देश-दुनिया में लोगों को ‘गोरा’ बनाने का दावा करने वाली बहुत-सी फेयरनेस क्रीमबिकती हैं. लेकिन अगर रंगभेद जैसी चीजें स्कूल की किताबों के जरिए बच्चों में गलतसोच भरने लग जाएं, तो मामला संगीन हो जाता है. पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसा ही सुननेको मिल रहा है.