कल मेरे दोस्त ने मुझे एक लिंक भेजा था. लिंक को क्लिक करने पर मुझे एक ऐप दिखा, जिसका नाम सुल्ली डील्स था. मैं स्तब्ध रह गई, क्या इससे भद्दा भी कुछ हो सकता है? लेकिन जब मैंने ऐप में और देखा तो मैं चौंक गई. इसमें मेरी भी तस्वीर थी.
दिल्ली की एक प्राइवेट एयरलाइन की पायलट हना मोहसीन खान ने दी लल्लनटॉप से ये बात कही.
सुल्ली एक लिंग-धर्म सूचक शब्द है. जो मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्तेमाल होता है. गाली की तरह. सुल्ली डील्स (Sulli Deals) ऐप को गिटहब (github) नाम के ओपन सोर्स प्लैटफॉर्म पर बनाया गया था. इस ऐप में मुस्लिम महिलाओं की सोशल मीडिया प्रोफाइल से तस्वीरें लेकर डाला गया था. तस्वीरों के साथ उनकी कीमत लिखी हुई थी.
इस ऐप की लिंक राइट विंग वेबसाइट ऑप इंडिया के संस्थापक एडिटर रहे अजीत भारती ने ट्वीट की. भारती ने लिखा,
“किसी ने ‘सुल्ली डील्स’ नाम से एक ऐप बना दिया है. लिखा है मनपसंद सुल्ली आपको मिल जाएगी. यह उन्होंने सामान्य समाज की सहायता हेतु बनाया है. मैं तकनीक और ओपन सोर्स का बचपन से पक्षधर रहा हूं. लिंक दे रहा हूं आप लोग जांच लें.”

अजीत भारती अब ऑप इंडिया में नहीं हैं. वो फिलहाल dopolitics नाम की वेबसाइट के एडिटर हैं.
जी हां, एडिटर. एक एडिटर जिसकी धर्म विशेष के प्रति नफरत इतनी अधिक है कि वो उस धर्म विशेष की औरतों को बोली लगाने वाली चीज़ समझता है. उसे लगता है कि ऐसी ऐप की लिंक शेयर करके वो ‘सामान्य समाज की सहायता’ कर रहा है. ऐसी वेबसाइट जो महिलाओं की परमिशन के बिना उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया से उठाकर इस्तेमाल करती है. और उन पर प्राइस टैग लगा देती है. धर्म निरपेक्षता की बात करने वालों का फर्जी फैक्ट चैक करने पर आमादा हो जाने वाले इस ‘एडिटर’ ने ऐसी वेबसाइट को रिपोर्ट करने की जगह, उसे ट्वीट करना सही समझा. क्योंकि मुस्लिम औरतों की इमेज ‘वेश्या’ के तौर पर दिखाना इनके पसंदीदा शगलों में से एक है.
तभी तो, जब बवाल हुआ. ट्वीट के खिलाफ लोगों ने लिखना शुरू किया तो भारती ने पहला ट्वीट डिलीट कर दिया. और अगला ट्वीट किया.
इस ट्वीट का एक ही लक्ष्य था: आपको बताना कि ‘उनका’ तंत्र कितना व्यापक, त्वरित और संगठित है कि कोई ऐसा ऐप या कुछ भी बनता है, तो वो तुरंत विक्टिम बनते हुए, नैरेटिव भी मैनेज करते हैं, और पीछे से उस पर दबाव बनाते हुए कार्रवाई करवाते हैं। ऐप हटाया जा चुका है। https://t.co/DoASTDmISP
— Ajeet Bharti (@NijiSachiv) July 5, 2021
समझे? भारती ने इस तरह का भद्दा, गैर कानूनी ऐप बनाने वालों को गलत बताने की जगह, एक अलग नैरेटिव गढ़ दिया. कि ‘ऐसा ऐप या कुछ’ बनता है तो वो लोग विक्टिम बन जाते हैं. दबाव बनाते हैं. कार्रवाई करवाते हैं. यानी,
एक महिला की तस्वीर का गलत इस्तेमाल होता है. ज़ाहिर है कि वो एक साइबर क्राइम और इस केस में हेट क्राइम की विक्टिम है. वो इसके खिलाफ आवाज़ उठाती है. कार्रवाई की मांग करती है. कार्रवाई होती है. ऐप हटाया जाता है.
पर अजीत भारती की नज़र में इस पूरे केस में वो महिला गलत है. ऐप बनाने वाले लोग नहीं, उसे प्रचारित करने वाले लोग नहीं, मुस्लिम औरतों के खिलाफ घटिया बातें लिखने वाले लोग नहीं.
पहले भी हो चुकी है इस तरह की घटना
हना बताती हैं,
“मई महीने में ईद के वक़्त भी ऐसा ही हुआ था. कोरोना से हम लोग ऐसे ही परेशान थे. कितने लोगों की जान जाने का ग़म था और उन सब के बीच हमारी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल हुआ था. वो सब कुछ बहुत डरावना था.”
मई, 2021 में ईद -उल-फितर के वक़्त इसी तरह की घटना हुई थी. तब कई यूज़र्स ने महिलाओं की ईद की तस्वीरों का इस्तेमाल कर उनकी ऑनलाइन ‘नीलामी’ की थी. उनकी तस्वीरों का बिना इजाज़त इस्तेमाल किया और भद्दे कमेंट्स किए. एक यूट्यूब चैनल ‘लिबरल डोज’ ने तस्वीरों को स्ट्रीम किया और उन पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की. ग़ौरतलब है कि इस चैनल के ट्विटर पेज को भी अजीत भारती फ़ॉलो करते हैं.
वीडियो- कानून प्रिया: ऑनलाइन हैरेसमेंट से डील कर रहे कानून और उसकी कमियों के बारे में जानिए