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मुंबई के जुहू बीच पर तीस्ता सीतलवाड़ के 500 करोड़ रुपये के बंगले का सच क्या है?

तीस्ता सीतलवाड़ का बंगला मुंबई के सबसे पॉश इलाकों में एक जुहू बीच के पास है.

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Teesta Setalvad
एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ (फोटो- फेसबुक)
27 जून 2022 (Updated: 28 जून 2022, 12:06 IST)
Updated: 28 जून 2022 12:06 IST
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2002 के गुजरात दंगों पर बीती 24 जून को सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी से मिली क्लीन चीट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई. इस फैसले के एक दिन बाद ही सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में ले लिया गया. उन्हें हिरासत में लिए जाने से कुछ घंटे पहले गृह मंत्री अमित शाह का भी एक इंटरव्यू सामने आया. इसमें उन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ का बार-बार नाम लिया. गृह मंत्री ने सीतलवाड़ पर आरोप लगाया कि पीएम मोदी को बदनाम करने के लिए वो इस मामले को प्रभावित कर रही थीं.

तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लिए जाने के बाद उनके मुंबई स्थित बंगले की तस्वीर सोशल मीडिया वायरल हो रही है और कई दावे किए जा रहे हैं. एक ट्विटर यूजर (InfinityTarun) ने एक थ्रेड (कई सारे ट्वीट) में तीस्ता के इस बंगले को लेकर लिखा, 

"तीस्ता फाइल्स- पार्ट-1. महिला जिसने मोदी को खत्म करने की सुपारी ली. मुंबई के सबसे पॉश इलाके जुहू रोड पर एक निरांत नाम का बंगला है. जो अमिताभ बच्चन के बंगले से 3 गुना ज्यादा बड़ा है और इसकी कीमत 500 करोड़ रुपये है. ये बंगला सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ का है. एक सामान्य कार्यकर्ता के पास इतने पैसे कैसे आ गए?"

तीस्ता के बंगले के बारे में जानकारी

इसी तरह के ट्वीट कई और लोगों ने किए. लोगों ने आरोप लगाए कि तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने एनजीओ के फंड का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए किया. इसलिए दी लल्लनटॉप ने इस बंगले को लेकर हो रही चर्चा को लेकर तीस्ता के पति जावेद आनंद से बात की. आनंद भी सोशल एक्टिविस्ट हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये बंगला तीस्ता के दादा मोतीलाल चिमनलाल सीतलवाड़ का बनाया हुआ है. मोतीलाल सीतलवाड़ भारत के पहले अटॉर्नी जनरल थे. वे भारत के पहले लॉ कमीशन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन भी थे.

जावेद आनंद ने हमें बताया, 

"मोतीलाल सीतलवाड़ ने ये प्रॉपर्टी (निरांत) आज से करीब 90 साल पहले 1933 में खरीदी थी. ये प्रॉपर्टी जुहू बीच के पास है. यहां तीस्ता के दादा रहे. उसके बाद तीस्ता के पिता अतुल सीतलवाड़ भी यहीं रहे जो खुद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील थे. अभी यहां तीस्ता और उनकी बहन के परिवार वाले भी रहे हैं. इस प्रॉपर्टी में तीस्ता का एक पैसा भी नहीं लगा है. पूरा उनके दादा का ही बनाया हुआ है."

जावेद खुद भी 'निरांत' बंगले में रहते हैं. उन्होंने बताया कि इसकी ठीक-ठीक जानकारी तो नहीं है कि ये बंगला कितने एरिया में है, लेकिन अंदाजतन कहा कि शायद पौने एकड़ में है. सीतलवाड़ के मामले को लेकर जावेद खुद अहमदाबाद में हैं. उन्होंने बंगले की कीमत '500 करोड़ रुपये' बताए जाने को लेकर कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. जावेद ने हंसते हुए कहा कि ये प्रॉपर्टी डीलर वाले ही बता पाएंगे. जावेद ने सिर्फ इतना कहा कि चूंकि प्रॉपर्टी पॉश इलाके में है इसलिए इसकी कीमत करोड़ों में जरूर हो सकती है.

तीस्ता सीतलवाड़ के परिवार का इतिहास काफी दिलचस्प है. उनके परदादा चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ भी बड़े वकील थे और बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस किया करते थे. वो बॉम्बे यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी थे. अंग्रेजी सरकार ने उन्हें ऑर्डर ऑफ दी इंडियन एम्पायर के ‘नाइट कमांडर’ की उपाधि से नवाजा था. उन्हें जालियांवाला बाग नरसंहार की जांच के लिए बने हंटर कमीशन का सदस्य भी बनाया गया था.

तीस्ता पर साजिश का आरोप

जावेद आनंद ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ लगे आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. कहा कि इस पर उनके वकील मीडिया को जवाब दे रहे हैं. दरअसल, गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने इस हिंसा के मामले में नरेंद्र मोदी को मिली क्लीन चिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें तीस्ता सीतलवाड़ भी सह-याचिकाकर्ता थीं.

गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या हुई थी. उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने गुजरात पुलिस से नरेंद्र मोदी समेत कुल 63 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने की अपील की थी. लेकिन ये स्वीकार नहीं की गई थी. जाकिया जाफरी अपनी मांग को लेकर गुजरात हाई कोर्ट पहुंचीं, लेकिन 2007 में वहां भी इसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद जाकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ 'सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस' ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2009 में जाकिया की याचिका पर एसआईटी को जांच के आदेश दिए. जांच टीम ने नरेंद्र मोदी से भी पूछताछ की थी. अप्रैल 2012 में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट निचली अदालत में सौंपी जिसमें नरेंद्र मोदी सहित 63 लोगों को क्लीन चिट दे दी गई. इसी के खिलाफ मामला हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जाकिया जाफरी द्वारा दायर याचिका 'किसी और से प्रेरित' है और ये 'कुछ अन्य लोगों' के निर्देश पर दायर की गई.

सीतलवाड़ 2 जुलाई तक हिरासत में

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सीतलवाड़ के खिलाफ अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर ने 25 जून को FIR दर्ज करवाई. आरोप लगाया कि तीस्ता ने गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कानून को प्रभावित किया. FIR दर्ज होने के तुरंत बाद गुजरात एटीएस की टीम मुंबई में उनके इसी बंगले में पहुंच गई. हिरासत में लेकर उन्हें मुंबई के सांताक्रूज थाने ले जाया गया. इसके बाद गुजरात पुलिस उन्हें अहमदाबाद ले गई. वहां की एक अदालत ने सीतलवाड़ को 2 जुलाई तक पुलिस हिरासत में रखने की अनुमति दे दी.

वहीं तीस्ता सीतलवाड़ ने भी सांताक्रूज थाने में एक शिकायत दर्ज करवाई. इसमें गुजरात पुलिस पर आरोप लगाया गया कि पुलिस टीम ने उनके बंगले में 'घुसपैठ' की और FIR की कॉपी दिखाए बिना ही उन्हें हिरासत में ले लिया. तीस्ता ने शिकायत में ये भी आरोप लगाया कि उनकी जान को खतरा है.

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