कर्नाटक में अब तक का सबसे बड़ा कोरोना वायरस क्लस्टर मैसूर जिले का नंजनगुड़ है. इस तालुके में अब तक 34 मामले सामने आए हैं. लेकिन ऑफिसर्स अब तक इसे ट्रैक नहीं कर सके हैं कि ये सब कहां से और कैसे शुरू हुआ. अभी तक मूल सोर्स तक नहीं पहुंच सके हैं.
उन्हें ये पता है कि 26 मार्च को जुबिलेंट लाइफ साइंसेज के क्वॉलिटी एश्योरेंस सेक्शन में काम करने वाला एक इंसान कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था. इसके बाद से 21 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. वह 52 साल के थे और अथॉरिटीज़ का कहना है कि उन्होंने कोई विदेश दौरा नहीं किया है.
चीन से आया माल ही इन्फेक्टेड था?
अधिकारी इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मैसूर का पहला मरीज़ किसी ऐसे आदमी के संपर्क में आया था जो हाल में भी विदेश से लौटा हो. या फिर कंपनी ने जो कन्साइनमेंट रिसीव की, वही इन्फेक्टेड था. कन्साइनमेंट के सैंपल टेस्टिंग के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं. इंडिया टुडे टीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि 15 मार्च को चीन से होते हुए चेन्नई के जरिए कम्पनी तक माल पहुंचा था.
सूत्रों के मुताबिक़, 17 मार्च को उस शख्स को बुखार हुआ. उसने 18 मार्च को छुट्टी ले ली. 19 मार्च को काम पर लौटा. 20 मार्च को करीब साढ़े ग्यारह बजे उसे गोपाला गौड़ा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. 21 मार्च को उसे सरकारी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया. इसके बाद उसका कोरोना टेस्ट हुआ. 26 मार्च को वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया.
इसके बाद नंजनगुड़ शहरी क्षेत्र में 3 किलोमीटर रेंज का एक बफर क्षेत्र बनाया गया है. सरकारी मेडिकल स्टाफ घर-घर जाकर लोगों से जानकारी ले रहे हैं कि किसी में कोरोना वायरस के लक्षण हों तो बता दें. फार्मास्युटिकल कंपनी में काम करने वाले करीब 1400 लोगों को क्वारंटीन में रखा गया है. पूरे तालुके में आने-जाने के लिए सिर्फ एक पॉइंट बनाया गया है.
कर्नाटक और कोरोना वायरस
कर्नाटक में अब तक कोरोना वायरस के 181 मामले सामने आए हैं. 28 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज कर दिए हैं, जबकि पांच लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में अभी तक कोरोना वायरस के पांच हज़ार से अधिक एक्टिव केस हैं.
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