कांवड़ यात्रा मामले में सरकार तो नहीं बदली पर मुख्तार अब्बास नकवी बदल गए, बयान से पलटी मार दी
Mukhtar Abbas Naqvi ने Kanwar Yatra मामले में ट्रोलर्स को सख्त जवाब दिया. रैदास की पंक्तियों से इस मामले में अपनी कड़ी प्रतिक्रिया रखी. लेकिन जैसे ही UP के CM Yogi Adityanath का आदेश आया, उन्होंने ‘यू-टर्न’ लेते हुए अपना बयान बदल लिया.

उत्तर प्रदेश (UP) के मुजफ्फरनगर जिले की पुलिस ने एक आदेश दिया. आदेश था कि कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के रास्ते पर पड़ने वाली खाने-पीने की दुकानों पर उनके मालिकों का नाम लिखना होगा. ये आदेश सिर्फ मुजफ्फरनगर जिले के लिए था. इस पर विपक्ष के नेताओं ने तो सवाल उठाया ही, साथ ही NDA के घटक दलों के नेताओं ने भी सवाल खड़े कर दिए. बात यहीं नहीं रूकी. BJP नेता मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने भी इस आदेश की आलोचना की. लेकिन 19 जुलाई को इस मामले में UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की एंट्री हुई. तमाम आलोचनाओं के बीच उन्होंने इसे पूरे उत्तर प्रदेश राज्य के लिए लागू कर दिया. इसके बाद BJP नेता मुख्तार अब्बास नकवी भी पलटी मार गए. उन्होंने अपना बयान बदल लिया. इस मामले को विस्तार से समझते हैं.
18 जुलाई को मुख्तार अब्बास नकवी ने इस मसले पर एक X पोस्ट लिखा. उन्होंने संबंधित अधिकारियों की कड़ी आलोचना की. उन्होंने लिखा,
"कुछ अति-उत्साही अधिकारियों का ये आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाला है. अस्पृश्यता (छुआछूत) की बीमारी को बढ़ावा दे सकता है. आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए."
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Naqvi ने रैदास को कोट कियाइसके बाद उन्होंने कवि रैदास को कोट करते हुआ लिखा,
“जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात. रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात. (किसी से उसकी जाति-पाति मत पूछिए. सब एक ही ईश्वर की संतान हैं).”

इसके बाद नकवी ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर इस पोस्ट के लिए ट्रोल किया जा रहा है. उन्होंने ट्रोलर्स के लिए लिखा,
“कांवड़ यात्रा के सम्मान, श्रद्धा का सर्टिफिकेट कम से कम मुझे तो मत बांटो, मेरा हमेशा मानना है कि कोई भी आस्था, असहिष्णुता और अस्पृश्यता की बंधक नहीं होनी चाहिए.”

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नकवी ने ट्रोलर्स को सख्त जवाब दिया. रैदास की पंक्तियों से इस मामले में अपनी कड़ी प्रतिक्रिया रखी. लेकिन जैसे ही CM योगी का आदेश आया उन्होंने ‘यू-टर्न’ लेते हुए अपना बयान बदल लिया. और इस आदेश को अपना समर्थन दे दिया. उन्होंने न्यूज एजेंसी PTI से कहा,
“पहले ये आदेश लोकल स्तर पर था. इसलिए कंफ्यूजन हो गया था. राज्य सरकार ने इस मामले को स्पष्ट कर दिया है. राज्य सरकार ने कांवड़ यात्रियों की श्रद्धा, उनकी सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द की दृष्टि से ये फैसला लिया है. और मैं मानता हूं कि इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है. जहां तक नाम लिखने का मामला है, ये तो नहीं कहा कि मुसलमान नाम लिखेगा और हिंदू नहीं लिखेगा. या सिख या ईसाई नहीं लिखेगा. कांवड़ यात्रा के समय कई सारे श्रद्धालु कई सारी चीजों से परहेज करते हैं. इसलिए उनकी श्रद्धा का सम्मान होना चाहिए. और उस पर किसी तरह का सांप्रदायिक कंफ्यूजन पैदा करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. ऐसा करना ना तो किसी मुल्क के भले के लिए है, ना किसी मजहब के भले के लिए है और ना ही मानवता के लिए.”
मुख्तार अब्बास नकवी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी वो कैबिनेट मंत्री रहे. उन्होंने ‘स्याह’ और ‘दंगा’ नाम की दो किताबें भी लिखी हैं.
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