The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • ek kavita roz: poems on maharana pratap's birth anniversary by shayamnarayan pandey

'राणा प्रताप सिर काट काट, करता था सफल जवानी को'

महाराणा प्रताप जयंती पर पढ़िए उनपर लिखी श्यामनारायण पांडेय की कविताएं.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
प्रतीक्षा पीपी
9 मई 2016 (Updated: 9 मई 2016, 09:33 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
महाराणा प्रताप जयंती पर पढ़िए उनपर लिखी श्यामनारायण पांडेय की कविताएं. 

चेतक की वीरता 

- रण बीच चौकड़ी भर-भर करचेतक बन गया निराला थाराणाप्रताप के घोड़े सेपड़ गया हवा का पाला थाजो तनिक हवा से बाग हिलीलेकर सवार उड़ जाता थाराणा की पुतली फिरी नहींतब तक चेतक मुड़ जाता थागिरता न कभी चेतक तन परराणाप्रताप का कोड़ा थावह दौड़ रहा अरिमस्तक परवह आसमान का घोड़ा थाथा यहीं रहा अब यहाँ नहींवह वहीं रहा था यहाँ नहींथी जगह न कोई जहाँ नहींकिस अरिमस्तक पर कहाँ नहींनिर्भीक गया वह ढालों मेंसरपट दौडा करबालों मेंफँस गया शत्रु की चालों मेंबढ़ते नद-सा वह लहर गयाफिर गया गया फिर ठहर गयाविकराल वज्रमय बादल-साअरि की सेना पर घहर गयाभाला गिर गया गिरा निसंगहय टापों से खन गया अंगबैरी समाज रह गया दंगघोड़े का ऐसा देख रंग *** maharana pratap

राणा प्रताप की तलवार

- चढ़ चेतक पर तलवार उठा,रखता था भूतल पानी को।राणा प्रताप सिर काट काट,करता था सफल जवानी को॥कलकल बहती थी रणगंगा,अरिदल को डूब नहाने को।तलवार वीर की नाव बनी,चटपट उस पार लगाने को॥वैरी दल को ललकार गिरी,वह नागिन सी फुफकार गिरी।था शोर मौत से बचो बचो,तलवार गिरी तलवार गिरी॥पैदल, हयदल, गजदल में,छप छप करती वह निकल गई।क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर,देखो चम-चम वह निकल गई॥क्षण इधर गई क्षण उधर गई,क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई।था प्रलय चमकती जिधर गई,क्षण शोर हो गया किधर गई॥लहराती थी सिर काट काट,बलखाती थी भू पाट पाट।बिखराती अवयव बाट बाट,तनती थी लोहू चाट चाट॥क्षण भीषण हलचल मचा मचा,राणा कर की तलवार बढ़ी।था शोर रक्त पीने को यह,रण-चंडी जीभ पसार बढ़ी॥

Advertisement