कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही इसके इलाज के तरीके भी खोजे जा रहे हैं. ऐसा ही एक तरीका है प्लाज्मा ट्रीटमेंट. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR इसे हरी झंडी दिखा चुका है. इसके बाद गुजरात ने प्लाज्मा ट्रीटमेंट के लिए ट्रायल शुरू किया है. अहमदाबाद के सरदार पटेल अस्पताल में इस पर काम हो रहा है. अस्पताल को प्लाज्मा डोनर भी मिल चुका है. स्मृति ठक्कर गुजरात की पहली प्लाज्मा डोनर हैं. वह कुछ दिनों पहले ही कोरोना वायरस से ठीक हुई थी. उन्होंने प्लाज्मा डॉनेट कर दिया है.
मार्च में बीमार हुई थीं स्मृति
24 साल की स्मृति 19 मार्च को पेरिस से आई थीं. इसके बाद वह कोरोना पॉजीटिव पाई गईं. उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. कोरोना से ठीक होने के बाद 6 अप्रैल को स्मृति अस्पताल से डिस्चार्ज हुई थीं. उन्होंने बताया कि अस्पताल ने उनसे प्लाज़्मा के लिए सहमति मांगी थी. माता-पिता से बात करने के बाद मैंने हां कर दी.

इसके बाद प्लाज़्मा थेरेपी के बारे में अहमदाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर विजय नेहरा ने जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया –
सीएम विजय रुपाणी का मदद के लिए शुक्रिया. ICMR से हमें सरदार वल्लभ भाई पटेल अस्पताल में प्लाज़्मा थेरेपी शुरू करने की अनुमति मिल गई है.
डॉनर मिल चुका है.
सहमति मिल चुकी है.
डॉनेशन पूरा हो चुका है.
टेस्ट चल रहा है.
इसे कल से शुरू करने की उम्मीद है.स्मृति ठक्कर और उनके परिवार का शुक्रिया.
प्लाज़्मा देने वाली स्मृति ने भी ट्वीट कर जवाब दिया. उन्होंने लिखा –
कोरोना वायरस से ठीक होने में मदद करने और इलाज के लिए गुजरात के सीएम, विजय नेहरा और नरेंद्र मोदी को धन्यवाद. मुझे उम्मीद है कि प्लाज़्मा थेरेपी से हम सभी की जान बचा पाएंगे. मैं सभी मरीजों से प्लाज़्मा डोनेट करने की अपील करती हूं. इससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान बचाई जा सकती है.
Thank you so much @CMOGuj @vnehra @narendramodi for the treatment given & help me to recover from the Covid19. I wish through #plasmatherapy we can save everyone’s life. I would request all the patients to donate your plasma as it can save the life of critical patients.
— Smruti Thakkar (@thakkar_smruti) April 18, 2020
क्या है प्लाज्मा थेरेपी
जब किसी आदमी को इंफ़ेक्शन होता है, तो उसके शरीर में इंफ़ेक्शन फैलाने वाले वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ़ एंटीबॉडी बनने लगती है. ये एंटीबॉडी उस इंफ़ेक्शन से लड़ती हैं. और शरीर को रोगमुक्त बनाती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोनावायरस से संक्रमित जो लोग ठीक हो रहे हैं. उनके शरीर के प्लाज़्मा (खून का एक जरूरी हिस्सा) में कोरोनावायरस के खिलाफ़ एंटीबॉडी बन रही है. जो कोरोना संक्रमण से बरी हो चुके हैं, वे प्लाज़्मा डोनेट कर सकते हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना मुक्त व्यक्ति के प्लाज़्मा से संक्रमित व्यक्ति की रोग से लड़ने की ताकत बढ़ सकती है. इसके लिए प्लाज़्मा को कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति को ट्रांसफर किया जाएगा. उम्मीद है कि ट्रांसफर के बाद ये प्लाज़्मा उनके शरीर में वायरस से लड़ेगा. उन्हें रोगमुक्त करेगा.
एक व्यक्ति से मिले प्लाज़्मा से कम से कम 2 और अधिक से अधिक 5 लोगों का इलाज किया जा सकता है. एक व्यक्ति के इलाज में 200-250 ml प्लाज़्मा लग सकता है. उम्मीद की जा रही है कि ऐसे केसों में तेज़ी से व्यक्ति रिकवर कर सकता है. कुछ शोध दावा करते हैं कि 3 से 7 दिनों के भीतर संक्रमित व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो सकता है. हालांकि अभी यह रिसर्च के स्तर पर ही है. यानी यह तय नहीं हो पाया है कि प्लाज़्मा थेरेपी से पूरी तरह कोरोना का इलाज हो सकता है.
भारत में कोरोना वायरस के मामलों का स्टेटस
Video: क्या है कोरोना वायरस का प्लाज्मा ट्रीटमेंट और भारत में कब शुरू होगा?