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पैर में लाल रंग की दर्दनाक गांठ को हल्के में लेना हो सकता है खतरनाक

दिखने में लाल रंग की इन गांठों को सिर्फ छूने भर से ही भयानक दर्द उठता है.

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'एरीथेमा नोडोसम की गांठे पैरों के अलावा पीठ और छाती पर भी हो सकती है (सांकेतिक फोटो)
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आयूष कुमार
3 जुलाई 2023 (Updated: 3 जुलाई 2023, 05:03 PM IST) कॉमेंट्स
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कई लोगों के पैरों पर, खासकर घुटनों के नीचे अपनेआप ही गांठ बन जाती है. दिखने में लाल रंग की इन गांठों को सिर्फ छूने भर से ही भयानक दर्द उठता है. कुछ लोगों को बुखार भी आ जाता है. लेकिन ये गांठें बनती क्यों है? इसके पीछे कारण क्या है? क्या ये गांठें किसी जानलेवा बीमारी की ओर इशारा करती हैं या कहीं ये कैंसर तो नहीं? इन सभी सवालों के जवाब जानेगें डॉक्टर से. 

पैरों में दर्दनाक गांठें क्यों बन जाती हैं?
(डॉ जीनत अहमद, फिजिशियन और डायबिटीज विशेषज्ञ, प्राइमाकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नोएडा )

पैरों में लाल रंग की गांठ को 'एरीथेमा नोडोसम' (Erythema Nodosum) कहा जाता है. इन लाल रंग की गांठों में बहुत दर्द होता है. 'एरीथेमा नोडोसम' में सूजन आ जाती है. और त्वचा के नीचे मौजूद 'सबक्यूटेनियस टिशू' (subcutaneous tissue) में गांठ बन जाती है. 'एरीथेमा नोडोसम' कई कारणों से हो सकता है. जैसे टीबी, गले में होने वाला स्ट्रेप्टोकोकल इन्फेक्शन (Streptococcal infection) और दवाइयों का साइड इफेक्ट. 

इसके अलावा कुछ ऑटो इम्यून बीमारियां (जब आपकी इम्यूनिटी ही आपके शरीर पर हमला कर दें) जैसे सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis), आंतों में सूजन और क्रोहन रोग (Cronch Deseises), इनके कारण भी 'एरीथेमा नोडोसम' की समस्या हो सकती है. कई बार बहुत तरह के टेस्ट करने पर भी 'एरीथेमा नोडोसम' के कारणों का पता नहीं चल पाता. तब 'एरीथेमा नोडोसम' को Idiopathic यानी अज्ञात कारणों से होने वाली बीमारी कहा जाता है.

'एरीथेमा नोडोसम' के लक्षण क्या हैं?

टांगों के निचले हिस्से के अगली तरफ यानी 'शिन ऑफ टिबिया' (घुटनों के नीचे के हिस्से) पर लाल रंग की गांठें हो जाती है, जिनमें दर्द होता है. ये ही 'एरीथेमा नोडोसम' का पहला लक्षण होता है. 'एरीथेमा नोडोसम' में बुखार, गला खराब, वेट लॉस और थकान भी हो सकती है. पैरों के अलावा 'एरीथेमा नोडोसम' शरीर के दूसरे हिस्सों में भी हो सकता है. जैसे जांघ, हाथ, छाती और पीठ पर. आमतौर पर 'एरीथेमा नोडोसम' में एक या दो गांठ ही होती हैं, लेकिन कभी-कभी इनकी संख्या 30 से 50 के बीच भी हो सकती है. और इनका रंग बदलता रहता है.

शुरुआत में ये गांठें लाल रंग की होती हैं. लेकिन कुछ समय बाद ये बैंगनी रंग की दिखने लगती हैं और ठीक होने के बाद ये नीला निशान छोड़ जाती हैं. जैसे गुम चोट का निशान होता है. ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. लक्षणों के आधार पर आपके कुछ टेस्ट किए जाएंगे. जैसे कि ESR, CRP, गठिया आदि के टेस्ट किए जाते हैं. ताकि 'एरीथेमा नोडोसम' के कारण का पता लगाया जा सके.

क्या 'एरीथेमा नोडोसम' से कैंसर भी हो सकता है?  

'एरीथेमा नोडोसम' कभी-कभी कुछ कैंसर में दिखाई दे सकता है. जैसे कि लिंफोमा (lymphoma) और ल्यूकेमिया (Leukemia) कैंसर में. इन दोनों कैंसर्स में 'एरीथेमा नोडोसम' एक लक्षण की तरह दिखाई दे सकता है. लेकिन 'एरीथेमा नोडोसम' खुद एक कैंसर नहीं है

इलाज

'एरीथेमा नोडोसम' का कोई इलाज नहीं होता. बुखार, जोड़ों का दर्द और सूजन कम करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं. पैरासिटामोल, नैप्रोक्सेन और इबुप्रोफेन जैसी दर्द कम करने वाली दवाइयां दी जाती हैं. लेकिन 'एरीथेमा नोडोसम' में इसके प्राथमिक कारण का इलाज किया जाता है. अगर ये समस्या बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुई है तो एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती हैं. अगर इसका कारण टीबी है तो 'टीबी खत्म करने वाली थेरेपी' दी जाती है. ऑटो इम्यून बीमारियों के कारण 'एरीथेमा नोडोसम' होने पर स्टेरॉयड और सूजन कम करने वाली दवाइयां दी जाती हैं.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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