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कोरोना के मरीज को कब तक होम आइसोलेशन में रहना चाहिए, डॉ. रणदीप गुलेरिया से जानिए

बताया- कोरोना के मरीज को कब ऑक्सीजन की जरूरत होती है.

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AIIMS के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना के लक्षणों, इलाज, होम आइसोलेशन समेत कई अहम पहलूओं पर विस्तार से बात की.   फोटो-PTI
AIIMS के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना के लक्षणों, इलाज, होम आइसोलेशन समेत कई अहम पहलूओं पर विस्तार से बात की. फोटो-PTI
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1 मई 2021 (Updated: 1 मई 2021, 08:38 AM IST) कॉमेंट्स
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AIIMS के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना के लक्षणों, इलाज, होम आइसोलेशन समेत कई अहम पहलुओं पर बात की है. उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन में क्या करें, क्या न करें. होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों का सबसे बड़ा सवाल ये होता है कि आखिर कब तक उन्हें होम आइसोलेशन में रहना चाहिए. कहने का मतलब है कि जिस तरह से हॉस्पिटल में रहने वाले मरीज डिस्चार्ज होते हैं, उसी तरह होम आइसोलेशन कब खत्म करना सही रहेगा. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार, 30 अप्रैल को हुई प्रेस कांफ्रेस में डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ऐसे तमाम सवालों के जवाब दिए. 10 दिनों का होम आइसोलेशन ज़रूरी डॉक्टर रणदीप गुलेरिया बताया कि 10 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहने के बाद अगर मरीज को किसी भी तरह के लक्षण नहीं हैं, तो होम आइसोलेशन खत्म किया जा सकता है. इन दस दिनों में कम से कम तीन दिन ऐसे होने चाहिए जब मरीज को बुखार न रहा हो. उन्होंने कहा-
मान लीजिए जिस दिन आपको लक्षण दिखे और आपने होम आसोलेशन शुरू कर दिया, उसके छठवें, सांतवें दिन से आपको लगातार तीन दिन तक बुखार नहीं आता है तो दस दिन में आप होम आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं.
उन्होंने बताया कि ऐसा देखा गया है कि हल्के लक्षण वाले मरीजों में ये वायरस आठ दिन के बाद कमजोर पड़ने लगता है. यानी ऐसा व्यक्ति किसी और को संक्रमण नहीं दे सकता है. होम आइसोलेशन ( home Isolation ) के बाद किसी तरह के टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि एसिम्प्टोमैटिक केसेज में  वायरस आठ दिन के बाद से कमजोर पड़ जाता है. कब होती है ऑक्सीजन की जरूरत? डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि अगर लगे कि ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल कम हो रहा है, 90 के पास आ रहा है या आपको सांस में दिक्कत आ रही है, आप खुलकर सांस नहीं ले पा रहे हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. यह बहुत जरूरी है ताकि आपको समय पर इलाज मिल सकेगा और अगर भर्ती करने की जरूरत हुई तो समय से भर्ती हो सकेंगे. हॉस्पिटल में कब भर्ती हों? डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कुछ वार्निंग साइन होते हैं जैसे अगर आपको सांस लेने में दिक्कत है , छाती में तेज दर्द है या केयर करने वाला मरीज को एकदम सुस्त, कंफ्यूज देखे, मरीज जवाब देने में असमर्थ हो तो इन्हें वार्निंग साइन मानकर तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहिए. होम आइसोलेशन में न करें रेमडेसिविर का इस्तेमाल- डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि होम आइसोलेशन में रेमडेसिविर ( Remdesivir ) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस दवा के अपने साइडइफेक्ट्स हैं और सिर्फ अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए यह दवा एडवाइज की जा रही है. उन्होंने कहा कि पहले भी कहा है, आज भी कहना चाहूंगा कि रेमडेसिविर होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों यानी माइल्ड इन्फेक्शन या एसिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीजों के लिए बिल्कुल फायदेमंद नहीं है बल्कि इसके नुकसान ही है. इसलिए घर पर रेमडेसिविर बिल्कुल न लें. मास्क लगाना है बेहद जरूरी- मास्क लगाने को ज़रूरी बताते हुए एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि हम इस तरह की प्रतिक्रियाएं देखते हैं कि ‘कोरोना एक घोटाला है, मुझे मास्क की जरूरत नहीं है, इसके आगे भी जिंदगी है’, इस तरह की बातों पर बिल्कुल ध्यान मत दीजिए और नियमों का पालन कीजिए क्योंकि हम थक सकते हैं, लेकिन वायरस नहीं थकता है.

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