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डिप्लोमा धारी गौरक्षक जिसे भिवानी हत्याकांड के बाद भी पकड़ा नहीं जा सका, कौन है मोनू मानेसर?

31 जुलाई को नूह में हुई हिंसा से पहले मोनू मानेसर ने एक वीडियो डाला था, कहा जा रहा है कि वीडियो की वजह से इलाके में हिंसा भड़की.

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Who is Monu Manesar, whose video triggered violence in Haryana, why police has not arrested him till date
मोनू मानेसर को अपने इलाके और समुदाय के लोगों का खासा समर्थन हासिल है. (फोटो- सोशल मीडिया)
1 अगस्त 2023 (Updated: 1 अगस्त 2023, 20:52 IST)
Updated: 1 अगस्त 2023 20:52 IST
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“मैं कहीं नहीं गया था. मैं अलग-अलग राज्यों में मंदिरों के दर्शन कर रहा था. जब मैंने कुछ किया ही नहीं तो मैं पुलिस से क्यों छिपूंगा?”

ये एक दावा है. दावा, गुड़गांव जिले के गौरक्षक बल के प्रमुख का. नाम, मोनू मानेसर. दरअसल, राजस्थान के नासिर-जुनैद हत्याकांड मामले में मोनू मानेसर का नाम एक आरोपी के तौर पर दर्ज था. पुलिस उसकी तलाशी में भी लगी है. लेकिन मोनू फरार है.

फरारी काट रहे मोनू मानेसर का नाम 31 जुलाई को एक बार फिर सामने आया. इस बार हरियाणा के नूह में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नूह में 31 जुलाई के दिन ‘बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा’ निकाली गई थी. इलाके में खबर फैली कि भिवानी हत्याकांड का आरोपी मोनू मानेसर भी यात्रा में शामिल हो रहा है. बताया गया कि इसको लेकर एक समूह ने यात्रा को रास्ते में रोक लिया. उसके बाद कहासुनी हुई. फिर हिंसा भड़क गई.

मोनू मानेसर कौन है? इससे पहले किन-किन मामलों में उसका नाम शामिल रहा है? आइए जानते हैं.

डिप्लोमा धारी, गौरक्षक

पॉलिटेक्निक कॉलेज का डिप्लोमा धारी. 28 साल का मोनू मानेसर उर्फ मोहित यादव हरियाणा के मानेसर का रहना वाला है. मोनू अपने आप को एक सामाजिक कार्यकर्ता और गौरक्षक बताता है. साल 2011 में वो मानेसर में जिला सह-संयोजक के रूप में बजरंग दल में शामिल हुआ था. बताया जाता है कि मोनू इलाके में सब-लेटिंग के जरिए मजदूरों को कमरे किराए पर देकर अपनी रोजी-रोटी चलाता है. माने, किसी और से किराए पर कमरे लेकर मजदूरों को किराए पर देना.

Bhiwani killings suspect Monu Manesar fled to Nepal: Report
मोनू मानेसर (फोटो- सोशल मीडिया)

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में मोनू ने बताया था,

“मैं गायों के बीच ही पैदा हुआ हूं. मेरी आस्था है गौमाता से और मेरा धर्म है इनकी रक्षा करना. गायों के खिलाफ अत्याचार देखने के बाद मैंने उन्हें बचाने और अवैध पशु तस्करी को रोकने की कसम खाई. ये तस्करी मेवात, नूह और आसपास के जिलों में बड़े स्तर पर होती है.”

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मोनू मानेसर अपने आप को गौरक्षक बताता है (फोटो- ट्विटर)
सोशल मीडिया पर पकड़

मोनू मानेसर यूट्यूब पर ‘मोनू मानेसर बजरंग दल’ नाम का एक चैनल भी चलाता था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चैनल पर दो लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. हालांकि, यूट्यूब पर ये चैनल इस वक्त मौजूद नहीं है. वो गाड़ियों का पीछा करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो लाइव स्ट्रीम करता है. वीडियो में वो बताता था कि वो तस्करी करने वालों का पीछा कर रहा है. साथ ही कथित तस्करों को पकड़ने के बाद उनके साथ पूछताछ के वीडियो भी अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है. गाड़ियों पर चढ़कर फोटो भी खिंचवाता है.

मोनू के खिलाफ दर्ज मामले

इसी साल 16 फरवरी को हरियाणा के भिवानी में नासिर और जुनैद (Nasir And Junaid) नाम के दो लोगों के जले हुए कंकाल एक गाड़ी से मिले थे. आरोप लगे कि दोनों को पहले किडनैप किया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई. आरोपियों में एक नाम मोनू मानेसर (Monu Manesar) का भी है. मोनू के खिलाफ इस मामले में FIR भी दर्ज की गई है. इसमें जुनैद के चचेरे भाई ने आरोप लगाए हैं कि मोनू और बजरंग दल के पांच कार्यकर्ताओं ने नासिर और जुनैद को किडनैप कर जिंदा जला दिया.

इसके अलावा मोनू पर पटौदी की बाबरशाह कॉलोनी में हुई घटना के संबंध में भी मामला दर्ज है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कॉलोनी में 6 फरवरी के दिन दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी. घटना में चार लोग घायल हुए थे. इसमें एक 20 वर्षीय युवक गोली लगने से घायल हुआ था. पुलिस के मुताबिक पटौदी में हुई हिंसा में मोनू पर हत्या करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.

यही नहीं, मोनू का नाम कई और मामलों में और हिंसा भड़काने में आता रहा है. पिछले साल उसने मानेसर के मंदिर में पंचायत बुलाई थी. उसमें क्षेत्र के मुस्लिम दुकानदारों और विक्रेताओं का आर्थिक बहिष्कार करने की बात कही गई थी.

गौतस्करी के शक में युवक को पीटा

28 जनवरी, 2023. मोनू मानेसर और उसके सहयोगियों ने तावड़ में गोतस्करी के शक में 22 साल के एक युवक को पकड़ा. उसकी पिटाई की. सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर डाला. पिटाई की वजह से वारिस नाम के शख्स की मौत हो गई. ऐसे आरोप वासिर के घरवालों ने लगाए. उन्होंने कहा कि वीडियो में मोनू, वारिस और उसके साथियों से पूछताछ करता दिख रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने बताया था कि वारिस की मौत एक्सीडेंट से हुई. उसका कहना था कि वारिस अपने दोस्त के साथ जा रहा था. इस दौरान उसकी गाड़ी एक ऑटो से टकरा गई.

अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं?

गुड़गांव पुलिस बाबरशाह कॉलोनी मामले में मोनू की तलाशी के लिए कई जगह छापे मार चुकी है. सूत्रों के मुताबिक इसी मामले में मोनू का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने उसके हथियार का लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. इस सबके बाद ये सवाल बनता है कि मोनू मानेसर को पुलिस आखिर अभी तक पकड़ क्यों नहीं पाई है? हरियाणा और राजस्थान पुलिस दोनों उसके पीछे लगी हैं. लेकिन मोनू अभी भी फरार है.

He is not an army soldier but Nasir Junaid, a resident of Rajasthan, is accused of the murder case, his name is Monu Manesar and his job is to play with people's lives by encountering in the name of cow slaughter, Monu Manesar has not been arrested yet or maybe Rajasthan Police and Haryana Police do not want to arrest Monu Manesar?

According to the BBC report, Monu Manesar has license for all weapons, but the biggest question is that it is so easy to get license for such hi-tech weapons, whereas the Haryana police know that they are used for transporting animals in vehicles. If he encounters with others then why haven't all his weapons been seized and his license canceled?

After all, what was the need of such weapons with a common man that he should keep such automatic weapons, did Monu Manesar want to execute any big incident in future? All these questions should be answered by the Haryana Police.

#ArrestMonuManesar
हथियारों के साथ मोनू मानेसर (फोटो- ट्विटर)

इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं. मोनू मानेसर को अपने इलाके और समुदाय के लोगों का खासा समर्थन हासिल है. इतना कि उसके खिलाफ दर्ज FIR वापस लेने के लिए पंचायत तक बुलाई जा चुकी है.

भिवानी हत्याकांड का पता चलने के बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सदस्यों ने मोनू के समर्थन में गुड़गांव में विरोध प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि भिवानी मामले में मोनू और अन्य गोरक्षकों के खिलाफ दर्ज FIR एक साजिश है. ऐसे भी आरोप लगाए गए कि राजस्थान सरकार वोट बैंक के लिए ऐसा कर रही है. कहा गया कि मामले की CBI जांच होनी चाहिए.

फरवरी महीने में ही राजस्थान पुलिस मोनू मानेसर के घर छापा मारने जा रही थी. ये खबर मिलते ही उसके समर्थकों ने कुछ देर के लिए दिल्ली-गुड़गांव हाईवे जाम कर दिया. इसके बाद स्थानीय पुलिस और पंचायत सदस्यों ने मामले में हस्तक्षेप किया. मामले को लेकर पटौदी के ACP ने बताया था कि उन्हें दूसरे राज्य की पुलिस द्वारा छापे के बारे में कोई भी सूचना नहीं मिली थी.

मोनू मानेसर को प्राप्त समर्थन का अंदाजा लगाने के लिए आपको नीलम की बात पर गौर करना चाहिए. वो गौरक्षक दल की सदस्य हैं और मोनू के समर्थकों में शामिल हैं. नीलम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,

“अगर मोनू के खिलाफ FIR को वापस नहीं लिया गया, और उसे गिरफ्तार किया गया, तो हम हाईवे जाम करेंगे. अपनी गिरफ्तारियां देंगे, जेल छोटे पड़ जाएंगे.” 

वहीं मानेसर के रहने वाले एक और समर्थक ओम प्रकाश ने कहा कि गौरक्षकों के हथियार के लाइसेंस नहीं रद्द किए जाने चाहिए, उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए. प्रकाश ने बताया,

“सरकारें और पुलिस अपनी अक्षमताओं को छिपाने के लिए पहले गौरक्षकों को हथियारों के लाइसेंस देती हैं. अब वो इसे रद्द करने की बात कर रहे हैं. ये गलत है. ये रक्षक हिंदू धर्म और गौमाता की रक्षा कर रहे हैं.”

मोनू मानेसर की फरारी पर बोलते हुए उसके एक और समर्थक सुंदर सरपंच ने कहा था कि मोनू ‘शेर का बच्चा’ है, कहीं भूमिगत नहीं होगा. जब कहोगे तब लाकर खड़ा कर देंगे. इससे जाहिर होता है कि मोनू मानेसर की गिरफ्तारी पुलिस के लिए टेढ़ी खीर क्यों बनी हुई है.

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