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हाईकोर्ट ने ज़मानत का आदेश मेल किया, जेल वाले 3 साल तक अटैचमेंट नहीं खोल पाए!

अब सरकार कैदी को 1 लाख का मुआवज़ा देगी.

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Gujarat jail fails to open a bail order in e-mail, now high Court orders a lakh rupees compensation to a murder convict.
कोविड-19 महामारी के चलते ई-मेल पर भेजा गया था जमानत का आदेश, जेल अधिकारी खोल ही नहीं पाए. (फोटो क्रेडिट - पैक्सेल/प्रतीकात्मक तस्वीर)
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प्रज्ञा
27 सितंबर 2023 (Published: 07:41 PM IST) कॉमेंट्स
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एक व्यक्ति 3 साल गुजरात की जेल में सिर्फ इसीलिए सड़ता रहा क्योंकि जेल प्रशासन गुजरात हाई कोर्ट द्वारा भेजे उस बेल ऑर्डर को पढ़ नहीं पाए जो एक ई-मेल में अटैचमेंट बनाकर भेजा गया था. जब ये बात हाईकोर्ट को पता चली तो अदालत बहुत नाराज़ हुई और हुक्म दिया कि गुजरात सरकार बतौर मुआवज़ा चंदनजी ठाकोर नाम के शख्स को 1 लाख दे देगी. ठाकोर हत्या के एक मामले में दोषी साबित हो चुका है. बार एंड बैंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 27 साल के ठाकोर उम्रकैद की सज़ा हुई थी लेकिन 29 सितंबर 2020 को उसकी सज़ा पर रोक लगी और उसे जमानत दे दी गई.

ठाकोर को जमानत मिलने का आदेश ई-मेल के ज़रिए जेल अधिकारियों को भेजा गया. लेकिन जेल के अधिकारी ई-मेल पर अटैच जमानत के आदेश को खोल ही नहीं सके. इसके चलते चंदनजी ठाकोर अगस्त 2023 में भी जेल में था. अगस्त में ठाकोर ने एक बार फिर जमानत के लिए अपील की. तब ये बात सामने आई कि ज़मानत तो पहले भी दी गई थी.

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जिला अदालत को भी भेजा गया था आदेश

जस्टिस ए. एस. सुपेहिया और जस्टिस एम. आर. मेंगडे की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा,

"अदालत की रजिस्ट्री ने आवेदक को नियमित जमानत पर रिहा करने के इस अदालत के आदेश के बारे में जेल अधिकारियों को स्पष्ट रूप से सूचित किया था. ऐसा नहीं है कि इसका ई-मेल जेल अधिकारियों को नहीं मिला. अधिकारियों का दावा है कि कोविड-19 महामारी के चलते वो ज़रूरी कार्रवाई नहीं कर सके. उन्हें ई-मेल मिला था लेकिन वे इसके साथ अटैच आदेश को नहीं खोल सके."

हाई कोर्ट ने ये भी बताया कि इस आदेश की एक कॉपी जिला सत्र अदालत को भी भेजी गई थी. लेकिन वहां से भी दोषी को जमानत पर रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. कोर्ट ने कहा,

"दोषी को जमानत पर रिहा कर दिया गया था. लेकिन उसे जेल में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि जेल अधिकारियों ने इस अदालत के आदेश के लिए रजिस्ट्री या सत्र अदालत से बात करने की कोई कोशिश नहीं की."

कोर्ट ने आदेश में कहा है कि ठाकोर को ये मुआवज़ा 14 दिनों के भीतर दिया जाए.

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इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण(DLSA) को सभी कैदियों का डेटा इकट्ठा करने के निर्देश दिए. इसमें उन्हें उन सभी कैदियों का डेटा बनाना होगा, जिन्हें जमानत मिल चुकी है, लेकिन वे अभी तक रिहा नहीं हो सके. इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को है. 

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