The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Indian armed forces lost its p...

चीन ने मजबूर किया तो 26 पैट्रोलिंग प्वाइंट्स पर नहीं जा पा रही आर्मी, IPS अधिकारी की रिपोर्ट

IPS अधिकारी ने रिसर्च पेपर में कहा है कि भारतीय सैनिकों के नियंत्रण में आने वाले बॉर्डर इलाके भी अपनी तरफ शिफ्ट हुए.

Advertisement
India China LAC patrolling points
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- इंडिया टुडे)
pic
साकेत आनंद
25 जनवरी 2023 (Updated: 25 जनवरी 2023, 06:12 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में बीते ढाई सालों से स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है. अब एक रिपोर्ट आई है कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख के कुल 65 पैट्रोलिंग प्वाइंट्स (PP) में 26 प्वाइंट पर अपनी पकड़ खो चुकी है. यानी इन 26 पैट्रोलिंग प्वाइंट्स पर भारतीय सैनिक गश्त नहीं कर रहे हैं. ये रिपोर्ट सीनियर IPS अधिकारी की रिसर्च से सामने आई है. इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) ने 20 से 22 जनवरी के बीच डीजीपी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था. इसी कॉन्फ्रेंस में इस रिसर्च पेपर को पेश किया गया था.

इंडिया टुडे से जुड़े सुमित कुमार सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि जिन पैट्रोलिंग प्वाइंट्स पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी नहीं है उनमें PP-5 से 17, PP-24 से 32, 37, 51, 52, 62 शामिल हैं. काराकोरम पास से चुमूर तक कुल 65 पैट्रोलिंग प्वाइंट्स हैं. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि चीन ने भारत को ये स्वीकारने पर भी मजबूर किया कि इन इलाकों में भारतीय सैनिकों या नागरिकों की मौजूदगी लंबे समय से नहीं देखी गई.

'बॉर्डर इलाके खिसक गए'

रिसर्च पेपर में कहा गया है कि इससे सैनिकों के नियंत्रण में आने वाले बॉर्डर के इलाके भारत की तरफ खिसके हैं. इसके कारण इन सभी प्वाइंट्स में एक "बफर जोन" बन गया है. आखिरकार भारत इन इलाकों में अपना नियंत्रण खो चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की इंच-इंच जमीन पर कब्जे की इस रणनीति को 'सलामी स्लाइसिंग' कहा गया है.

लद्दाख में भारत चीन के साथ 1597 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. लद्दाख वाले हिस्से को वेस्टर्न सेक्टर कहते हैं. दोनों देशों के बीच कई जगहों पर बॉर्डर का पूरी तरह सीमांकन नहीं हो पाया है और LAC को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया अब भी जारी है, ऐसा भारत सरकार भी मानती है. इसलिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल शब्द का इस्तेमाल होता है.

जून 2020 में गलवान इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. झड़प के बाद पैंगोंग त्सो लेक के आसपास कई महीनों तक टकराव की स्थिति रही थी. इस क्षेत्र में अब भी कई प्वाइंट पर तनाव खत्म नहीं हुआ है. इस बड़ी झड़प के बाद भारत और चीन के बीच 17 बार सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है.

चीन ‘बफर जोन’ का फायदा उठा रहा

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीनी सेना ने तनाव कम करने को लेकर हुई बैठकों में इन बफर जोन का फायदा उठाया. ऊंचे इलाकों पर अपने कैमरे लगाए और भारतीय सैनिकों की गतिविधि पर नजर रखी गई. इस तरह की स्थिति ब्लैक टॉप, चुशूल में हेल्मेट टॉप माउंटेंस, डेमचोक, काकजंग, गोगरा हिल्स और डेपसांग इलाके में देखी जा सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये रिसर्च पेपर पीडी नित्या ने तैयार की थी. नित्या ने बताया कि अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन बहुत तेजी से इन इलाकों में सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है. अधिकारियों ने बताया है कि इस कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद, साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने भी हिस्सा लिया था.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: गलवान से उलट तवांग में भारत ने कैसे सूचनाओं के युद्ध में बड़ी जीत हासिल की?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement