The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Bareilly Fake conversion case Court orders action against UP police, complainant in UP

UP: धर्मांतरण का केस दर्ज हुआ, आरोपी की नौकरी गई, जेल जाना पड़ा, अब कोर्ट ने कहा- 'ये बेगुनाह है'

UP के Bareilly जिले में दो लोगों पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगा. अब कोर्ट ने इन दोनों को झूठा फंसाने के लिए पुलिसकर्मियों, शिकायतकर्ता और गवाहों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया है. क्या हुआ था? कैसे दर्ज हुआ था ये झूठा मामला?

Advertisement
bareilly news
इस झूठे मामले में आरोपी को कई दिनों तक जेल में रहना पड़ा | प्रतीकात्मक फोटो: आजतक
pic
अभय शर्मा
21 अगस्त 2024 (Updated: 25 अगस्त 2024, 07:16 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बरेली की एक अदालत ने कुछ लोगों का जबरन धर्मांतरण करवाने के आरोपी दो लोगों को बरी कर दिया है. इन पर आरोप था कि ये लोगों को ईसाई बना रहे हैं. अब कोर्ट ने इस मामले में इन दोनों को झूठा फंसाने के लिए पुलिसकर्मियों, शिकायतकर्ता और गवाहों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और इस हरकत को सभ्य समाज के लिए चिंताजनक बताया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इस तरह से तो कोई भी व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए किसी पर भी एफआईआर दर्ज करवा सकता है. और उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े धीरज मिश्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला 29 मई, 2022 का है. तब बरेली के सकतपुर गांव के रहने रहने वाले और हिंदू जागरण मंच के जिला अध्यक्ष हिमांशु पटेल ने बिथरी चैनपुर थाने में एक FIR दर्ज करवाई थी. इसमें उन्होंने रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज के पूर्व कर्मचारी अभिषेक गुप्ता पर आरोप लगाया कि वो बिचपुरी गांव में आठ लोगों के साथ मिलकर धर्मांतरण का काम कर रहे हैं.  

गोरखपुर जिले के रहने वाले अभिषेक गुप्ता साल 2007 से मेडिकल कॉलेज के सीटी स्कैन विभाग में तैनात थे. FIR हुई तो उनकी नौकरी चली गई और यूपी के गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 की धाराओं के तहत उन्हें अरेस्ट कर लिया गया. साथ ही बिचपुरी गांव के कुंदन लाल को इस काम में उनका सहयोग करने के लिए गिरफ्तार किया गया. दोनों को पुलिस ने जेल भेज दिया.

अब इन दोनों को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता हिमांशु पटेल ने झूठा और मनगढंत मामला दर्ज करवाया है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा,

‘इस मामले में आरोपी अभिषेक गुप्ता को न सिर्फ अपनी नौकरी गंवानी पड़ी, बल्कि उन्हें आर्थिक और सामाजिक नुकसान भी उठाना पड़ा. आरोपी कुंदन लाल को किसी भी गवाह द्वारा घटनास्थल पर उपस्थित नहीं बताया गया है. न वो वांटेड थे, फिर भी कथित तौर पर आरोपी अभिषेक गुप्ता के बयान के आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.’

कोर्ट ने कहा कि ये स्पष्ट है कि पुलिस ने इस मामले में दबाव में काम किया. शिकायतकर्ता हिमांशु पटेल ने केवल पब्लिसिटी के लिए ये मामला उठाया और उन्होंने बिल्कुल निराधार, मनगढ़ंत और काल्पनिक कहानी को कानूनी रूप देने की कोशिश की.

ये भी पढ़ें:-"वो तो बिच्छू भी...", बरेली सीरियल किलर पर सौतेली मां के दावे यूपी पुलिस पर सवाल खड़े कर गए

अदालत के आदेश में कहा गया है कि इस मामले में शामिल वादी, गवाह, पुलिसकर्मी, एफआईआर का निर्देश देने वाले पुलिस थाना प्रभारी, जांचकर्ता और चार्जशीट को मंजूरी देने वाले सर्कल अधिकारी, असली अपराधी हैं.

अदालत ने बरेली के एसपी अनुराग आर्य को इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है.

वीडियो: तारीख: झुमका वाले गाने का बरेली से क्या कनेक्शन है? पूरा इतिहास जान लीजिए, ऐसे किस्से पहले कभी नहीं सुने होंगे

Advertisement