देश का हर चौथा 'भिखारी' मुसलमान है!
देश में कुल कितने भिखारी हैं. उनमें किस धर्म के कितने हैं. कानून उनके बारे में क्या कहता है?
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Symbolic Photo: Reuters
लेकिन! देश का हर चौथा भिखारी मुसलमान है. देश में टोटल 3.7 लाख भिखारियों में से करीब 25 फीसदी मुसलमान हैं. जबकि कुल आबादी में उनका हिस्सा 14.23 फीसदी ही है.2011 की जनगणना में जो 'नॉन वर्कर्स' हैं, उनका धार्मिक डेटा 2016 के जून महीने में महीने रिलीज हुआ था. जनवरी 2019 के हिसाब से थोड़ा पुराना है लेकिन इतना भी नहीं कि बहुत बड़ा बदलाव आ चुका हो. बहरहाल ये आंकड़े फिर गवाही देते हैं कि अपने यहां मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक तौर पर बहुत कमजोर है. सच्चर कमेटी भी यही कहती है. भिखारियों में से 72.2 फीसदी हिंदू हैं. टोटल पॉपुलेशन में उनकी हिस्सेदारी 79.8 फीसदी की है.
हालांकि पिछली जनगणना के मुकाबले, भारत में भिखारियों की संख्या घटी है. 2001 में अपने यहां 6.3 लाख लोग भीख मांगकर गुजारा करते थे.ईसाई भारत की आबादी का 2.3 फीसदी हैं और भिखारियों में उनकी संख्या 0.88 फीसदी है. कुल 3.7 लाख भिखारियों में 0.52 फीसदी बौद्ध, 0.45 फीसदी सिख, 0.06 फीसदी जैन शामिल हैं.

मुसलमान भिखारियों में औरतें ज्यादा हैं
खराब बात ये है कि मुस्लिम भिखारियों में मर्दों से ज्यादा औरतें हैं. जबकि बाकी धर्मों में मर्द भिखारी ज्यादा हैं. नेशनल ऐवरेज के मुताबिक, कुल भिखारियों में 53.13 परसेंट पुरुष और 46.87 परसेंट महिलाएं हैं. लेकिन मुस्लिम भिखारियों में 43.61 परसेंट पुरुष और 56.38 परसेंट महिलाएं हैं.और कानून का हाल!
और इन हालात में सबसे खतरनाक तो सरकारी कानून है. भीख मांगना भारत में गैरकानूनी है और इसके लिए 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती है. देश के लगभग सभी प्रदेशों में 'द बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट, 1959' लागू है. इस क्षेत्र में काम करने वाले एक्टिविस्ट इस कानून के खिलाफ रहे हैं. उनका कहना है कि इसमें भीख मांगने वालों का स्पष्ट कैटेगराइजेशन नहीं है. बल्कि, अपना गांव-घर छोड़कर शहरों में फुटपाथ पर सोने वाले बेघर मजदूरों को भी इसके तहत भिखारी माना गया है.कानून के मुताबिक, अगर आपके पास गुजारे का कोई प्रकट सोर्स नहीं है और आप पब्लिक स्पेस में भटक रहे हैं तो आप कानून की भाषा में 'भिखारी' हैं. भिखारी सिर्फ वो नहीं है जो आपकी कार के शीशे के बाहर हाथ फैलाकर खड़ा है. वो भी है जो कला दिखाकर पैसा मांग रहा है. गाकर, नाचकर, ज्योतिष विद्या से या सड़क पर नाटक दिखाकर पैसा मांगने वालों को भी भिखारी माना जाता है.3.7 लाख तो आंकड़ों में दर्ज हैं. पुलिस चाहे तो देश में लाखों लोगों को जेल में डाल सकती है और उन्हें 3 से 10 साल जेल में बिताने पड़ सकते हैं. भिखारियों के रिहैब की व्यवस्था नहीं है. लेकिन गैर-भिखारियों को भी भिखारी बताकर जेल में ठूंसने का पूरा इंतजाम है. कमाल है! भिखारियों को जेल में डालने से भिक्षावृत्ति खत्म होती है क्या?