टिकटॉक के सीईओ को संसद में बुलाकर क्यों लताड़ा गया?
टिकटॉक के सीईओ से पूछताछ क्यों की जा रही है?

टिकटॉक! नाम तो सुना ही होगा. शॉर्ट वीडियो शेयर करने वाला ये प्लेटफ़ॉर्म एक बार फिर से ख़तरे में है. भारत में नहीं, अमेरिका में. भारत में टिकटॉक पर 2020 में ही बैन लगाया जा चुका है. उस समय इस प्लेटफ़ॉर्म पर 20 करोड़ से अधिक यूजर्स थे. भारत सरकार ने प्राइवेसी का हवाला देकर इस पर बैन लगाया था. अब अमेरिका में इसका बोरिया-बिस्तर बांधने की तैयारी चल रही है. अमेरिका में इसके लगभग 15 करोड़ यूजर्स हैं. आरोप हैं कि टिकटॉक इन यूजर्स का डेटा चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की सरकार को दे रही है. वन-पार्टी सिस्टम वाले चीन में CCP सर्वेसर्वा है. शी जिनपिंग इसी पार्टी के मुखिया के साथ-साथ देश के राष्ट्रपति भी हैं.
हाल के समय में चीन और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ा है. एक धड़े का कहना है कि अमेरिका, चीन के साथ चल रहे राजनैतिक झगड़े का बदला उसकी कंपनियों से निकाल रहा है. दूसरा धड़ा कहता है कि मामला उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है. इसका उदाहरण 23 मार्च को अमेरिका की संसद ‘कांग्रेस’ की एक विशेष सुनवाई में दिखा. इसमें टिकटॉक के चीफ़ एग्जीक्युटिव ऑफ़िसर (CEO) शाउ ज़ी च्यू को तलब किया गया था. कांग्रेस ने पांच घंटों तक शाउ को बिठाकर पूछताछ की. इस दौरान डेटा सिक्योरिटी, प्राइवेसी, ड्रग्स, मेंटल हेल्थ, प्रोजेक्ट टेक्सस और CCP से संबंध समेत कई मुद्दों पर सवाल पूछे गए. शाउ कुछ सवालों से बचते नज़र आए. इसके कारण सुनवाई के बीच गहमागहमी भी हुई.

तो, आज हम जानेंगे,
- टिकटॉक के सीईओ से पूछताछ क्यों की जा रही है?
- क्या अमेरिका टिकटॉक पर फ़ुलटाइम बैन लगाने वाला है?
अमेरिका की संसद ‘कांग्रेस’ के अंदर एक सुनवाई हुई. 23 मार्च. किसके साथ? टिकटॉक के सीईओ शाउ ज़ी च्यू के साथ. घंटों तक पूछताछ की गई. दरअसल, कांग्रेस ने एक विशेष सुनवाई आयोजित की थी. इसका विषय था,
“TikTok: How Congress Can Safeguard American Data Privacy and Protect Children from Online Harms".
जैसा कि विषय से जाहिर है, इस सुनवाई का फ़ोकस टिकटॉक से जुड़े दो मुद्दों पर था.
- नंबर एक. अमेरिकी नागरिकों की डेटा प्राइवेसी की सुरक्षा कैसे करें?
- नंबर दो. बच्चों को इंटरनेट के ख़तरे से कैसे बचाएं?
इन दोनों मुद्दों को समझें, उससे पहले टिकटॉक का इतिहास और उससे जुड़ी आशंका के बारे में जान लेते हैं.
जब कभी टिकटॉक पर बैन लगाने की बात आती है, तब-तब CCP का नाम ज़रूर उठता है. इसकी एक वजह भी है. टिकटॉक की पेरेंट कंपनी है, बाइटडांस. इसको क्लास और स्कूल के अंतर से समझिए. नौवीं या दसवीं की क्लास स्कूल की एक इकाई भर है. इसी तरह टिकटॉक, बाइटडांस की एक इकाई है. बाइटडांस की शुरुआत 2012 के साल में हुई थी. उस समय सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स का चलन बढ़ रहा था. कुछ बरस पहले लॉन्च हुए फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म बहुत तेज़ी से पॉपुलर हो रहे थे. चीन में चांग यिमिन और रुबो लियांग नाम के दो नौजवान इस मार्केट में अपने लिए जगह तलाश रहे थे. वे इंटरनेट की दुनिया पर छा जाने का सपना देखने लगे. इसी कड़ी में उन्होंने बाइटडांस की नींव रखी. उनका पहला प्रोडक्ट अगस्त 2012 में लॉन्च हुआ. तुआशियो के नाम से. इसका मतलब होता है, हेडलाइंस. ये न्यूज़ का प्लेटफ़ॉर्म था.
जल्दी ही उन्हें समझ में आया कि नेक्स्ट बिग थिंग वीडियो है. यूट्यूब बड़ा प्लेटफ़ॉर्म था. उसे सोशल मीडिया की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था. इसी को ध्यान में रखकर सितंबर 2016 में डॉयिन बनाया. इसको सिर्फ चीन में लॉन्च किया गया था. इस पर यूजर्स अपनी छोटी वीडियो क्लिप बनाकर शेयर किया करते थे. धीरे-धीरे डॉयिन की लोकप्रियता बढ़ने लगी. एक साल के अंदर ही इस पर 1 करोड़ से ज़्यादा यूजर्स हो चुके थे. इसकी सफलता का अंदाज़ा इस बात से समझिए कि हर रोज़ 1 अरब बार इस प्लेटफोर्म पर वीडियोज़ प्ले किए जा रहे थे. डॉयिन को चीनी मार्केट के लिए बनाया गया था. लेकिन इसकी लोकप्रियता को देखकर बाइटडांस कंपनी के बोर्ड मेम्बर्स ने इसे ग्लोबल मार्केट में लॉन्च करने का प्लान बनाया. लेकिन उनके सामने एक समस्या मौजूद थी. दरअसल उससे मिलता-जुलता वीडियो शेयरिंग ऐप पहले से ही मार्केट में मौजूद था. उसका नाम था म्युजिकली. ये भी एक चीनी ऐप था. इसे 2014 में बनाया गया था.

म्यूजीकली के साथ टकराव की आशंका के बावजूद बाइटडांस ने हिम्मत दिखाई और डॉयिन को ग्लोबल मार्केट में उतार दिया. उन्होंने इसका नाम दिया, टिकटॉक. ये तेज़ी से फैला. लेकिन उन्हें मयूजिकली से अच्छी टक्कर मिल रही थी. 2016 में म्यूजिकली के 90 लाख यूजर थे. मई 2017 में इसके यूजर्स की संख्या 2 करोड़ तक पहुंच गई. टिकटॉक की चुनौती बढ़ रही थी. ऐसे में बाइटडांस ने कंपटीशन खत्म करने के लिए म्यूजीकली को खरीद लिया. इस डील के लिए लगभग 08 हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
डील के बाद म्यूजिकली को टिकटॉक में मिला लिया गया. अब टिकटॉक के सामने कोई चुनौती नहीं बची. उसके यूजर तेज़ी से बढ़ने लगे. केवल 2018 में इस ऐप को सौ करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया. अभी तक पूरी दुनिया में टिकटॉक को ढाई अरब से अधिक दफा डाउनलोड किया जा चुका है.
किस देश में कितने यूजर हैं? अब ये भी जान लीजिए.
- अमेरिका में टिकटॉक के यूजर्स की संख्या 11 से 15 करोड़ के बीच बताई जाती है. अमेरिका की कुल आबादी 33 करोड़ के आसपास है. इनमें से आधे लोग टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं.
- अमेरिका के बाद नंबर आता है. इंडोनेशिया का. यहां लगभग 10 करोड़ लोग टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं. इंडोनेशिया की आबादी लगभग 22 करोड़ है.
- ब्राज़ील में 8 करोड़, मैक्सिको और रूस में लगभग 5-5 करोड़ लोग टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं.
- बैन से पहले सबसे ज़्यादा यूजर्स वाला देश भारत था. 2020 में बैन के वक़्त भारत में 20 करोड़ यूजर्स टिकटॉक पर थे.
टिकटॉक की इस छप्परफाड़ सफलता की 4 बड़ी वजहें थी.- नंबर एक. टिकटॉक उन शुरुआती वीडियो शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म्स में से था, जो छोटे वीडियोज़ शेयर करने का ऑप्शन देता था. शुरुआत में 15 सेकंड की पाबंदी थी. अब इसे बढ़ाकर 10 मिनट कर दिया गया है. यानी, आप कुछ सेकेंड से लेकर 10 मिनट तक की वीडियोज़ शेयर कर सकते हैं. छोटे वीडियोज़ बनाने के साथ-साथ देखना भी लोगों को ज़्यादा पसंद आया.
- नंबर दो. फे़सबुक, इन्स्टाग्राम, स्नैपचैट जैसे प्लेटफ़ॉर्म उस समय वीडियो पर फोकस नहीं कर रहे थे. वहीं यूट्यूब बड़ी वीडियोज़ देखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.
- नंबर तीन. टिकटॉक आम लोगों की पहुंच में था. इसका इंटरफ़ेस सरल, स्पष्ट और सरस था. इंटरनेट से बहुत ज़्यादा वाकिफ ना होने वाले लोग भी इसका इस्तेमाल कर सकते थे.
- टिकटॉक आम आदमी की पसंद को ध्यान में रखकर बनाया गया था. वो आसानी से लोगों के सर्च पैटर्न को ट्रैकर करता था. और, उसी के आधार पर उन्हें रेकमेंड करता था. इसने पसंद किए जाने वाले यूजर्स को बढ़ावा भी दिया. टिकटॉक से कई स्टार सामने आए. जिसने और लोगों को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया.
ये तो हुई सफ़लता की कहानी, लेकिन इस सफ़र में सवाल भी ख़ूब उठे. उन्हें कई देशों में बैन भी किया गया.
- मसलन, 2018 में बांग्लादेश सरकार ने टिकटॉक पर बैन लगा दिया था. कहा कि इस पर पोर्नोग्राफी और गैम्बलिंग से जुड़े वीडियोज़ शेयर हो रहे हैं. 2020 में बांग्लादेश ने बैन वापस ले लिया.
- 2018 में ही इंडोनेशिया ने टिकटॉक पर बैन लगाया था. कहा गया कि प्लेटफोर्म के कई वीडियोज़ पोर्नोग्राफी और ईशनिंदा को बढ़ावा देते हैं. हालांकि, बाद में ये बैन हटा लिया गया था.
- भारत में टिकटॉक पर पहली बार 2019 में बैन लगाया गया था. कारण बताया गया, पोर्नोग्राफ़ी और घटिया कॉन्टेंट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है. टिकटॉक ने मद्रास हाईकोर्ट में बैन हटाने के लिए याचिका दायर की. ये भी कहा कि प्लेटफोर्म से 60 लाख से ज़्यादा वीडियोज़ डिलीट कर दी गई हैं. 25 अप्रैल 2019 को ये बैन हटा दिया गया.
- 2020 में भारत सरकार ने टिकटॉक समेत 59 चीनी ऐप्स पर एक साथ बैन लगा दिया. ये बैन अभी तक नहीं हटा है. मार्च 2023 में फ़ोर्ब्स में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय यूजर्स का डेटा अभी भी कंपनी के पास है. और, कंपनी का कोई भी कर्मचारी चाहे तो बहुत आसानी से उसे चुरा भी सकता है.
- भारत से अलग बात करें तो, नॉर्वे, न्यूज़ीलैंड, यूरोपियन यूनियन, कनाडा, बेल्जियम, यूके समेत कई देशों ने अपने यहां सरकारी डिवाइसेज पर टिकटॉक का इस्तेमाल बैन किया हुआ है या इस्तेमाल ना करने की सलाह जारी की.
- तालिबान ने 2020 में 2022 में टिकटॉक और पब्जी पर बैन लगा दिया था. कहा था कि इसपर अनैतिक कॉन्टेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है. पाकिस्तान ने भी 2020 में कई मौकों पर टिकटॉक को बैन किया था. लेकिन ये बैन टेंपररी था.
- 2022 में चीनी सरकार द्वारा जासूसी के डर से ताइवान ने अपने सरकारी अफसरों के फोन से टिकटॉक बैन कर दिया.
टिकटॉक कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंध और मानसिक तौर पर बीमार करने वाले कॉन्टेंट्स परोसने का आरोप झेलती रही है. कहा ये भी जाता है कि बाइटडांस चीन में अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कॉन्टेंट्स को रेगुलेट करती है. लेकिन दूसरी जगहों पर वो ऐसी कोई निगरानी नहीं रखती.
अब आते हैं टिकटॉक और अमेरिका के बीच मचे घमासान पर. जिसकी वजह से आज हम इसकी चर्चा कर रहे हैं.
अमेरिका में सबसे पहले टिकटॉक बैन की बात चली. जुलाई 2020 में कहा गया कि चीनी सरकार इससे अमेरिका के नागरिकों का डेटा इस्तेमाल कर रही है. टिकटॉक ने उस वक्त कहा कि आरोप बेबुनियाद हैं. क्योंकि टिकटॉक का डेटा सेंटर चीन में नहीं हैं. फिर भी बैन की डिबेट तेज़ हो गई थी. उन दिनों अमेरिका में ट्रम्प की सरकार थी. उन्होंने कहा कि अगर टिकटॉक को अमेरिका में रहना है तो ऐप को किसी अमेरिकन कंपनी को बेचा जाना ज़रूरी है. अगर ऐसा नहीं होता तो 45 दिनों के अंदर उसे बैन कर दिया जाएगा. टिकटॉक ने इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर कर दी. कोर्ट ने कहा कि आप मनमाने ढंग से किसी को भी बैन नहीं कर सकते. इस तरह टिकटॉक को राहत मिली.

फिर अमेरिका में जो बाइडन की सरकार बनी. उन्होंने अपने तरीके में बदलाव लाया. कहा कि हम टिकटॉक को मनमाने ढंग से बैन नहीं करेंगे. इसकी पूरी जांच-पड़ताल की जाएगी. ज़ाहिर था बाइडन प्रशासन भी टिकटॉक से खुश नहीं था. फिर दिसंबर 2022 को फ़ोर्ब्स में एक रिपोर्ट सामने हुई. इसमें कहा गया कि टिकटॉक के कुछ कर्मचारियों ने कुछ पत्रकारों को ट्रैक किया है. उन्होंने उनके IP एड्रेस भी निकाले हैं. इस रिपोर्ट के आने के बाद अमेरिका में हंगामा मच गया. आनन-फानन में फैसला लिया गया कि सरकारी अफसरों के डिवाइज़ से इसे फौरान बैन किया जाए.
यूएस हाउस फ़ौरन अफेयर्स कमिटी ने टिकटॉक को पूरी तरह बैन करने का अप्रूवल दे दिया. अब पूरा फैसला राष्ट्रपति बाइडन के हाथों में आ चुका है. इसके जवाब में टिकटॉक ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि बैन करना जल्दबाजी होगी और ये अमेरिकी नागरिकों की आज़ादी के ख़िलाफ़ भी होगा. टिकटॉक जैसे ऐप्स डेटा प्राइवेसी के लिहाज से कितने ख़तरनाक हैं?
23 मार्च 2023 को कंपनी के CEO शाउ जी च्यू को अमेरिका कांग्रेस के सामने पेश किया गया. इस सुनवाई में सांसदों ने शाउ से कई मुश्किल सवाल पूछे. शाउ ने ये बताने की पूरी कोशिश की कि टिकटॉक का CCP से कोई लेना-देना नहीं है. मगर सांसद उससे बहुत सहमत नज़र नहीं आए.
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