पंजाब में मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बीच, राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर ने चीफ सेक्रेटरी और DGP को समन भेजकर जवाब मांगा है. राज्यपाल के समन के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि अगर राज्यपाल को कोई स्पष्टीकरण चाहिए तो उन्हें मुझे नोटिस भेजकर बुलाना चाहिए, मेरे अफसरों को नहीं. क्योंकि गृह विभाग मेरे पास है.
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार, 2 जनवरी को बीजेपी पर संवैधानिक कार्यालय को अपने “अनचाहे एजेंडे” में शामिल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने राज्य की कानून व्यवस्था पर पार्टी के प्रचार को ज्यादा महत्व दिया है.
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया,
मोबाइल टावरों की मरम्मत की जा सकती है, लेकिन दिल्ली बॉर्डर पर मरने वाले किसानों को वापस नहीं लाया जा सकता है. लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर बीजेपी का झूठा प्रोपेगैंडा पंजाब में विभाजनकारी रणनीति का हिस्सा है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल ने मेरे अफसरों को समन किया बजाय इसके कि वो मुझसे रिपोर्ट मांगते.
Mobile towers can be repaired but farmers dying at Delhi borders can’t be brought back. @BJP4India’s false propaganda on law & order in Punjab is a diversionary tactic. Unfortunate that @vpsbadnore ji fell for it & summoned my officers rather than seeking a direct report from me.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) January 2, 2021
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यपाल ने बीजेपी नेताओं के कानून व्यवस्था के मुद्दे पर की गई शिकायत पर मात्र एक दिन में प्रतिक्रिया दे दी. लेकिन विधानसभा द्वारा पास बिलों को राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजने में उन्होंने काफी देर लगा दी.
कैप्टन ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को ‘नक्सल’ और ‘खालिस्तानी’ कहने के बजाय बीजेपी को अपने केंद्रीय नेताओं को कहना चाहिए कि वे किसानों की मांगों को मानें और काले कृषि कानून को वापस लें.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 1500 से ज्यादा मोबाइल टावर को नुकसान पहुंचाया जा चुका है. इसके अलावा बहुत से मोबाइल टावरों की बिजली काट दी गई तो कई जगह तार के बंडल भी जला दिए गए.
हालांकि पिछले महीने इस मामले पर बात करते हुए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि राज्य में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने पर रोक नहीं है, लेकिन संपत्ति के नुकसान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार ने ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आदेश दिया है.
इंडियन टेलिग्राफ एक्ट 1885 की धारा 25 के मुताबिक टेलिकॉम संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है.
मोबाइल टावरों में तोड़फोड़ का असर संचार सेवाओं पर पड़ा है. कई जगह फोन सेवाएं बाधित हुई हैं. मोबाइल के जरिए पढ़ाई करने वाले छात्रों को दिक्कतें हुई है. सीएम अमरिंदर का कहना है कि इस तरह संचार साधनों को नुकसान पहुंचाना छात्रों, खासकर बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने वाले और कोविड महामारी के बीच कारण घर से काम करने वाले पेशेवरों के लिए नुकसानदायक होगा. बैंकिंग सेवाएं भी काफी हद तक ऑनलाइन लेनदेन पर निर्भर हैं, तोड़फोड़ की वजह से इस पर भी असर पड़ रहा है.
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