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राधा स्वामी वाले गुरु के पूरे परिवार ने बहानों की झड़ी लगा दी, ताकि कोर्ट न जाना पड़े!

किसी की सर्जरी, किसी का सत्संग, कोई पहले से ही विदेश में...

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राधा स्वामी सतसंग ब्यास के गुरु गुरिंदर सिंह ढिल्लन ने दिल्ली हाईकोर्ट की तारीख के पहले न आने की कई वजहें बताई हैं.
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सौरभ
8 नवंबर 2019 (Updated: 8 नवंबर 2019, 11:42 AM IST)
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राधा स्वामी सत्संग ब्यास. शॉर्ट में आरएसएसबी. बहुत बड़ी संस्था. बीस लाख से ज्यादा भक्त. देशभर में करीब 5,000 केंद्र. इसके प्रमुख हैं गुरिंदर सिंह ढिल्लों. उनको और उनके परिवार को 14 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में पेश होना था. दाइची सांक्यो केस के सिलसिले में. हजारों करोड़ों का मामला है. केस की जानकारी आगे बताते हैं. पहले सुनने लायक चीज है बहाने. कोर्ट न पहुंच पाने के जो इस परिवार ने बनाए हैं. बिजनेट टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक गुरिंदर सिंह ढिल्लों का कहना है कि उन्होंने ठीक कोर्ट में सुनवाई वाले दिन एक सत्संग का वादा कर रखा है. सो वो नहीं आ सकते. उनकी पत्नी शबनम ढिल्लों ने यूके के एक हॉस्पिटल में गैस्ट्रिक सर्जरी की डेट होने की बात कही है. सर्जरी की तारीख है 20 नवंबर तो उनको 12 नवंबर को निकलना होगा. बेटे गुरकीरत ने कहा, मां अकेले तो जाएंगी नहीं. सो वो उनके साथ जाएंगे. बड़े बेटे गुरप्रीत का कहना है कि वो सिंगापुर में हैं. बहू नयनतारा का कहना है कि उनके 4 साल के बच्चे का इंप्लांट होना है, इसलिए वो कोर्ट नहीं आ सकतीं.
बिजनेट टुडे की रिपोर्ट में एक मजेदार दावा ये है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास की वेबसाइट पर 14 नवंबर के शेड्यूल में किसी सत्संग का जिक्र नहीं है. रुद्रपुर में जरूर 12 नवंबर को सत्संग होगा जो 13 को खत्म हो जाएगा. अब इन सब बहानों और परिवार के तमाम सदस्यों के विदेश जाने की आशंका के बाद सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि क्या इन लोगों के खिलाफ कोई लुकआउट नोटिस जारी हुआ है कि नहीं. कोर्ट ने गुरिंदर सिंह ढिल्लों के परिवार समेत करीब 55 लोगों को बुलाया था. क्या कोर्ट इनको रोकने के लिए कुछ कदम उठाएगा.
मामला क्या है?
गुरिंदर सिंह ढिल्लों के मामा की बेटी बेटी निम्मी सिंह के दो बेटे हैं. मलविंदर और शिवेंदर सिंह. ये कभी रैनबेक्सी के प्रमोटर थे. 2008 में इन्होंने रेनबेक्सी कंपनी का अपना स्टेक बेचा. खरीदने वाली कंपनी थी जापान की दाइची सांक्यो. ये 2.4 बिलियन डॉलर की डील थी. पर कुछ दिन बाद अमेरिका में ड्रग रेग्युलेटर ने रेनबेक्सी के आयात पर बैन लगा दिया. कहा, दवाई की क्वॉलिटी खराब है. दाइची की वॉट लग गई. आगे चलकर 2013 में दाइची ने दोनों भाइयों पर मुकदमा ठोक दिया. 2014 में उसने सन फार्मा के हाथों रेनबेक्सी बेच दी. तब तक दाइची को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका था.
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मलविंदर सिंह ने 6000 करोड़ के बकाया होने की बात कोर्ट से कही थी.

दाइची वाली डील से जो पैसे आए थे, उनमें से 2,700 करोड़ रुपये इन दोनों भाइयों ने कथित तौर पर गुरिंदर सिंह ढिल्लों परिवार को ट्रांसफर कर दिए. ये शायद साथ मिलकर कारोबार करने की मंशा से दिया गया होगा. दोनों भाइयों का कहना है कि ढिल्लों उनके गुरु हैं. कि उनके बीच गुरु-शिष्य का संबंध है. मगर अच्छे दिनों में दिए गए ये पैसे बुरे दिनों में भी वापस नहीं मिले. ब्याज जोड़ दें, तो अब वो रकम 5,000 करोड़ रुपये तक हो गई है.
कोर्ट रैनबेक्सी के पूर्व प्रमोटरों को दाइची सांक्यो को 3500 करोड़ के भुगतान के आदेश दे चुकी है. कोर्ट ने इसके साथ ही गुरिंदर सिंह ढिल्लों और उनके परिवार सहित 55 लोगों तथा इकाइयों को 6000 करोड़ रुपये आरएचसी होल्डिंग(मलविंदर सिंह ) को देने के आदेश दिए थे. मलविंदर सिंह ने कोर्ट में हलफनामा डाल कहा था कि इन लोगों के पास उनका 6000 करोड़ बकाया है. उनका कहना था कि जापानी कंपनी को वो तभी पैसा चुका पाएंगे जब उनको ये पैसा वापस मिले. हालांकि ढिल्लों परिवार ने ऐसे किसी भी बकाए से इनकार किया था. ढिल्लों ने कहा था कि आरएचसी होल्डिंग का दावा झूठा है. अदालत ने इसके बाद दोनों पक्षों को एफिडेविट देकर दावे पेश करने के निर्देश दिए थे. इसी के साथ सुनवाई 14 नवंबर को होनी है.


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