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'महाभारत' के भीम प्रवीण कुमार, जिन्हें अमिताभ ने कहा था- 'रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं'

प्रवीण कुमार सोबती को लोग भले ही भीम के किरदार के लिए याद रखते हैं, मगर उन्होंने अपनी लाइफ में कई अलग-अलग चीज़ें की

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प्रवीण कुमार
'महाभारत' से भीम के रोल में प्रवीण कुमार सोबती. दूसरी तस्वीर एक स्पोर्ट्स इवेंट की, जिसमें प्रवीण चक्का फेंकते नज़र आ रहे हैं.
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श्वेतांक
8 फ़रवरी 2022 (Updated: 6 दिसंबर 2022, 12:35 PM IST) कॉमेंट्स
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बी.आर चोपड़ा की 'महाभारत' में भीम का रोल करने वाले एक्टर प्रवीण कुमार सोबती को लोग भले ही भीम के किरदार के लिए याद रखते हैं, मगर उन्होंने अपनी लाइफ में कई अलग-अलग चीज़ें की. वो बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का हिस्सा थे. फिर उन्होंने इंडिया को एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक्स में रिप्रेज़ेंट किया. इसके बाद वो फिल्मों में आए. जिसके बाद उनकी कद-काठी देख उन्हें 'महाभारत' में कास्ट कर लिया गया. कुछ सालों पहले उन्होंने पॉलिटिक्स जॉइन की. चुनाव लड़ा, मगर हार गए. आज हम आपको प्रवीण कुमार सोबती की ये कहानी विस्तार से बताएंगे.

# अक्षय कुमार से भी आगे की चीज़ थे प्रवीण कुमार

प्रवीण कुमार सोबती का जन्म 6 दिसंबर, 1947 को पंजाब के सरहाली कलां में हुआ था. पिता किसान थे. मां होमेकर थीं. मगर प्रवीण को बचपन से ही बॉडी बिल्डिंग का शौक था. अक्षय कुमार को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाला सबसे अनुशासित एक्टर माना जाता है. क्योंकि वो सुबह चार बजे उठकर एक्सरसाइज़ वगैरह शुरू कर देते हैं. मगर प्रवीण उनसे भी दो कदम आगे थे. प्रवीण अपने इंटरव्यू में बताते हैं कि ऐसा कोई दिन नहीं रहा, जब वो सुबह 3 बजे न उठे हों. वो सुबह उठते और वर्जिश शुरू कर देते. तब जिम वगैरह का कल्चर तो था नहीं. इसलिए जिस चक्की से मां आटा पीसती थीं, उसे ही डंबल की तरह इस्तेमाल करते थे. स्कूल खत्म होते-होते उनकी तगड़ी बॉडी बन चुकी थी. उनकी हाइट थी 6 फुट 7 इंच. डिफेंस फोर्सेज़ में जाना उनका सपना था. अप्लाई किया और BSF यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में भर्ती हो गए.
1966 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद पोडियम पर खड़े प्रवीण (बीच में).
1966 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद पोडियम पर खड़े प्रवीण (बीच में).
# जब म्यूनिख ओलंपिक्स में आतंकवादियों ने हमला किया, तब प्रवीण वहीं थे
BSF में खेलकूद का बढ़िया माहौल था. प्रवीण यहां गोला और चक्का फेंक टीम का हिस्सा थे. उनके गेम को देखते हुए उन्हें इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भेजा जाने लगा. प्रवीण ने 1966 और 1970 एशियन गेम्स में हिस्सा लिया. इन दोनों ही इवेंट्स में उन्होंने चक्का फेंक यानी डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता. 1974 एशियन गेम्स में वो सिल्वर मेडलिस्ट रहे. 1966 में किंग्सटन में हुए कॉमेनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. इसके अलावा उन्होंने 1968 और 1972 ओलंपिक्स में भी इंडिया का प्रतिनिधित्व किया.
1972 ओलंपिक्स को म्यूनिख मैसेकर के लिए जाना जाता है. ओलंपिक्स इवेंट के दौरान Black September नाम की फिलिस्तिनी आतंकवादी संगठन के कुछ लोगों ने इज़रायली टीम के 11 लोगों की हत्या कर दी थी. ओलंपिक्स में हिस्सा लेने के लिए प्रवीण कुमार भी म्यूनिख गए हुए थे. इस घटना के बारे बात करते हुए प्रवीण बताते हैं-

''मुझे अच्छे से याद है कि सुबह ब्रेकफास्ट करने के लिए डाइनिंग रूम की तरफ जा रहा था. तभी मुझे गोलियों के चलने की आवाज़ सुनाई दी. मैं ठिठक गया. बाद में मेरे कोच ने बताया कि इस फैसिलिटी में कुछ आतंकवादी घुस आए हैं.''

म्यूनिख मैसेकर पर स्टीवन स्पीलबर्ग ने 'म्यूनिख' नाम की बड़ी शानदार फिल्म बनाई है. इसमें एरिक बाना और डेनियल क्रेग ने लीड रोल्स किए हैं. इस फिल्म को आप नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर सकते हैं.
एक स्पोर्टिंग इवेंट के दौरान चक्का फेंकते प्रवीण कुमार.
एक स्पोर्टिंग इवेंट के दौरान चक्का फेंकते प्रवीण कुमार.
# अमिताभ ने प्रवीण से कहा था- 'रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं'
प्रवीण कुमार सोबती कुछ समय के बाद स्पोर्ट्स से रिटायर हो गए. इसके फौरन बाद एक फिल्ममेकर ने उनकी पर्सनैलिटी से प्रभावित होकर एक्टिंग का ऑफर दे दिया. 1982 में जीतेंद्र स्टारर फिल्म 'रक्षा' से प्रवीण ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की. इस फिल्म में उन्होंने गोरिल्ला नाम का नेगेटिव किरदार निभाया था. आगे वो 'खुदगर्ज़', 'ज़बरदस्त', 'लोहा' और 'हुकूमत' जैसी फिल्मों में दिखाई दिए. वो अधिकतर मौकों पर मेन विलन के खास आदमी के रोल में दिखते थे. फाइनली उन्हें अमिताभ बच्चन की फिल्म 'शहंशाह' में काम करने का मौका मिला. इस फिल्म से अमिताभ का हिट डायलॉग- 'रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह', तो सबको याद है. अमिताभ ने फिल्म में ये लाइन प्रवीण कुमार को बोली थी. 'शहंशाह' में प्रवीण ने मुख्तार सिंह नाम के ड्रग डीलर का रोल किया था. जो शहंशाह के हाथों पिटने के बाद दूध बेचने का काम करने लगता है.
बी.आर. चोपड़ा के टीवी शो 'महाभारत' में भीम बने एक्टर प्रवीण कुमार सोबती.
बी.आर. चोपड़ा के टीवी शो' महाभारत' में भीम बने एक्टर प्रवीण कुमार सोबती.
जैसे ही 'शहंशाह' की शूटिंग खत्म हुई, प्रवीण की मुलाकात मनोज दीपक नाम के एक फिल्ममेकर से हुई. मनोज ने उन्हें बताया कि बी.आर. चोपड़ा अपने सीरियल के लिए हष्ट-पुष्ट शरीर वाला एक्टर ढूंढ रहे हैं. प्रवीण बी.आर. चोपड़ा के ऑफिस जाने लगे. मगर रास्ते में काली बिल्ली ने उनका रास्ता काट दिया. उन्हें लगा कि वैसे भी उनके पास खोने के लिए क्या है. वो बी.आर. चोपड़ा के ऑफिस पहुंचे. उनकी फिज़िक देखने के बाद बी.आर. चोपड़ा ने 'महाभारत' में भीम का रोल दे दिया. बाद में भीम के किरदार की वजह से ही प्रवीण को देशभर के लोगों ने जाना.
मगर प्रवीण पर्सनली इस रोल को कुछ खास पसंद नहीं करते थे. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि इस रोल ने उन्हें खूब पॉपुलर कर दिया. मगर यही चीज़ उनके खिलाफ चली गई. कोई भी डायरेक्टर उन्हें अपनी फिल्म में नहीं लेना चाहता था. क्योंकि उनकी एक मायथोलॉजिकल कैरेक्टर वाली इमेज बन गई थी. ऐसे में पब्लिक नेगेटिव रोल्स में उन्हें स्वीकार नहीं करती. बावजूद इसके वो लगातार फिल्मों और टीवी शोज़ में काम करते रहे. उन्होंने केतन मेहता के टीवी शो 'चाचा चौधरी' में साबू का रोल किया. 2013 में वो आखिरी बार 'महाभारत और बर्बरीक' नाम की फिल्म में दिखे थे. इसमें भी उन्होंने भीम का ही रोल किया था.
2014 में बीजेपी जॉइन करने के दौरान डॉ. हर्षवर्धन के साथ प्रवीण कुमार सोबती.
2014 में बीजेपी जॉइन करने के दौरान डॉ. हर्षवर्धन के साथ प्रवीण कुमार सोबती.
# अरविंद केजरीवाल ने घर जाकर AAP में शामिल कर लिया
प्रवीण फिल्मों और टीवी शोज़ में काम तो कर रहे थे, मगर उन्हें मज़ा नहीं आ रहा था. वो एक ऐसा किरदार निभाना चाहते थे, जो उनके ऊपर से भीम होने का टैग हटा दे. मगर उन्हें ऐसा मौका मिल नहीं पा रहा था. 2013 में वो अपने दिल्ली वाले घर में बैठे हुए थे. आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक अरविंद केजरीवाल उनके घर आए और 'आम आदमी पार्टी' जॉइन करने की गुज़ारिश की. पहले तो प्रवीण ने इसके लिए साफ मना कर दिया. फिर केजरीवाल ने उन्हें ये कहकर कन्विंस किया कि जब तक राजनीति में अच्छे लोग नहीं आएंगे, देश का भला कैसे होगा. तब प्रवीण मान गए. दिल्ली के वजीरपुर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. मगर हार गए. इसके बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली. वो आखिर तक इसी पार्टी के साथ जुड़े रहे. कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया कि पिछले कुछ समय से प्रवीण आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. बीमार चल रहे थे. 7 फरवरी 2022 की रात कार्डियक अरेस्ट की वजह से दिल्ली में उनका निधन हो गया.
 

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