मुंह में छाले, शरीर पर लाल चकत्ते हैं इस जानलेवा बीमारी के लक्षण
बाल झड़ रहे हैं तो हो जाइए सावधान!
Advertisement

अगर ल्यूपस बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाए तो किडनी पर सबसे ज्यादा बुरा असर होता है
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)साक्षी 25 साल की हैं. जयपुर की रहने वाली हैं. उनका हमें मेल आया. साक्षी ने बताया कि जब वो 23 साल की थीं तो उनमें कुछ लक्षण दिखने शुरू हुए. उनको बहुत ज़्यादा थकान रहती थी. रह-रहकर बुखार आता था. जोड़ों में सूजन और दर्द रहता था. साथ ही चेहरे पर रह-रहकर लाल रंग के रैशेज हो जाते थे. यानी चक्कते. ये चक्कते उन्हें दोनों गालों और नाक पर होते थे. कुछ समय रहने के बाद ये अपने आप ठीक हो जाते थे.
साक्षी के घरवालों ने उन्हें डॉक्टर को दिखाया. कुछ टेस्ट हुए. तब पता चला उन्हें एक रेयर बीमारी है, जिसका नाम है ल्यूपस. ये एक ऑटोइम्यून बीमारी है. यानी इसमें शरीर की इम्युनिटी अपने ही अंगों पर हमला बोल देती है. दो साल बाद भी साक्षी का इलाज चल रहा है और ज़िंदगी भर चलेगा. कोविड से साक्षी को काफ़ी ख़तरा है. क्योंकि उनकी इम्युनिटी पहले से बहुत कमज़ोर है.
साक्षी चाहती हैं कि हम इस बीमारी से लोगों को अवगत कराएं. ल्यूपस बीमारी क्या होती है, क्यों होती है, क्या इसका कोई इलाज है, डॉक्टर्स से इसकी जानकारी लें.
आप में से बहुत लोगों ने सेलेना गोमेज़ का नाम सुना होगा. मशहूर अमेरिकन सिंगर और एक्ट्रेस हैं. उन्हें भी ल्यूपस बीमारी हुई थी. काफ़ी समय उनका इलाज चला. इस बीमारी के चलते उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ा था.
NCBI यानी नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के मुताबिक, हिंदुस्तान में ल्यूपस कम लोगों में पाया जाता है. हर एक लाख में ये 14 से 60 लोगों में पाया जाता है. हालांकि इसका शिकार फ़ीमेल्स ज़्यादा होती हैं. तो सबसे पहले ये जान लेते हैं ल्यूपस क्या है और इस बीमारी के होने के पीछे क्या कारण हैं. ल्यूपस बीमारी क्या होती है? इसके बारे में हमें बताया डॉक्टर नवल ने.

- ल्यूपस गठिया से ही जुड़ी एक बीमारी है.
- इसके बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि अगर इसका ठीक समय पर इलाज न किया गया तो यह जानलेवा भी हो सकती है.
- यह शरीर के किसी भी अंग को इफेक्ट कर सकती है.
- ल्यूपस एक प्रकार का गठिया ही होता है.
- जैसे आपने रुमेटाइड आर्थराइटिस के बारे में सुना होगा, जिसमें जोड़ों में सूजन आ जाती है.
- इसमें जोड़ों में सूजन तो नहीं, लेकिन दर्द बहुत ज्यादा होता है. लक्षण - ल्यूपस के लक्षण काफी अस्पष्ट होते हैं.
- जो लक्षण फ्लू में हो सकते हैं वही लक्षण आपको इसमें दिखते हैं.
- जिस वजह से लोग कई कई महीनों तक पहचान ही नहीं पाते कि उनको ल्यूपस हुआ है.
- मरीज 6 महीने के बाद में आइडेंटिफाई कर पाते हैं.
- ल्यूपस की बात करें तो इसमें बुखार आता है.

- 3-4 हफ्ते तक बुखार नहीं जाता.
- कई बार लोग इसमें खुद को ट्रीट करा लेते हैं.
- कई बार टीबी, टाइफाइड की दवाइयां भी चल जाती है, क्योंकि लोग पहचान नहीं कर पाते.
- जो दूसरा लक्षण है, वह है मुंह में छाले होना.
- देखा जाता है कि लोग इसके लिए भी अपना ट्रीटमेंट करा लेते हैं, कई बार ठीक हो जाते हैं.
- महीने में दो से तीन बार आपको मुंह में छाले हो रहे हैं तो इसके लिए सीरियस हो जाना चाहिए, एक यह भी ल्यूपस का एक लक्षण है.
- बाल झड़ने की समस्या देखी जाती है.
- बाल झड़ने की समस्या बहुत ही सामान्य है.
- लेकिन अगर आप देखते हैं कि आप सुबह उठे और तकिए पर सिर्फ बाल नजर आ रहे हैं तो इसके कारण का जरूर पता लगाना चाहिए, क्योंकि यह भी ल्यूपस का एक लक्षण है.
- इसके अलावा कई लोगों को मुंह में सूखापन होना, आंखों में चुभन होना, रैशेज होना, धूप में जाने पर लाल चकत्ते पड़ जाना जैसी समस्याएं होती हैं.
- शरीर में थकावट बहुत ज्यादा रहती है, क्योंकि शरीर के अंदर कुछ ना कुछ चल रहा होता है जो हमें दिखाई नहीं पड़ रहा है. कारण - ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, सारे गठिया आटोइम्यून ही होते हैं.
- इम्यून सिस्टम आपके शरीर को बचाने के लिए होता है.

- जैसे आपने अपने घर में कोई कुत्ता पाला अपने घर की रखवाली के लिए, पर कुत्ते के साथ कुछ ऐसा हो जाए कि वह आपको ही काटने लगे.
- ऐसे ही इम्यून सिस्टम होता है जिसका काम आपको बचाना होता है.
- जैसे आपको सर्दी जुकाम होता है और वो बिना दवाई लिए ही ठीक हो जाए.
- कोविड-19 में देखा गया है कि कई लोगों को दवाई की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है.
- लेकिन जब यही इम्यून सिस्टम आपके खिलाफ़ हो जाता है.
- तो वह अच्छे सेल्स बनाने के साथ-साथ खराब पदार्थ भी बनाने लग जाता है.
- इन खराब पदार्थों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है.
- ऐसे में यह आपके ही शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है.
- इसीलिए इसे ऑटोइम्यून कहते हैं और ये बहुत सारी चीजों से ट्रिगर हो सकता है.
- कई बार किसी वायरस से, वैक्सीन की वजह से तो कई बार सर्जरी होने के बाद में यह ट्रिगर हो जाता है.
- महिलाओं में कई बार प्रेगनेंसी के बाद इसकी शुरुआत हो जाती है.
- दरअसल हमारे जींस में थोड़ी सी कमजोरी होती है जिसकी वजह से यह ट्रिगर हो जाता है.
- उम्र की बात करें तो यह किसी भी उम्र में लोगों को हो जाता है.
- लेकिन महिलाओं में ये थोड़ा ज्यादा कॉमन होता है.
- 20 से 40 साल की उम्र की जो महिलाएं होती है, उनमें यह काफी ज्यादा पाया जाता है.
- जब भी इसके सिम्टम्स लगते हैं तो इसका एक ANA टेस्ट होता है. वह टेस्ट कराने के बाद कंफर्म किया जाता है. हेल्थ रिस्क - ल्यूपस में हेल्थ रिस्क दो हिस्सों में बांटा जाता है.
- एक वो हेल्थ रिस्क जो बीमारी से जुड़ा होता है.
- दूसरा, दवाइयों के इस्तेमाल से होने वाला ख़तरा.

- बीमारी के हेल्थ रिस्क की बात करें तो अगर ल्यूपस का टाइम पर ट्रीट नहीं किया जाता तो किडनी पर सबसे ज्यादा बुरा असर होता है.
- यह असर इतना बुरा होता है कि बेहद कम उम्र में लड़कियों की किडनी इतनी डैमेज हो जाती है कि पहले डायलिसिस और फिर किडनी ट्रांसप्लांट का प्रोसेस शुरू हो जाता है.
- इस बीमारी में जो सबसे जरूरी बात है, वह है इसको टाइम पर रोकना, जितनी जल्दी इसे रोक लेते हैं उतना बेहतर.
- यह बीमारी 3 से 4 साल तक बढ़ती है.
- अगर आपने उस पीरियड में इसका पता कर ट्रीटमेंट शुरू कर दिया तो ठीक होने के चांसेज होते हैं, नहीं तो यह जानलेवा हो जाती है.
- दूसरा, जो ऑर्गन इससे सबसे ज्यादा अफेक्ट होता है वो होते हैं हार्ट के वॉल्व्स, चलने-फिरने में सांस फूलने लग जाती है.
- प्रेग्नेंट औरतों से बच्चे को भी ये बीमारी होने की संभावना रहती है, इसीलिए पहले एंटीबॉडीज टेस्ट करा लेते हैं कि कहीं बच्चे को तो नहीं है.
- अगर बीमारी पहले से है और उसके बाद वो लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है तो वह और भी ज्यादा खतरनाक होता है.
- अब बात करते हैं दवाइयों से होने वाले साइड इफेक्ट्स की.
- ल्यूपस की बीमारी में सबसे ज्यादा असरदायक स्टेरॉइड्स होते हैं और इनका असर एक सामान्य इंसान पर ही बहुत खराब पड़ता है.
- इसीलिए कोशिश रहती है कि बहुत लंबे समय तक स्टेरॉइड न चलाया जाए.
- स्टेरॉइड के अलावा और भी दवाइयां मौजूद हैं.

- देखा जाता है कि किस अंग पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, उस हिसाब से दवाई दी जाती है. बचाव - बचाव की बात करें तो स्मोकिंग एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर होता है, स्मोकिंग से दूर रहना चाहिए.
- हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करें और नॉन वेजिटेरियन लोग लाल मांस अवॉइड करें.
- औरतों को कई बार हॉर्मोन सप्लीमेंट दिए जाते हैं, उससे भी यह बीमारी ट्रिगर हो सकती है.
- एक्सरसाइज जरूर करें, हेल्दी फ़ूड खाएं.
- अगर बाहर का खाना खाते हैं तो वह काफी अच्छे से गर्म होना चाहिए.
- क्योंकि पेट के इंफेक्शन इस बीमारी को बढ़ावा देते हैं तो उनसे बचें.
- एक्सरसाइज हर दिन जरूर करें क्योंकि इससे आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है. इलाज - ल्यूपस बीमारी का इलाज हर इंसान में अलग होता है, क्योंकि ये बीमारी सभी को अलग तरह से असर करती है.
- जैसे कुछ मरीज होते हैं, उनको इतना हल्का होता है कि उनको दवाइयों की जरूरत बहुत कम होती है.
- कई मरीज तो आयुर्वेद पर भी चल रहे हैं.

- इलाज हर पेशेंट का अलग होता है, क्योंकि जिस ऑर्गन पर असर होता है उसके हिसाब से डिसाइड किया जाता है कि इसका ट्रीटमेंट कैसा होगा.
- जैसे अगर किडनी पर असर होता है तो उसकी दवाइयां अलग होंगी और अगर मुंह में छाले हैं, जोड़ों में दर्द है तो उसकी हल्की दवाइयां चलाई जाएंगी.
- इसीलिए हर पेशेंट का इलाज अलग-अलग होता है.
- मरीज के हिसाब से डिसाइड किया जाता है. कई लोगों को 4 महीने में एक बार आना पड़ता है तो कई लोगों को 6 महीने में आना पड़ता है.
- जैसे यंग लड़कियों में जो मां बनने वाली उम्र में होती है, उसमें अगर ल्यूपस होता है तो उनके साथ पूरे लक्षण डिस्कस करके.
- उनको दवाइयों का असर बताने के बाद इलाज शुरू किया जाता है.
- लक्षण, कॉम्प्लिकेशन्स, भविष्य की जरूरतों को देखने के बाद ही हर एक का इलाज किया जाता है.
डॉक्टर्स बताते हैं कि ल्यूपस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. यानी किसी दवा या सर्जरी से इसे ठीक नहीं किया जा सकता. पर हां, इसके लक्षणों को ज़रूर कंट्रोल किया जा सकता है. दवाइयों के साथ ज़रूरी है कि डाइट पर भी ख़ास ध्यान दिया जाए. अगर आपको ल्यूपस बीमारी है तो डॉक्टर की बताई गई डाइट का सख्ती से पालन करें. हालांकि एक्सपर्ट्स डाइट में लहसुन अवॉयड करने की सलाह देते हैं और कैल्शियम ज़्यादा खाने को कहते हैं. जिन लोगों को ऑटोइम्यून बीमारियां हैं, उन्हें कोविड के समय बहुत बचकर रहना चाहिए. इसलिए अपना ध्यान रखें.