मीडिया में इस समय एक कहानी घूम रही है. सबने दो तीन दिन तक टीवी पर एक मां को बुरी तरह रोते देखा. एक बाप को पछाड़ें खाते देखा. एक कार के शीशे में गोली का निशान देखा. पुलिस को एक मुजरिम के पीछे भागते देखा. एक दबंग औरत को अपने बेटे की करनी पर पहले छिपते छिपाते, फिर सरेंडर करते देखा.
फिलहाल कहानी इस ट्विस्ट पर रुकी है कि एक पूरा परिवार जेल में है. क्यों, शॉर्ट में इसकी हिस्ट्री जान ली जाए. आदित्य नाम के एक लड़के को गोली मार दी थी मनोरमा यादव के लड़के राकेश रंजन यादव उर्फ रॉकी यादव ने. क्योंकि उसने लैंड रोवर को पास नहीं दिया था. गुस्साए रॉकी ने आदित्य की लाइफ पर ब्रेक लगा दिया. लेकिन अपनी फैमिली में पेट्रोल डाल कर स्पीड बढ़ा दी. सब भागे भागे फिरने लगे. पहले रॉकी का बाप बिंदी यादव पकड़ में आया. फिर रॉकी जेल गया. तीन दिन गायब रहने के बाद मनोरमा ने सरेंडर कर दिया. और हां. मनोरमा के ऊपर एक केस दारू रखने का भी है. क्योंकि बिहार में शराब बैन है और पुलिस ने छापेमारी में मनोरमा के घर से शराब बरामद की थी.
इस फैमिली का वर्तमान जितना एडवेंचरबाज है, हिस्ट्री भी उतनी ही रिच है. एक एक कर प्वाइंट्स पढ़ते जाओगे तो रोएं खड़े होते जाएंगे. लेकिन आंखों के सामने मामला तो क्लियर हो जाएगा कि ये किस पेड़ का फल है.

मनोरमा फैमिली की पर्सनल हिस्ट्री
मनोरमा का ओरिजिन है पंजाब से, बिहार से नहीं. पापा हजारा सिंह ट्रक चलाते थे. जीटी रोड पर चलते थे. जो गया से होकर गुजरती है. उसी सड़क पर बाराचट्टी के पास एक ढाबा था. उस ढाबे पर वह हमेशा रुकता था. ढाबे वाली की बेटी थी कबूतरी देवी. कबूतरी से हो गया हजारा को प्यार. जल्दी ही दोनों ने शादी कर ली. हजारा सिंह ने वहीं घर बसा लिया. फिर सन 70 में पैदा हुई मनोरमा देवी.
बिंदी यादव ने जबरदस्ती कर ली थी शादी
बिंदी यादव नाम का आदमी उनके ढाबे पर आता जाता था. उसका काम था लोकल में छोटी मोटी ठेकेदारी. धीरे धीरे दबंग बनने की कोशिश में लगा था. मनोरमा बाराचट्टी के कन्या हाईस्कूल से दसवीं पास करने के बाद सोभ इंटर कॉलेज में पढ़ रही थी. 1989 में उसने मनोरमा से कर ली शादी वो भी जबरदस्ती. ऐसा लोग बताते हैं. बिंदी की दूसरी शादी थी मनोरमा की पहली. शादी के बाद मियां बीवी में कभी बनी नहीं.
सन 1990 में बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार आई. वहीं से बिंदी यादव की किस्मत का ताला खुल गया. कहा जाता है कि RJD का हाथ सिर पर रख गया तो सारे इलाके की नास पीट दी. डराने धमकाने, वसूली और ठेकेदारी के बिजनेस से अथाह पैसा बटोरा. बिंदी पर पहला केस चला था साइकिल चोरी का. लेकिन फुल फॉर्म में आने के बाद मर्डर और किडनैपिंग के दसियों केस दर्ज हो गए. कहते हैं पूरा इलाका बिंदी से डरता है. और बिंदी डरता है अपनी बीवी से. कभी तेज आवाज में बात नहीं करता. करना भी नहीं चाहिए. वो उनका पर्सनल मैटर है.
पॉलिटिकल हिस्ट्री
ठेकेदारी से क्राइम और क्राइम के रास्ते पॉलिटिक्स में एंट्री की बिंदी यादव ने. सन 2001 में जिला परिषद अध्यक्ष बना. इसी साल मनोरमा मोहनपुर की ब्लॉक प्रमुख बनी. 2003 से 2009 तक RJD के टिकट पर MLC रही. बिंदी यादव की किस्मत इत्ती अच्छी नहीं थी. दो बार चुनाव लड़ा. 2005 में निर्दलीय और 2010 में RJD के टिकट पर. दोनों बार हारा.
अभी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को बहुत दिन नहीं हुए हैं. मनोरमा ने इस मौके पर महिला सशक्तिकरण पर तगड़ा भाषण झाड़ा था. अब वो महिला हैं एकदम सशक्त. लेकिन गलत ट्रैक पर. उनको जानने वाले बताते हैं वो बहुत दबंग हैं. उनका लड़का तो हाथ से बाहर है. उनके पति का करियर भी क्राइम से शुरू हुआ. कुल मिला कर फैमिली इतनी सशक्त हो गई कि इंसानी मुलायमियत से एकदम दूर हो गई. इतनी जल्दी फर्श से अर्श और अर्श से जेल पहुंचने की ये कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है.