वो आध्यात्मिक बाबा, जो कथित रूप से रोज 10 रेप करता है
उसे नाबालिग लड़कियों को सफ़ेद ब्लाउज और गुलाबी साड़ियों में रखना पसंद था.
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आश्रम लगभग 30 साल से दिल्ली में है. और यहां के बाबा वीरेंद्र दीक्षित पर पहले भी लड़कियों के यौन शोषण के आरोप लगते आए हैं.
बीती रात दिल्ली की एक आध्यात्मिक यूनिवर्सिटी में रेड पड़ी. पुलिस वाले आश्रम में घुस गए. कतार में बने कमरों में एक-एक कर घुसते गए, चेहरों का रंग उड़ता गया. आध्यात्म की ओर ले जाने की ओर दावा करने वाले आश्रम में ड्रग्स की गोलियां और सीरींज बरामद हुए. एक महिला और एक गार्ड को हिरासत में लिया गया.
रोहिणी इलाके में चलने वाले इस आश्रम को वीरेंद्र देव दीक्षित नाम का एक बाबा चलाता था. आश्रम की देशभर में कई ब्रांच चलती हैं. इनमें हर उम्र की लड़कियां रहती हैं.मां-बाप लड़कियों के 'बिगड़' जाने से अक्सर डरते हैं. उन्हें डर लगता है कि कहीं वो प्रेम में न पड़ जाएं. जाति के बाहर किसी लड़के के साथ घूमने न लगें. भाग न जाएं. नशा न करें. बेटियों को हमेशा घर के किसी पुरुष के साथ बाहर भेजना हमारे यहां की सबसे आम बात है. लेकिन ये एक कदम आगे है. उन्हें आश्रम में रख देना ताकि वे आध्यात्म के करीब रहें. उनका दिमाग 'प्रदूषित' न हो. ये चौंकने वाली बात नहीं कि हजारों की संख्या में मां-बाप अपनी बेटियों को यहां भेजते थे. उसके बाद डोनेशन के रूप में लगातार पैसे भी भेजते थे, जिससे उनकी बेटियों का ध्यान रखा जाए.

दिल्ली के तंग इलाके में बसे इस आश्रम में इतनी सख्त जालियां हैं कि चिड़िया भी नहीं घुस सकती.
एक रिटायर्ड पुलिस अफसर की कहानी डराने वाली है. इनकी बेटी महज 14 साल की थी, जब वो उसे बाबा के आश्रम में छोड़कर आए थे. दिल्ली में छोड़ने के बाद उन्हें उनकी बेटी उत्तर प्रदेश में मिली. अंदर ही अंदर लड़कियों को ट्रांसफर करते रहना और मां-बाप को इसके बारे में न बताना यहां का नियम था. छोटे-छोटे कमरे और गलियारों की भूल भुलैया, हर एक दरवाजे की निगरानी--ऐसे में किसी भी लड़की के लिए भागना मुश्किल होता था.
खबर कैसे बाहर आई?
आश्रम लगभग 30 साल से दिल्ली में है. और यहां के बाबा वीरेंद्र दीक्षित पर पहले भी लड़कियों के यौन शोषण के आरोप लगते आए हैं. मामला तब सामने आया जब बीते 12 नवंबर को एक औरत की ओर से दिल्ली में बाबा के खिलाफ केस दर्ज हुआ. औरत के मुताबिक़ मामला साल 2000 का था.
दिल्ली कमीशन फॉर वीमेन की प्रमुख स्वाति मालीवाल के नेतृत्व में जब ये रेड पड़ी, आश्रम के लोगों ने उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया. आश्रम के लोगों का कहना था कि सारे आरोप झूठे हैं. आश्रम में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं होता. मगर रेड में बरामद हुई चीजों से कुछ और ही पता चल रहा था.
बाबा वीरेंद्र दीक्षित के खिलाफ ये इकलौता केस नहीं था. नवंबर में इनका नाम उछलने पर पुलिस ने मीडिया को बताया था कि इस आदमी के खिलाफ दूसरे राज्यों में भी केस चल रहे हैं. मगर पुलिस इस तक पहुंच नहीं पा रही है. ऐसे ही एक केस के चलते बाबा उत्तर प्रदेश में एक बार गिरफ्तार भी हो चुका है.
कैसे काम करता था बाबा
आश्रम लोगों को अपनी बेटियों को भेजने के लिए प्रेरित करता रहता था. आश्रम दावा करता था कि यहां उनकी नाबालिग बेटियों का नैतिक विकास होगा और वो आध्यात्म के करीब आएंगी. आश्रम मां-बाप से 10 रुपए के स्टैंप पेपर पर साइन करवाता था, जिसमें लिखा होता था कि वे अपनी इच्छा से अपनी बेटियों को आश्रम में भेज रहे हैं.
एक बार बेटी आश्रम में पहुंच गई, तो उसे मां-बाप को उससे मिलने नहीं देते थे. अंदर ही अंदर बेटियों को ट्रांसफर करते रहते थे. जब बेटी बालिग हो जाती थी, तो उसे झांसा देकर एक ऐसे कागज़ पर साइन करवाते थे जिसपर लिखा होता था कि वो अपनी मर्जी से आश्रम में है. बालिग़ लड़की अगर अपनी मर्जी से आश्रम में है तो चाहकर भी उसके मां-बाप कुछ नहीं कर सकते.
बाबा खुद को कृष्ण समझता था
बाबा के मुताबिक़ वो कृष्ण था और आश्रम की लड़कियां गोपियां थीं. कृष्ण की तरह बाबा अपनी 16 हजार रानियां चाहता था. लड़कियों की मानें तो बाबा हर दिन लगभग दस रेप करता था. अंदरूनी ख़बरों के मुताबिक़ बाबा देश भर के हर आश्रम में इस बात का ध्यान रखवाता कि किस लड़की को कब उसका पहला पीरियड आया है. जिस दिन लड़की का पहला पीरियड आता था, वो उसे उसी दिन हवाई जहाज से अपने पास बुलाता था ताकि उसका रेप कर सके. इसे हम महज़ आदत नहीं कह सकते. ये मानसिक दिवालियापन है. आध्यात्म के नाम पर पाई गई सत्ता का बेहूदा दुरुपयोग है.

बताते हैं कि ये बाबा क्लीन शेव रहता है. कद में 5 फुट चार इंच है. और पुलिस इसकी खोज में लगी है.
बाबा को लड़कियां सफ़ेद ब्लाउज और गुलाबी साड़ी में पसंद थीं.
बाबा के एक पुराने फॉलोवर ने मेल टुडे अखबार को बताया कि बाबा पक्का ड्रग एडिक्ट था. 'एक बार ट्रेन से सफ़र करते वक़्त बाबा ने मुझसे कॉन्डम मंगवाया. और बताया कि वो लड़कियों से खुद को प्रदूषित नहीं होने देना चाहता. इसलिए कॉन्डम साथ रखता है.'
कई साल से परेशान थे मां-बाप
कई कोशिशों के बाद भी आश्रम वाले मां-बाप को अपनी बेटियों से मिलने नहीं देते. कुछ मां-बाप एक NGO के पास गए. NGO के सहारे हाई कोर्ट तक उनकी बात पहुंची. कोर्ट ने फ़िलहाल जांच के आदेश दिए हैं.