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'अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए'

कल (19/07/2018) मशहूर कवि, गीतकार गोपालदास 'नीरज' का देहांत हो गया. उन्हें याद कर रहे हैं इस ग़ज़ल के साथ.

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20 जुलाई 2018 (Updated: 20 जुलाई 2018, 06:05 AM IST) कॉमेंट्स
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मशहूर गीतकार गोपालदास 'नीरज' हमारे बीच नहीं रहे. कल (19/07/2018) उनका देहांत हो गया. नीरज जी के ढेरों काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें 'दर्द दिया', 'प्राण गीत', 'आसावरी', 'बादर बरस गयो', 'दो गीत', 'नदी किनारे', 'नीरज की गीतिकाएं', 'संघर्ष', 'विभावरी', 'नीरज की पाती', एवं 'लहर पुकारे' प्रमुख हैं. उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे. ‘दिल आज शायर है, ‘फूलों के रंग से’. 'लिखे जो खत तुझे’ और ‘ए भाई जरा देख के चलो’ जैसे गीत काफी सराहे गए. एक कविता रोज़ में आज पढ़िए उनकी ये ग़ज़ल-
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए जिसकी ख़ुशबू से महक जाए पड़ोसी का भी घरफूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए आग बहती है यहां गंगा में झेलम में भी कोई बतलाए कहां जाके नहाया जाए प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिएहर अंधेरे को उजाले में बुलाया जाए मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा मैं रहूं भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए
कुछ और कविताएं यहां पढ़िए:

'बस इतना ही प्यार किया हमने'

‘ठोकर दे कह युग – चलता चल, युग के सर चढ़ तू चलता चल’

मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!'

जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख'


'नीरज' के एक गीत 'कारवां गुज़र गया' का वीडियो यहां देखें-

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