्मान में मंदिर के पास ही पंच पीर नाम का मंदिर बनाया गया.
1473 में जब गुजरात के सुल्तान महमूद बेगाड़ा ने गुजरात पर हमला किया तो उसने एक बार फिर से मंदिर को पूरी तरह तोड़ दिया. 1551 के आस-पास इस मंदिर को वल्लभाचार्य ने फिर से बनवाया. 1857 में जब भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ तो उस वक्त द्वारिका बड़ौदा के गायकवाड़ साम्राज्य के तहत थी. अंग्रेजों के हमले में एक बार फिर इस मंदिर के साथ तोड़फोड़ हुई और इसे लूटा गया. 1861 में एक बार फिर इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ. इस बार अंग्रेजों और महाराजा खांडेराव ने मिलकर मंदिर की मरम्मत करवाई. आजादी के बाद 1958 में द्वारका के शंकराचार्य ने मंदिर की मरम्मत करवाई. 1960 से इस मंदिर का जिम्मा भारत सरकार के पास है.
द्वारका में दो विधानसभा सीटें हैं, खंभालिया और द्वारका.

1. खंभालिया

2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पूनमबेन मादाम ने कांग्रेस की ईभा अहीर को 38,000 से ज्यादा वोटों से हराया था. इसके बाद जब 2014 में लोकसभा चुनाव हुए तो पूनमबेन मादाम को बीजेपी ने लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया. पूनमबेन मादाम सांसद बन गईं. इसके बाद खंभालिया में उपचुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के मेरामन मरखीभाई अहीर ने ये सीट बीजेपी के मुल्लुभाई हरदास भाई बेरा अय्यर से मामूली अंतर से छीन ली. इस सीट पर बीजेपी 1995 से ही चुनाव जीतती आ रही थी. 2007 के चुनाव में भी यहां से बीजेपी ही जीती थी और उस वक्त इस सीट से मेघजी कंजारिया चुनाव जीते थे. इस बार बीजेपी ने कालूभाई चावड़ा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस की ओर से विक्रम मादाम को उम्मीदवार बनाया गया है.
विक्रम मादाम, जो कोबरा पोस्ट के एक स्टिंग ऑपरेशन में भी फंसे थे.
विक्रम मादाम, जो कोबरा पोस्ट के एक स्टिंग ऑपरेशन में भी फंसे थे.

2. द्वारका

2012 में बीजेपी के पबुभा विरंभा मानेक ने कांग्रेस के मुलुभाई कंडोलिया अहीर को पांच हजार से अधिक वोटों से हरा दिया था. बीजेपी ने 2007 में भी इस सीट से जीत हासिल की थी और उस वक्त भी पबुभा विरंभा मानेक ही चुनाव जीते थे. दरअसल पबुभा विरंभा मानेक 1990 से ही इस सीट से जीतते आ रहे हैं. लगातार छह बार चुनाव जीत चुके पबुभा सातवीं बार विधायक बनने के लिए बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस से खंभालिया सीट के विधायक मेरामन गारिया को द्वारका से उम्मीदवार बनाया है.
पबुभा मानेक, सातवीं बार मैदान में.
पबुभा मानेक, सातवीं बार मैदान में.

द्वारका सिटी भारत सरकार की योजना हृदय (Heritage City Development and Augmentation Yojana) के तहत आती है, जिसे 21 जनवरी 2015 को लॉन्च किया गया था. इस योजना का उद्देश्य भारत की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजना है. द्वारका में पुरातात्विक विभाग भी खुदाई कर रहा है. ऐसा माना जाता है कि कृष्ण की बसाई नगरी समुद्र में दफ्न है, जो कृष्ण की मौत के बाद ही समुद्र में चली गई थी. उस शहर को खोजने के लिए पुरातात्विक विभाग समुद्र में तलाशी अभियान चला रहा है. देश में हिंदू धर्म के चार पीठ हैं, जिनकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. इनमें एक शारदा पीठ द्वारिका में ही स्थापित है. इस जिले में द्वारिकाधीश मंदिर के अलावा भी रुक्मिणी देवी का मंदिर, गोमती घाट, बेट द्वारका और कई मंदिर हैं. जिले की अर्थव्यवस्था धार्मिक टूरिजम पर निर्भर करती है. यहां पर बाजरे की खेती होती है. इसके अलावा यहां से घी और नमक का निर्यात किया जाता है. यहां का सबसे बड़ा त्योहार जन्माष्टमी है.


गुजरात चुनाव की लल्लनटॉप कवरेज यहां पढ़िए:
मोदी के पास फरियाद लेकर आई थी शहीद की बहन, रैली से घसीटकर निकाला गया

कहानी गुजरात के उस कांग्रेसी नेता की, जो निर्विरोध विधायक बना

वो 12 बातें, जो बताती हैं कि गुजराती जनता कैसे नेताओं को अपना विधायक चुनेगी

चुनाव आयोग को खुला खत : रैलियों में शामिल इस ‘गैरकानूनी’ भीड़ पर ऐक्शन कब होगा?

वीडियो: गुजरात का वो मुख्यमंत्री जो नेहरू और मोरारजी के झगड़े में पिस गया

Advertisement