इस बार संसद में आएंगे 'विपक्ष के मंत्री', मोदी सरकार पर नजर रखने की ये कौन सी रणनीति है?
What is Shadow Cabinet: 2014 में BJP से हार के बाद Congress ने ऐसा ही प्रयास किया था. अगर इस बार ऐसा होता है तो Rahul Gandhi 'शैडो PM' कहलाएंगे.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ‘लीडर ऑफ अपोजिशन’ बनाए गए हैं. 18वीं लोकसभा का पहला सेशन भी शुरू है. ऐसे में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने देश में ‘शैडो कैबिनेट’ (Shadow Cabinet) बनाने की मांग की है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी जानकारी दी गई है. अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी इस कैबिनेट के ‘शैडो प्रधानमंत्री’ कहलाएंगे. वैसे तो शैडो कैबिनेट का कॉन्सेप्ट ब्रिटेन का है, लेकिन भारत में इसकी मांग नई नहीं है. साल 2022 में तेलंगाना कांग्रेस की ओर से राज्य में शैडो कैबिनेट बनाने की मांग की गई थी. इस आर्टिकल में इस मसले पर विस्तार से बात करेंगे.
जैसा की नाम से भी प्रतीत होता है, शैडो कैबिनेट एक समानांतर कैबिनेट होता है जिसके पास कोई वास्तविक शक्ति नहीं होती है. शैडो कैबिनेट का काम होता है, सरकार के कामकाज पर नजर बनाए रखना. और जहां भी कोई कमी या गड़बड़ी नजर आए उसे उजागर करना, उसके लिए आवाज उठाना. करीब-करीब वही काम जो विपक्ष का होता है लेकिन थोड़ा व्यवस्थित रूप में. यानी सबकी स्पष्ट जिम्मेदारी. सरकार के किस विभाग की निगरानी कौन करेगा, इसके लिए जिम्मेवारियों का स्पष्ट वितरण. इस व्यवस्था में कोई ‘शैडो रक्षा मंत्री’ हो सकता है जो रक्षा मंत्रालय के कामकाज को देखे, कोई ‘शैडो वित्त मंत्री’ हो सकता है जो वित्त मंत्री के कामकाज की निगरानी करे.
Shadow Cabinet का कॉन्सेप्ट कहां से आया?शैडो कैबिनेट ब्रिटेन से आई व्यवस्था है. हमारी संसदीय प्रणाली भी ब्रिटेन की संसद के तर्ज पर ही काम करती है. ब्रिटिश संसद की आधिकारिक वेबसाइट पर शैडो कैबिनेट को परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार,
"शैडो कैबिनेट चुने गए वरिष्ठ प्रवक्ताओं की एक टीम होती है. इनका चुनाव ‘लीडर ऑफ अपोजिशन’ करते हैं. शैडो कैबिनेट के प्रत्येक सदस्य को कुछ विशेष पॉलिसी और उससे जुड़ी जिम्मेवारियां दी जाती हैं. उनका काम होता है- मंत्रिमंडल में अपने समकक्ष से सवाल पूछना और उन्हें चुनौती देना. इस तरह आधिकारिक विपक्ष खुद को एक वैकल्पिक सरकार के रूप में पेश कर सकता है."
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PRS India की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के अलावा कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी शैडो कैबिनेट सिस्टम है. कनाडा में कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य अभी के शैडो कैबिनेट में शामिल हैं और पियरे पॉलिवीयर को शैडो PM चुना गया है. ऑस्ट्रेलिया की शैडो कैबिनेट में विपक्ष की लिबरल पार्टी के सदस्य हैं. पीटर डटन को यहां लीडर ऑफ अपोजिशन चुना गया है. न्यूजीलैंड में लेबर पार्टी की ओर से शैडो कैबिनेट बनाया गया है. PRS India एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है जो संसदीय प्रक्रियाओं से जुड़े विषयों पर रिसर्च करती है.
भारत में कब हुई मांग?वैसे तो भारत में शैडो कैबिनेट के सफल परीक्षण की कोई बड़ी खबर नहीं मिलती. लेकिन समय-समय पर ऐसे प्रयोग होते रहे हैं. जैसे- 2014 में भाजपा से हारने के बाद कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी कुछ ऐसा ही किया था. उन्होंने 7 शैडो कैबिनेट कमेटी बनाईं. जिनका काम था- PM मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में प्रमुख मंत्रालयों के फैसलों और नीतियों पर नजर रखना. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तब रेलवे और श्रम संबंधी समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे. इसी तरह पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी रक्षा संबंधी मुद्दों पर नजर रखने वाली समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे.
राज्यों में भी हुए प्रयोगडाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में ही ऐसा ही प्रयोग मध्य प्रदेश में किया गया था. तब राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस ने शैडो कैबिनेट का गठन किया था. कहा गया था कि ये कैबिनेट सरकार के कामकाज पर कड़ी निगरानी रखेगी. तब मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता थे- सत्यप्रकाश कटारे. उन्होंने ही इस कैबिनेट की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि हाल के चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार हो रही है. इसलिए जब उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया तो उन्हें शैडो कैबिनेट का ख्याल आया. तब राज्य के 44 विधायकों को अलग-अलग विभागों की जिम्मेवारी दी गई थी. साल 2022 में तेलंगाना में भी कांग्रेस की ओर से शैडो कैबिनेट बनाने की चर्चा हुई थी.
BJP और AAP ने भी किया था प्रयासइस प्रयोग में कांग्रेस के अलावा भाजपा और आम आदमी पार्टी ने भी हाथ आजमाया है. इससे पहले भाजपा ने महाराष्ट्र, गोवा, पंजाब और दिल्ली में ऐसा प्रयास किया था. जहां वो विपक्ष की भूमिका में थे. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद भाजपा नेता हर्षवर्धन ने भी शैडो कैबिनेट बनाने की घोषणा की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं.
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