टाइटैनिक का मलबा देखने उतरी पनडुब्बी का जैसा हश्र हुआ, आप अनुमान नहीं लगा सकते
पनडुब्बी में सवार लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं. समंदर की तलहटी पर मलबा बिखरा मिला है.

टाइटैनिक जहाज का मलबा दिखाने गई पनडुब्बी ‘टाइटन’ को लेकर सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं. यूएस कोस्ट गार्ड और टाइटन को ऑपरेट करने वाली कंपनी ओशनगेट, दोनों ने टाइटन में गए 5 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी है. गुरुवार, 22 जून को यूएस कोस्ट गार्ड को अटलांटिक सागर की तलहटी में टाइटैनिक के पास मलबा मिला. इसके कुछ देर बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. इसमें कहा गया, “हमें जो मलबा मिला, वो टाइटन का ही है.”
ओशनगेट ने भी स्टेटमेंट जारी कर हादसे की पुष्टि की है. हालांकि, अभी तक मौतों की असली वजह नहीं बताई गई है. प्रथम दृष्टया माना गया है कि पनडुब्बी इंप्लोज़न का शिकार हुई होगी. माने पानी के दबाव के चलते अचानक बिखर गई. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसके कारण पांचों लोगों की तुरंत मौत हो गई.
पनडुब्बी में कौन लोग सवार थे?- ब्रिटिश उद्योगपति हामिश हार्डिंग. उम्र 58 साल
प्राइवेट जेट बेचने वाली कंपनी एक्शन एविएशन के मुखिया थे. अंटार्कटिक लग्जरी टूरिस्ट कंपनी ‘वाइट डेजर्ट’ के साथ भी काम किया. इस कंपनी ने अंटार्कटिका के लिए पहली जेट सर्विस शुरू की थी. हार्डिंग ने नामीबिया से चीतों को लाने में भारत सरकार की मदद की थी. वो साउथ पोल की कई यात्राएं कर चुके हैं. 2022 में जेफ़ बेज़ोस की ब्लू ओरिजन कंपनी के साथ अंतरिक्ष की यात्रा पर भी गए थे. वो दुनिया की सबसे गहरी जगह प्रशांत महासागर में स्थित मेरियाना ट्रेंच में भी उतर चुके थे.
- पाकिस्तानी मूल के बाप-बेटे: शहज़ादा दाऊद और सुलेमान दाऊद
48 वर्षीय शहज़ादा दाऊद केमिकल-टू-एनर्जी कंपनी एंग्रो कॉर्पोरेशन के वाइस-प्रेसिडेंट थे. उनकी कंपनी खाद और पेट्रो-केमिकल उत्पाद बनाती है. शहज़ादा ब्रिटेन के किंग चार्ल्स की चैरिटी प्रिंस ट्रस्ट इंटरनैशनल के बोर्ड मेंबर भी थे. उनके बेटे सुलेमान दाऊद भी पिता के साथ टाइटैनिक का मलबा देखने गए थे.
- चौथा नाम, स्टॉकटन रश
रश, टाइटन को ऑपरेट करने वाली कंपनी ओशनगेट के फ़ाउंडर और सीईओ थे. 1981 में जेट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट से 19 की उम्र में लाइसेंस लिया था. वो उस वक्त दुनिया के सबसे युवा जेट ट्रांसपोर्ट पायलट बने थे. रश के पास प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री थी. 2022 में ओशनगेट के फ़ाउंडर और सीईओ स्टॉकटन रश ने CBS न्यूज़ से बात की थी. उन्होंने कहा था, “मछली पकड़ने वाले जाल या किसी दुर्घटना की वजह से पनडुब्बी फंसी रह सकती है. लेकिन ख़तरा तो कार में बैठने पर भी होता है. तो क्या आप कार में बैठना छोड़ देंगे?” संयोग देखिए, स्टॉकटन रश उन पांच लोगों में से थे, जिनकी हादसे में मौत हो चुकी है.
स्टॉकटन रश, पनडुब्बी के पायलट भी थे. माने वो ही इसे चला रहे थे. टाइटैनिक और रश के बीच एक संयोग और है. उनकी पत्नी वेंडी रश के पूर्वज उद्योगपति इसिडॉर स्ट्रॉस और उनकी पत्नी आइडा स्ट्रॉस टाइटैनिक के यात्री थे.
- पांचवां नाम, फ़्रांसीसी खोजी पॉल आनरी नार्जियोले
77 साल के पॉल को मिस्टर टाइटैनिक के नाम से जाना जाता था. वो फ़्रेंच नेवी में थे. 1987 में पहली बार टाइटैनिक का मलबा देखने समंदर में उतरे थे. उससे दो बरस पहले ही रॉबर्ट बलार्ड ने मलबे की तलाश पूरी की थी. तब से अब तक वो 35 बार इस मलबे तक की यात्रा कर चुके थे.
टाइटन एक तरह की पनडुब्बी थी. इसका शरीर कार्बन-फ़ाइबर से बना था. इसका साइज़ छोटी कार के बराबर था. लंबाई लगभग सात मीटर. सामने की तरफ़ पारदर्शी खिड़की लगी थी. जिससे लोग बाहर का नज़ारा देख सकते थे. इसमें एक पायलट के अलावा 4 और लोग बैठ सकते थे. 17 साल से ऊपर के लोग इसका टिकट ले सकते थे. एक टिकट की कीमत लगभग दो करोड़ रुपये थी. इसने 18 जून को कनाडा के न्यूफ़ाउंडलैंड से यात्रा शुरू की थी.
टाइटैनिक का मलबा अटलांटिक सागर में लगभग चार हज़ार मीटर नीचे है. इसकी खोज सितंबर 1985 में यूएस नेवी के अफ़सर रॉबर्ट बलार्ड और उनकी टीम ने की थी. उसके बाद वैज्ञानिकों और एक्सप्लोरर्स ने रिसर्च के मकसद से कई बार दौरा किया. फिर 2010 के दशक में नई रेस शुरू हुई. मलबे तक पहुंचने और मलबे का दीदार करने की. कुछ कंपनियों ने टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत की. ओशनगेट उन्हीं में से एक है. उसके पास टाइटन जैसी कुछ और पनडुब्बियां भी हैं.
एक बार में टाइटैनिक तक पहुंचकर वापस बाहर आने में टाइटन को लगभग आठ घंटे लगते थे. इसमें एक बार में 96 घंटों तक चलने लायक ऑक्सीजन भरा जा सकता था. टाइटन को बाहर से पोलर प्रिंस नाम के जहाज से सपोर्ट मिल रहा था. लेकिन 18 जून को डुबकी लगाने के लगभग दो घंटे बाद ही संपर्क टूट गया. संपर्क टूटने के आठ घंटे बाद यूएस कोस्ट गार्ड को अलर्ट किया गया. उसके बाद कोस्ट गार्ड ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया.
इस ऑपरेशन में कौन-कौन जुटे थे?- डीप एनर्जी नाम का एक जहाज था. उसके पास दो रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROV) थे. ये समंदर में 3 हज़ार मीटर की गहराई तक जा सकते हैं.
- कनाडा का अटलांटिक मरीन नाम का जहाज भी तलाशी अभियान में जुटा था. कनाडा ने नौसेना का एक जहाज मेडिकल सपोर्ट के लिए रवाना किया था.
- फ़्रांस ने भी अपना एक जहाज भेजा था. उनका ROV मलबे की गहराई तक जा सकता था.
इन सबके अलावा, यूएस कोस्ट गार्ड के हेलिकॉप्टर्स, अमेरिका की डिफ़ेंस मिनिस्ट्री, होमलैंड सिक्योरिटी समेत कई एजेंसियां खोई हुई पनडुब्बी को तलाश रही थीं. फ़्रांस की एक पनडुब्बी तलाशी वाले एरिया में पहुंच चुकी थी. लेकिन 22 जून की दोपहर एक ROV को मलबे का कुछ हिस्सा मिला. पहले आशंका जताई गई कि ये टाइटन का मलबा हो सकता है. कुछ समय बाद यूएस कोस्ट गार्ड और ओशनगेट ने इस आशंका पर मुहर लगा दी. इसके साथ ही टाइटैनिक से जुड़ी त्रासदी वापस लौट आई है. टाइटन हादसे को टाइटैनिक पार्ट-2 का नाम दिया जा रहा है.
टाइटैनिक के साथ क्या हुआ था?टाइटैनिक अपने समय का सबसे विशाल और आलीशान जहाज था. लॉन्च से पहले ही इसको समंदर की महारानी कहा जाने लगा था. 10 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक साउथैम्पटन के बंदरगाह से रवाना हुई. इसमें 2200 से अधिक लोग सवार हुए. इनमें दुनिया की कुछ सबसे चर्चित हस्तियां भी थीं. उनकी मंज़िल लगभग साढ़े 5 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर बसा अमेरिका का न्यू यॉर्क शहर था. लेकिन सफ़र की शुरुआत में ही टाइटैनिक बर्फ की चट्टान से टकरा कर ओझल हो गया. हादसे में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए. जो बच गए, उनके पास रह गई कहानियां.
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