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गैंगस्टर ने फिल्मी स्टाइल में बच्ची पर गन तानी, लेकिन उसे पता नहीं था पाला किससे पड़ा है

लॉरेंस विश्नोई ग्रुप का गैंगस्टर था अंकित भादू.

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अंकित भादू पर 20 से ज्यादा मुक़दमे चल रहे थे. (फोटो: Facebook/AnkitBhadu)
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रजत
8 फ़रवरी 2019 (Updated: 8 फ़रवरी 2019, 12:02 PM IST) कॉमेंट्स
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7 फरवरी की शाम. बारिश और ओले गिर रहे थे. लेकिन चंडीगढ़ के ज़ीरकपुर इलाके में बादलों के साथ गोलियों की तड़तड़ाहट भी गूंज रही थी. आस-पास के लोगों में दहशत का माहौल था. क्योंकि एक गैंगस्टर और पुलिस के बीच एनकाउंटर चल रहा था. एकदम फिल्मी स्टाइल में. जहां गैंगस्टर अपनी जान बचाने के लिए औरतों और बच्चों का सहारा लेता है. सरेंडर करने से इनकार करता है और फिर मारा जाता है. यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ.
घटना ज़ीरकपुर के पीर मुच्छला इलाके की  है. शूट किए गए गैंगस्टर का नाम था अंकित भादू. इस एनकाउंटर को अंजाम दिया पंजाब पुलिस की ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट (ओकू) और राजस्थान पुलिस की टीम ने. ओकू वही टीम है, जिसने पिछले साल पंजाब के कुख़्यात गैंगस्टर विक्की गोंडर को मार गिराया था. इस ऑपरेशन में डीएसपी बिक्रम बराड़ भी शामिल थे. जो पहले भी बड़े-बड़े गैंगस्टर्स को निपटा चुके हैं. भादू अपने दो साथियों - गिंदा काना और जर्मनजीत - के साथ महालक्ष्मी सोसाइटी में बीते दो महीने से रह रहा था. जीरकपुर को ठिकाना बनाने के दो कारण थे. पहला ये कि राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल में काम आसानी से काम किया जा सके. दूसरा ये कि राजस्थान और पंजाब पुलिस की नज़रों से बचा रहे.
यूं हुआ एनकाउंटर राजस्थान पुलिस की नज़र लंबे समय से भादू पर थी. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक अंकित भादू की गर्लफ्रेंड कुछ दिन पहले कनाडा से लौटी थी. पुलिस की नज़र उस पर भी थी. पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो सारा भेद खुल गया. उसने पुलिस को भादू का पता बता दिया. इधर राजस्थान पुलिस से टिप मिली और उधर पंजाब पुलिस की ओकू टीम ने भादू के फ्लैट को घेर लिया. 7 फरवरी की शाम 6.15 बजे के लगभग खुद को घिरा देख भादू घबरा गया. उसने तीसरी मंजिल से दूसरी मंजिल पर छलांग लगा दी. वहां मौजूद एक घर में 6 साल की बच्ची को उसकी मां से छीन लिया. इसके बाद फिल्मी स्टाइल में भादू पुलिस को धमकाने लगा. कि अगर गोली चलाई तो बच्ची को मार दूंगा. पुलिस ने भादू को सरेंडर का मौका दिया. लेकिन उसने ऐसी गलती की, जो उसके ख़ात्मे की वजह बनी. उसने पुलिस पर गोली चला दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डीएसपी बिक्रम बराड़ ने स्पेशलाइज्ड वेपन से तीन गोलियां दागीं और भादू गिर पड़ा. घायल भादू को चंडीगढ़ के सेक्टर 32 के अस्पताल में ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे मरा घोषित कर दिया. इस एनकांउटर में अंकित भादू के दोनों साथी जिंदा काना और जर्मनजीत को ज़िंदा दबोच लिया गया. 30 मिनट तक चले इस एनकाउंटर के दौरान बच्ची के पांव में छर्रे लगे. जिससे उसको मामूली चोट आई है. पंजाब पुलिस के एएसआई सुखविंदर सिंह भी इस ऑपरेशन में घायल हो गए. उनकी जांघ में गोली लगी है. हालांकि अब दोनों खतरे से बाहर हैं.
लॉरेंस बिश्नोई गैंग
लॉरेंस बिश्नोई गैंग. (फोटो: Facebook/AnkitBhadu)

कौन था अंकित भादू? अंकित भादू पंजाब के फाज़िल्का जिला के गांव सेरेवालां का रहने वाला था. ये गांव राजस्थान बॉर्डर के पास है. उसकी उम्र 25 के आस-पास बताई जा रही है. अंकित भादू कुख़्यात गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई के ग्रुप का गैंगस्टर था. लॉरेंस के जेल जाने के बाद वही गैंग का काम देख रहा था. भादू क़त्ल, लूट और फ़िरौती जैसे 20 से ज्यादा मामलों में वॉन्टेड था. एनकांउटर से एक दिन पहले ही उस पर इनाम घोषित किया गया था. मई 2018 में एक हिस्ट्रीशीटर विनोद जाट उर्फ़ जॉर्डन को राजस्थान के श्रीगंगानगर में गोली मारी गई थी. मारने वालों में अंकित भादू का नाम आया था. अंकित भादू सोपू (स्टूडेंट ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी) की राजस्थान यूनिट का प्रेज़िडेंट भी था. लॉरेंस विश्नोई और संपत नेहरा की गिरफ्तारी के बाद सिर्फ़ भादू ही इस गैंग का इकलौता बचा इनामी बदमाश था.
अंकित भादू सोपू (स्टूडेंट ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी) की राजस्थान यूनिट का प्रेज़िडेंट भी था.
अंकित भादू सोपू (स्टूडेंट ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी) की राजस्थान यूनिट का प्रेज़िडेंट भी था.(फोटो: Facebook/AnkitBhadu)

जेल से भाग निकला था अंकित भादू को धर-दबोचने की कई बार कोशिश की थी. लेकिन वो हर बार बच जाता था. इससे पहले वो तीन बार पुलिस को चकमा दे चुका था. भादू जुलाई 2015 में एक बार पुलिस की पकड़ में आया था. 2 साल तक जेल में रहा. मुकदमे चलते रहे. फिर साल 2017 में कपूरथला जेल से भाग निकला. अगस्त 2018 में राजस्थान और हरियाणा पुलिस ने भादू को पकड़ने के लिए जाल बिछाया. लेकिन इस जॉइंट टीम को सफलता नहीं मिली. उस समय भी अबोहर-हनुमानगढ़ के बीच पड़ने वाले गदरखेड़ा गांव में एनकांउटर हुआ था. दोनों तरफ से करीब 47 राउंड फायर किए गए थे. यहां तक कि पुलिस ने उस फार्महाउस को आग के हवाले कर दिया था जिसमें भादू छुपा हुआ था. उस वक्त भादू ने खेतों में भाग कर जान बचाई थी.
पंजाब पुलिस की आर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट(ओकू) क्या है पिछले कुछ दशकों में पंजाब समेत साथ लगते राज्यों में नशे के कारोबार के चलते आर्गेनाइज्ड क्राइम बढ़ा है. आर्गेनाइज्ड क्राइम माने गैंग बनाकर किया जाने वाला क्राइम. उस समय पंजाब के डीजीपी रहे सुरेश अरोड़ा ने बड़ी ईमानदारी से स्वीकारा था कि 100 से ज्यादा गैंगस्टर जेल में बंद होने के बावजूद गैंग ऑपरेट कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि पूरे प्रदेश में 57 से ज्यादा गैंग ऐक्टिव हैं और इनसे जुड़े 400 से ज्यादा गैंगस्टर दहशत फैला रहे हैं. पंजाब पुलिस ने इस तरह के क्राइम से निपटने के लिए मई 2017 में एक स्पेशल यूनिट बनाई. इसे आईजी लेवल के अधिकारी हेड करते हैं. यूनिट राज्य में ऐक्टिव हर गैंगस्टर के बारे में पूरी जानकारी रखती है. पिछले साल ओकू ने विक्की गोंडर नाम के नामी गैंगस्टर को मार गिराया था. हालांकि ऐसा कोई आंकड़ा तो सामने नहीं आया जिसमें कहा जा सके कि पंजाब में ऑर्गेनाइज्ड क्राइम में कमी आई है. लेकिन पंजाब पुलिस के नए डीजीपी बने दिनकर गुप्ता के लिए ये राहत की ख़बर ज़रूर है.


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