एक पूर्व IAS हैं. नाम है सूर्यप्रताप सिंह. उन्होंने ट्विटर पर कोरोना की टेस्टिंग को लेकर एक पोस्ट लिखी. और उन पर लखनऊ के हज़रतगंज कोतवाली में FIR दर्ज कर दी गयी.
सूर्यप्रताप सिंह ने लिखा था कि यूपी के मुख्य सचिव ने कुछ जिलों के जिलाधिकारियों को ये कहकर हड़काया :
“क्यों इतनी तेजी पकड़े हो? क्या ईनाम पाना है? जो टेस्ट-टेस्ट चिल्ला रहे हो?”
ज्ञात हो कि सूर्यप्रताप सिंह ने ये बात लिखकर यूपी के चीफ सेक्रेटरी से सवाल भी पूछा कि क्या स्थिति स्पष्ट करेंगे? यूपी का मतलब नो टेस्ट मतलब नो कोरोना.
इसी ट्वीट के रिप्लाई में ही सूर्यप्रताप सिंह ने एक और ट्वीट किया. कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने उनकी बात को नकारा नहीं है. यदि सही है, तो ये राजनेताओं को ख़ुश करने के लिए कर्तव्यों से पलायन है.
@IASassociation @upiasasso @IPS_Association @IASfraternity @IASWhispers @ChiefSecyUP ने मेरे कथन को नकारा नहीं है l
यदि सही है,तो ये राजनेताओं को ख़ुश करने के लिए कर्तव्यों से पलायन है l कृ. विचार करें— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 11, 2020
लेकिन सूर्यप्रताप सिंह यहीं नहीं रुके. 11 जून को उन्होंने ट्वीट किया कि यूपी में संक्रमण को छिपाया जा रहा है. कहा कि पब्लिसिटी स्टंट के बल पर सच्चाई पर पर्दा डाला जा रहा है.
यूपी में संक्रमण को छुपाने का खेल जारी है !!
ऊपर के दबाब में DMs कोरोना से मरने वालों की मृत्यू का कारण कुछ और बीमारी बता रहे हैं l
यूपी में केवल कागज रंगीन हो रहे हैं, खोखले दावे, पब्लिसिटी स्टंट के बल पर सच्चाई पर पर्दा डाला जा रहा है l@CMOfficeUP @UPGovt @AdminLKO https://t.co/IJk9RDNro2— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 11, 2020
इसके बाद चीफ सेक्रेटरी से कुछ और सवाल सूर्यप्रताप सिंह ने पूछे.
क्या @ChiefSecyUP बताएँगे कि
1. लॉकडाउन के बाद से प्रदेश प्रदेश के 75 जिलों से प्रति दिन कितने-2 कोरोना Tests के लिए ब्लड सैंपल प्राप्त हुए और कितनों की जाँच कराई गयी?
2. क्या सभी कोरोना संदिग्धों के Tests कराये गए?
3.कितने % प्रवासी मजदूरों के tests हुए?
यदि नहीं,तो क्यों?— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 11, 2020
और यहीं सूर्यप्रताप सिंह के खिलाफ़ FIR दर्ज करने की पृष्ठभूमि तैयार हो गयी. इस ट्वीट के कुछ देर बाद ही सूर्यप्रताप सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की ख़बर मिली है कि सरकार ने मुक़दमा कर दिया है. बात सच निकली. हज़रतगंज थाने में FIR हुई. धारायें लगीं 188 (यानी महामारी एक्ट 1897 का उल्लंघन), 505 (1)(b), 505 (2) (यानी शांति भंग करने की नीयत से भ्रामक जानकारी फैलाने), आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 56, और महामारी अधिनियम 1897 की धारा 3 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया. FIR में लिखा गया,
“वर्तमान में सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण को रोकने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, एवं कोरोना के संबंध में किसी प्रकार की अफ़वाह जिससे जनता में भय की स्थिति उत्पन्न हो, को फैलने से रोकने हेतु आदेश निर्देश जारी किए गए हैं. ग़लत तथ्यों पर आधारित उपरोक्त ट्वीट से आम जनता में भय की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.”
FIR के बाद सूर्यप्रताप सिंह ने कहा कि वो सिर्फ़ सवाल पूछ रहे थे. एक पूर्व नौकरशाह एक वर्तमान नौकरशाह से सवाल पूछ रहा था. FIR तो दर्ज कर लिया गया, सवालों के जवाब तो दे दीजिए. वीडियो जारी किया. देखिए :
योगी आदित्यनाथ जी कोरोना केसों की संख्या छिपाने से ना प्रदेश का भला होगा और ना ही सरकार का। कोरोना की जाँच करने की अनुमति सरकार से लेने की बाध्यता, मेरे सवाल पूछने पर मुक़दमा, ये सभी मेरे मौलिक अधिकारों का हनन है जो संविधान मुझे देता है। मेरे कुछ सवाल हैं जो मैं पूछना चाहता हूँ। pic.twitter.com/qcppHpyzMz
— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 12, 2020
पहले भी रार फ़ानते रहे हैं सूर्यप्रताप सिंह
इसके बाद से ये बातें होनी लगी हैं कि पूर्व IAS सूर्यप्रताप सिंह भाजपा सरकार को निशाने पर ले रहे हैं. लेकिन इसके पहले अखिलेश यादव की प्रदेश सरकार में भी IAS सूर्यप्रताप सिंह मुखर होकर बोलते रहे हैं. 2015 में उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का मामला IPS अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने उछाला. उस समय IAS सूर्यप्रताप सिंह ने खुलकर अमिताभ ठाकुर का साथ दिया. सपा की सरकार थी. कहा जाता है कि इन बातों को मुख़ालफ़त की तरह गिना गया. सूर्यप्रताप सिंह सस्पेंड कर दिए गए. इसके तुरंत बाद सूर्यप्रताप सिंह ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति यानी VRS के लिए अप्लाई कर दिया.
इसके अलावा सूर्यप्रताप सिंह ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे का रूट बदलने पर भी सवाल उठाए थे. आरोप थे कि इटावा और कन्नौज के कुछ आला परिवारों को लाभ पहुंचाने की नीयत से इस एक्सप्रेसवे के रूट में सपा सरकार द्वारा परिवर्तन किया गया था.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी UPPSC के चेयरमैन अनिल यादव की नियुक्ति पर भी सवाल सूर्यप्रताप सिंह ने उठाए थे. अनिल यादव के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश सिविल सर्विस में चयनित 86 अभ्यर्थियों में 56 यादव थे. इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अक्टूबर 2015 में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि अनिल यादव को UPPSC पद से हटा दिया जाए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में छात्रों ने जश्न मनाया. IAS सूर्यप्रताप सिंह भी पहुंच गए. छात्रों के साथ जश्न मनाया. कहा कि लोक सेवा आयोग के अलावा अधीनस्थ सेवा आयोग में भी बहुत धाँधली हो रही है. सबके खिलाफ़ आंदोलन करने की बात कह डाली.
यूपी के ही बुलन्दशहर के रहने वाले सूर्यप्रताप सिंह 1982 काडर के IAS अधिकारी हैं. 4 साल पहले VRS पर रिटायर हो गए. कहते हैं,
मुझपर मुकदमा किया कोई बात नहीं, पर मेरे काबिल सहकर्मियों को क़ानून का ज्ञान नहीं है ये देख कर दुःख हुआ। मुझे VRS लिए हुए 4 साल हो गए और मुझपर सरकारी कर्मचारियों पर लगाने वाली धाराएँ लगवायी गयीं, इसपर @IASassociation संज्ञान ले और अधिकारियों की ट्रेनिंग एक बार फिर से करवायी जाए।
— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 12, 2020
इन आरोपों पर यूपी सरकार का क्या कहना है? हमने चीफ सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार तिवारी को फ़ोन लगाया. नहीं बात हो सकी. हमने संदेश भेज दिया कि इस मुद्दे पर जवाब चाहिए. जवाब आएगा तो आपको भी बतायेंगे. तब तक आप अपना ख़याल रखिए.
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