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छत्तीसगढ़: 104 घंटे बाद बोरवेल से ज़िंदा बच निकला 11 साल का राहुल, जानिए कैसे हुआ ऑपरेशन!

रास्ते में पत्थर आए, अंदर थे सांप और मेढक, मशीन और आदमी सब लग गए, जानिए एक-एक पल का हाल

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Rahul Rescue operation
11 साल का राहुल (फोटो- आज तक/@bhupeshbaghel)
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साकेत आनंद
15 जून 2022 (Updated: 15 जून 2022, 11:38 AM IST) कॉमेंट्स
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छत्तीसगढ़ में 11 साल के राहुल को पूरे 104 घंटे बाद बोरवेल से बाहर निकाल लिया गया. जांजगीर-चांपा जिले के पिरहिद गांव में पिछले 5 दिनों से राहुल को बचाने की जद्दोजहद चल रही थी. शुक्रवार, 10 जून को राहुल अपने घर के पीछे ही करीब 65 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. इसके बाद से NDRF, सेना, स्थानीय पुलिस और दूसरे अधिकारियों की टीम उसे निकालने में जुटी थी. मंगलवार 14 जून की रात राहुल को बोरवेल से सुरक्षित निकाले जाने के बाद उसे बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भेजा गया. उसकी हालत स्थिर है.

आजतक से जुड़े नरेश शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 जून को दोपहर दो बजे राहुल बोरवेल में गिरा था. परिवारवालों को पता चला तो स्थानीय प्रशासन को जानकारी दी गई. इसके बाद कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने एक टीम को तैयार कर कार्रवाई शुरू की. बोरवेल में ऑक्सीजन पाइपलाइन की व्यवस्था की गई. कैमरा लगाया गया ताकि उस पर नजर रखा जा सके. खाने-पीने के कुछ सामान भी नीचे तक पहुंचाए जा रहे थे. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए राज्य आपदा प्रबंधन टीम के अलावा NDRF और सेना की टीम को भी वहां पहुंचना पड़ा.

बाहर निकालने में अधिक समय क्यों लगा?

10 जून की रात राहुल को मैनुअल क्रेन के जरिए रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई थी. लेकिन रस्सी पकड़ने को लेकर राहुल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक बाद में परिवारवालों की सहमति से बोरवेल के किनारे खुदाई करके रेस्क्यू करने का फैसला लिया गया. 10 जून की आधी रात से ही अलग-अलग मशीनों से बोरवेल के बगल में एक टनल बनाने के लिए खुदाई शुरू की गई. इस दौरान कई बार मजबूत पत्थरों के कारण ड्रिलिंग में दिक्कतें आईं. इसके लिए बिलासपुर से अधिक क्षमता वाली मशीनें मंगाई गई और अभियान को आगे बढ़ाया गया. गुजरात के सूरत से रोबोट भी मंगाया गया था. रेस्क्यू टीम वॉकी टॉकी के जरिए संपर्क बना रहे थे.

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी NDRF की टीम

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार राहुल के अंदर फंसे होने के कारण कई जगहों पर चट्टानों को ड्रिलिंग मशीन के बजाय हाथ से तोड़ा गया. ताकि बच्चे को कोई नुकसान न हो. मिट्टी हटाते हुए रेस्क्यू टीम आगे बढ़ी. काफी घंटों के बाद टनल का रास्ता बोरवेल से मिला. वहां से रेस्क्यू टीम रस्सी के जरिए राहुल को बाहर निकाला. एंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम को पहले से तैयार रखा गया था.

बच्चा बहुत बहादुर है- भूपेश बघेल 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रेस्क्यू के बाद राहुल के मम्मी और पापा से वीडियो कॉल पर बात की. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 

"हमारा बच्चा बहुत बहादुर है. उसके साथ गढ्ढे में 104 घंटे तक एक सांप और मेढक उसके साथी थे. आज पूरा छत्तीसगढ़ उत्सव मना रहा है, जल्द अस्पताल से पूरी तरह ठीक होकर लौटे, हम सब कामना करते हैं. इस ऑपरेशन में शामिल सभी टीम को पुनः बधाई एवं धन्यवाद."

कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने कहा कि यह ऑपरेशन बिल्कुल भी आसान नहीं था. आंधी-तूफान के कारण भी कुछ देर काम प्रभावित हुआ था. लगातार बोरवेल के अंदर रहने से राहुल कमजोर हुआ है लेकिन उसकी हालत ठीक है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए बोरवेल को खुला ना छोड़ें  
 

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