'अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए'
कल (19/07/2018) मशहूर कवि, गीतकार गोपालदास 'नीरज' का देहांत हो गया. उन्हें याद कर रहे हैं इस ग़ज़ल के साथ.
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फोटो - thelallantop
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए जिसकी ख़ुशबू से महक जाए पड़ोसी का भी घरफूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए आग बहती है यहां गंगा में झेलम में भी कोई बतलाए कहां जाके नहाया जाए प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिएहर अंधेरे को उजाले में बुलाया जाए मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा मैं रहूं भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए
कुछ और कविताएं यहां पढ़िए:
‘ठोकर दे कह युग – चलता चल, युग के सर चढ़ तू चलता चल’
‘जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख'
'नीरज' के एक गीत 'कारवां गुज़र गया' का वीडियो यहां देखें-