'राणा प्रताप सिर काट काट, करता था सफल जवानी को'
महाराणा प्रताप जयंती पर पढ़िए उनपर लिखी श्यामनारायण पांडेय की कविताएं.
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फोटो - thelallantop
चेतक की वीरता
- रण बीच चौकड़ी भर-भर करचेतक बन गया निराला थाराणाप्रताप के घोड़े सेपड़ गया हवा का पाला थाजो तनिक हवा से बाग हिलीलेकर सवार उड़ जाता थाराणा की पुतली फिरी नहींतब तक चेतक मुड़ जाता थागिरता न कभी चेतक तन परराणाप्रताप का कोड़ा थावह दौड़ रहा अरिमस्तक परवह आसमान का घोड़ा थाथा यहीं रहा अब यहाँ नहींवह वहीं रहा था यहाँ नहींथी जगह न कोई जहाँ नहींकिस अरिमस्तक पर कहाँ नहींनिर्भीक गया वह ढालों मेंसरपट दौडा करबालों मेंफँस गया शत्रु की चालों मेंबढ़ते नद-सा वह लहर गयाफिर गया गया फिर ठहर गयाविकराल वज्रमय बादल-साअरि की सेना पर घहर गयाभाला गिर गया गिरा निसंगहय टापों से खन गया अंगबैरी समाज रह गया दंगघोड़े का ऐसा देख रंग ***