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पड़ताल : पता चल गया बनारस में जो पुल गिरा, उसका ठेकेदार कौन था?

अज्ञात ठेकेदार पर एफआईआर होने का क्या मामला है?

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वाराणसी पुल हादसे के पीछे बताया जा रहा है नितिन गडकरी के बेटे का हाथ.
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सौरभ
29 मई 2018 (Updated: 29 मई 2018, 08:15 AM IST) कॉमेंट्स
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15 मई 2018. इस दिन बीजेपी के साथ दो कांड हुए. पहला वो कर्नाटक में बहुमत पाते-पाते रह गई. दूसरा झटका लगा उत्तर प्रदेश के वाराणसी में. उस वाराणसी में जहां के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. वहां एक निर्माणाधीन पुल गिर गया. जमीन पर नहीं. उसके नीचे से गुजर रही गाड़ियों पर, जिसमें दबकर करीब 18 लोगों की मौत हो गई. घटना के बाद जांच कमेटी बनी. जांच में सेतु निगम के एमडी राजन मित्तल समेत सात अभियंताओं को दोषी ठहराया गया. सेतु निगम के एमडी को तुरंत हटा भी दिया गया. वो इसलिए क्योंकि सेतु निगम ही ये वाराणसी कैंट से लहरतारा के बीच जाने वाला पुल बना रहा था. इस मामले को 10 दिन ही बीते थे कि मार्केट में एक नया शिगूफा छोड़ दिया गया. सोशल मीडिया पर ये प्रचारित किया जाने लगा कि ये पुल जो कंपनी बनवा रही थी वो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेटे सारंग गडकरी की है. कंपनी का नाम भी ढूंढ लाए भाई लोग. चैतन्य कंस्ट्रक्शंस. बताया जाने लगा कि इसी कंपनी को इस पुल का ठेका मिला है. देखें कुछ पोस्ट -
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एक और बात जो फैलाई गई वो ये कि पुलिस और जांच अधिकारी इस कंपनी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. तभी जो इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई उसमें ठेकेदार को अज्ञात बताया गया है. योगी सरकार से जवाब मांगे जाने लगे. हमें भी पहली दफा ये आरोप देखकर लगा कि ऐसा तो नहीं कि इन दावो में दम हो मगर जब हमने पड़ताल की तो ये दावे फुस्स निकले. आप भी समझिए कैसे -
1. पहली बात ये कि इस पुल का ठेका किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं दिया गया था. इसका निर्माण खुद सेतु निगम करवा रहा था. दूसरी बात ये कि सेतु निगम जिन पुलों को बनाने का काम करता है, उसका टेंडर किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं देता है. सेतु निगम के अधिकारी बताते हैं कि ऐसे पुलों को बनाने में निर्माण सामग्री की खरीदारी से लेकर मशीनरी देने का काम उसके अधिकारी ही करते हैं. वही यहां भी हो रहा था. इसीलिए उसके अधिकारी नपे भी.
कई गाड़ियां दबकर पिच्ची हो गई थीं.
कई गाड़ियां दबकर पिच्ची हो गई थीं.

रही बात टेंडर की तो वो सिर्फ दो ही चीजों का दिया जाता है - पहला लेबर कांट्रैक्‍ट माने काम करवाने के लिए लेबर की जरूरत पूरी करने के लिए और दूसरा शंटरिंग-छड़ बांधने के लिए. तो इन कामों के लिए तो नितिन गडकरी के सुपुत्र टेंडर लेंगे नहीं. बड़े आदमी जो हैं. और लेंगे भी तो वो ऐसा कुछ नहीं कर सकते जिससे पुल गिर जाए.
2. अब दूसरी अफवाह पर आते हैं, जिसमें इस कंपनी को बचाने के लिए पुलिस पर आरोप लगाए जा रहे हैं. एफआईआर में अज्ञात ठेकेदारों का नाम होने का जिक्र किया जा रहा है. तो इसके लिए हम एफआईआर की कॉपी ही उठा लाए हैं. देखें इसे-
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वाराणसी पुल मामले में एफआईआर की कॉपी.
वाराणसी पुल मामले में एफआईआर की कॉपी.

इसमें जो लोग आरोपी बनाए गए हैं वो हैं-
1. उप्र सेतु निगम परियोजना के अधिकारीगण व कर्मचारीगण
2. उनके पर्यवेक्षण अधिकारी
3. उनके द्वारा विभिन्न कार्यों हेतु नियुक्त ठेकेदार व कर्मचारीगण
तो इसमें साफ तौर पर सेतु निगम के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. अब आप सोंचेंगे कि आरोपी का नाम तो नहीं लिखा है. वो इसलिए क्योंकि ये एफआईआर 16 मई की सुबह माने हादसे के अगले ही दिन दर्ज हुई थी. फिर इन अधिकारियों के नाम सामने आए तो इनको सस्पेंड कर भी दिया गया. माने ये बात भी बेबुनियाद है. वाराणसी के एसपी क्राइम ज्ञानेंद्र प्रसाद ने भी साफ किया कि दस्‍तावेजों से साफ है कि फ्लाईओवर का निर्माण कोई ठेकेदार नहीं बल्कि खुद सेतु निगम करा रहा था. इसीलिए उन पर कार्रवाई हुई.
सारंग गडकरी पिता नितिन के साथ.
सारंग गडकरी पिता नितिन के साथ.

तो इस तरह ये बात साफ हो जाती है कि नितिन गडकरी या उनके लड़के का इस पुल या इसके गिरने से कोई संबंध नहीं है. सब राजनीति है. दोनों ही तरफ से इस तरफ के फर्जीवाड़े आए दिन किए जाते हैं. आपके लिए समझने वाली बात यहां ये है कि सोशल मीडिया पर आने वाली हर बात सही नहीं होती. हमको तो लगता है ज्यादातर ही सही नहीं होती. ऐसे में इनसे बचके रहने की जरूरत है. बाकि तो हम हैं हीं आपको ऐसी अफवाहों के बारे में जानकारी देने के लिए.


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