तमिलनाडु में पहली बार ट्रेनिंग लेकर मंदिर की पुजारी बनीं महिलाएं, अब PM मोदी से बड़ी मांग
तमिलनाडु सरकार ने 6 'अर्चकार पायिर्ची पल्ली' (पुजारी ट्रेनिंग स्कूल) खुलवाए हैं, जिनमें सभी जातियों से आने वाले लोगों को पुजारी बनने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाती है.
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तमिलनाडु (Tamil Nadu) से एक सुखद खबर आई है. तीन महिलाओं -
कृष्णावेनी (Krishnaveni);
एस राम्या (S Ramya); और
एन रंजीता (N Ranjitha) वो पहली तीन महिलाएं बन गई हैं, जिन्होंने पुजारी बनने की ट्रेनिंग पूरी कर ली है. अब ये एक साल तक सूबे के प्रमुख मंदिरों में अपना हुनर पक्का करेंगी. और फिर मेरिट के आधार पर मंदिरों में पुजारी का पद पा सकेंगी.
तमिलनाडु सरकार ने इन तीनों की ट्रेनिंग 'अर्चकार पायिर्ची पल्ली' में करवाई है. श्रीरंगम स्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर से संबद्ध इस संस्था में पुजारियों की ट्रेनिंग होती है. तमिलनाडु के कुछ प्रतिष्ठित मंदिरों में महिला पुजारियों की परंपरा सदियों से रही है. लेकिन ज़्यादातर मंदिरों में पुजारी पुरुष ही हो सकते थे.
2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि एक स्कीम लेकर आए, जिसके तहत पुजारी बनने की औपचारिक ट्रेनिंग के दरवाज़े सभी जातियों के सभी लोगों के लिए खोले गए. इसका लाभ महिलाओं को भी मिलना था. 2021 में तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाली सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस SPA सरकार आई और मुख्यमंत्री बने करुणानिधि के बेटे मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन. स्टालिन सरकार ने इस स्कीम को दोबारा शुरू करवाया. इसी के तहत 6 'अर्चकार पायिर्ची पल्ली' (पुजारी ट्रेनिंग स्कूल) खुलवाए गए, जिनमें सभी जातियों से आने वाले लोगों को पुजारी बनने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्रमाणपत्र मिल जाता है, जिसके आधार पर तमिलनाडु सरकार के हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडाओमेंट्स विभाग के तहत आने वाले मंदिर में मेरिट के आधार पर बतौर पुजारी बहाली होती है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु सरकार में मंत्री शेखर बाबू ने 12 सितंबर को श्रीरंगम में कृष्णावेनी, एस राम्या और एन रंजिता के साथ कई पुरुषों को भी सर्टिफिकेट दिए.
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कुड्डलोर से एमएससी कर चुकीं एस राम्या ने इंडिया टुडे से कहा,
'जब सीएम ने घोषणा की थी कि महिला भी पुजारी बन सकती हैं, हमने इसे एक अवसर की तरह समझा. अब महिलाएं हर सेक्टर में काम कर सकती हैं.'
राम्या ने बताया कि शुरुआती दौर में प्रशिक्षण मुश्किल था.
'मुश्किल था, पर हम हार नहीं मानना चाहते थे. हमारे प्रशिक्षक सुंदर भट्टर ने हमें बहुत अच्छे से सिखाया. हम सरकार और सभी प्रशिक्षकों का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं.'
कृष्णावेनी ने भी अपनी बात रखी. वो चाहती हैं कि प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के बाद उन्हें स्थायी रूप से पुजारी नियुक्त कर दिया जाए. कृष्णावेनी ने कहा,
सीएम स्टालिन ने क्या कहा?'मैं भगवान और लोगों की सेवा करना चाहती हूं. इसलिए मैंने ये राह चुनी.'
स्टालिन ने इसे द्रविडियन शासन मॉडल बताया. सीएम के मुताबिक इससे समावेश और समानता का नया दौर आया है. स्टालिन ने कहा,
'महिलाएं पायलट बन चुकीं, अंतरिक्ष में जा चुकीं. पर उन्हें मंदिर का पुजारी बनने से रोका जाता रहा है. उन्हें 'अशुद्ध' माना जाता था. ऐसे मंदिरों में भी, जहां देवियों की पूजा होती थी. पर आखिरकार हमने इसे बदल ही दिया.'
स्टालिन ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने हर समुदाय के लोगों को पुजारी बनाया है. अब महिलाओं को भी ये करने की आजादी दी गई है. महिलाओं ने अपने प्रशिक्षण के दौरान पूजा की विधियां, मंत्र और भी अन्य धार्मिक रिवाज़ सीखे.
केंद्र सरकार से मांगविरुदुनगर से कांग्रेस सासंद मनिकम टैगोर ने इस कदम को क्रांतिकारी बताया. मनिकम ने केंद्र सरकार से मांग की है कि संसद के स्पेशल सत्र में इस पहल को पूरे देश में लागू करने के लिए एक स्कीम शुरू की जानी चाहिए.
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