कैसा होता है पाकिस्तान में एक हिंदू होना
बताया है उस पाकिस्तानी हिंदू ने, जिसके दिल से 'आई लव पाकिस्तान' निकलता है.

कभी दलित. कभी मुसलमान. और फिर असहिष्णुता, असहिष्णुता, असहिष्णुता... खूब हो हल्ला, जमके बयानबाज़ी. सारा खेल राजनीति का. लोगों को भड़काने का. दामन में वोटों को भर लेने का. बात होती है मास्टर जी इसने मेरी पेंसिल ले ली या कॉपी का पन्ना फाड़ दिया. और बना दी जाती है सवर्ण और दलित. मुसलमान और हिंदू की. असहिष्णुता का ड्रम इत्ती तेज़ पीटा जाता है कि ऐसा लगने लगता है जैसे हिंदुस्तान में नहीं बल्कि ISIS या तालिबान के चंगुल में हैं. कुछ घटनाएं हुई हैं जिनकी मजम्मत होना लाजिमी है. होनी चाहिए. क्योंकि हिंदुस्तान, पाकिस्तान नहीं बनना चाहिए. हिंदुस्तान में क्या होता है ये जानते हो. लेकिन जब Quora पर सवाल किया गया कि पाकिस्तानी हिंदू होने पर कैसा फील होता है? तो जो जवाब आया वो ऐसी सच्चाई है कि जिससे पता चलता है लोग कितने असहिष्णु हैं. दुआ ये ही कि हिंदुस्तान में ऐसा कुछ न हो. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो फिर पाकिस्तान को बुरा कहने का हक़ आपको ज़र्रा बराबर भी नहीं रह जाएगा. जब तक 'हम' हैं तो हिंदुस्तान है. तो पढ़ लीजिए ताकि अपने यहां ऐसा कुछ न हो. सवाल का जवाब दिया है रवि आहूजा ने.
जब कोई फेस्टिवल सेलिब्रेट करने का मौका आता तो ये असहिष्णुता और बढ़ जाती. दिवाली हिंदुओं के लिए वैसा ही सेलिब्रेशन था जैसे ईसाइयों के लिए क्रिसमस और मुसलमानों के लिए रमजान. मैं खुद कई ऐसे मौकों का गवाह हूं जब शहरी प्रशासन ने दिवाली सेलिब्रेट करने पर वॉर्निंग दी. मुझे समझ नहीं आता कि उन्हें दूसरे धर्मों के लोगों की ख़ुशी से क्या दिक्कत होती है.
मेरी समझ में ये नहीं आता कि लोग इतने असहिष्णु क्यों होते हैं. वे ये क्यों चाहते हैं कि जैसा वो चाहे बाकी सब वैसा ही करें.लोग हमारे धर्म का मजाक उड़ाते हैं. हम क़त्ल करने वालों पर कुछ भी सवाल नहीं करते. हम कौन होते हैं जो ये कहें कि क्या सही है और क्या गलत?मुझे यकीन है कि हर हिंदू पाकिस्तानी इन्हीं हालातों से गुजरता है. मुस्कुराता और सहन करता हुआ. क्या वजह है जो बंटवारे के टाइम 17 पर्सेंट हिंदू थे, वो 2-3 पर्सेंट तक सीमित हो गए.मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ और 24 साल वहां गुज़ारे. इसके बाद मैं ऑस्ट्रेलिया चला गया. मेरी फैमिली पाकिस्तान में ही रहती है और मैं साल में एक बार पाकिस्तान जाता हूं.बंटवारे से पहले हम हिंदुस्तानी थे.जब बंटवारा हुआ तो हमारे पैरेंट्स ने इंडिया के बजाय पाकिस्तान में रहना तय किया. उन्होंने पाकिस्तान को क्यों चुना, ये अलग बहस है. लेकिन उन्होंने ये नहीं सोचा होगा कि पाकिस्तान में रहने की कीमत उनकी नस्लों को भी चुकानी होगी. मैं कहना चाहूंगा कि शांति प्रिय, अहिंसक और एजुकेटेड होने के बावजूद हमें पाकिस्तानी नहीं कहा गया. और ज्यादतर इलाकों में अब तक टारगेट किए जा रहे हैं. स्कूल लाइफ से लेकर नौकरी मिलने के बाद तक मैंने ये ही महसूस किया है कि हमें पाकिस्तानी नहीं समझा गया. जब मैं स्कूल में था, तो पहले आधे घंटे स्टूडेंट्स से कुरान सुनाने की उम्मीद की जाती थी. हिंदू होने के नाते हमें हमारे धर्म की बुक पढ़वाने के बजाए टीचर हमसे वैसे ही कुरान पढ़ने को कहते. 8-10 साल का बच्चा तीसरी-चौथी क्लास में होने पर टीचर से इस पर क्या बहस कर सकता था? उस वक्त हमें ये भी नहीं पता था कि ये हमारे अधिकारों का उल्लंघन है. हमने वो किया, जो हमसे करवाया गया. बड़ा हुआ और हाईस्कूल में गया. हालात सुधरने के बजाय और ख़राब हो गए. हाई स्कूल में इस्लामियत एक सब्जेक्ट दे दिया गया. और टीचर हिंदू को काफ़िर कहते थे. हमें पढ़ाया गया कि इस्लाम ही दुनिया में अकेला मैच्योर धर्म है. और कोई नहीं. स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक की जर्नी आसान नहीं रही. लोगों ने हर कदम पर बार-बार ये ही अहसास कराया कि तुम्हारा धर्म कुछ भी नहीं है और तुम नरक में जा रहे हो. टीचर और स्टूडेंट्स ने ये ही कोशिश की कि उनका धर्म ज्वाइन कर लेना चाहिए. हिंदू जो भी करते उसका मजाक उड़ाया गया. धर्म का मजाक उड़ाया गया. एक अलग मुसीबत 'ब्लासफेमी' यानी ईशनिंदा थी. जिसको पाकिस्तानी झेल रहे हैं. सिर्फ मुसलमानों के पास इस बात का हक़ है कि दूसरे धर्म के खिलाफ बोल सकते हैं. अगर कोई और बोलने की जुर्रत करता है तो उसे पत्थरों से पीटकर मौत दे दी जाएगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ईसाई और हिंदू के खिलाफ क्या बोला जा रहा है. सबसे ज्यादा सीरियस इशू हिंदू औरतों का है, जिन्हें किडनैप कर लिया जाता है और जबरदस्ती शादी की जाती है. इस्लाम कबूल करवाया जाता है. और बाद में किसी थर्ड पार्टी को बेच दिया जाता है. कोई इस जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं करता. तथाकथित लीडर उसके खिलाफ नहीं बोलते. और हां अगर कोई हिंदू लड़का किसी मुस्लिम लड़की के बारे में भी सोचता है तो उसकी फैमिली को क़त्ल कर दिया जाएगा. मैं एक सच्ची घटना के बारे में जानता हूं. एक लड़का और लड़की प्यार में थे और शादी करना चाहते थे. लेकिन पता है क्या हुआ उनके साथ? लड़की के घर वालों को इस बारे में पता चल गया, उन्होंने लड़के की पूरी फैमिली को मार डाला और लड़के को सिंध के सुक्कुर शहर के पास जिंदा जला दिया. हम उस देश का हिस्सा हैं, जहां कहने को तो अधिकार दिए गए हैं लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं. जब सरकार ही हमें पाकिस्तानी मानने को तैयार नहीं है तो फिर कैसे हम एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं. मैं आपको बता दूं, इस सबके बावजूद मैं पाकिस्तानी हूं. दिल की गहराई से ये ही आवाज़ आएगी 'आई लव पाकिस्तान.' मैं हमेशा पाकिस्तान टीम का सपोर्टर हूं. स्पेशली वो मैच देखना पसंद है जब इंडिया टीम हारती है. मेरे फेवरेट क्रिकेटर सईद अनवर हैं. और मेरी पसंदीदा हॉकी टीम पाकिस्तान की ही है. मुझे फख्र होता है जब कोई पाकिस्तानी हमें इंटरनेशनल लेवल पर हमें प्राउड फील कराने का मौका देता है, तो मुझे फख्र होता है. और मैं उनसे बहस करता हूं जो पाकिस्तान के खिलाफ बोलता है. दुर्भाग्य से जिस तरह से हमें ट्रीट किया जाता है वो मंज़ूर नहीं. मुझे नहीं मालूम कि और क्या सबूत देने पड़ेंगे जो लोग ये मनाना शुरू कर दें कि हम भी पाकिस्तानी हैं.