The Lallantop
Advertisement

सोनिया ने ऐसा क्या लिखा कि अटल ने कहा- डिक्शनरी से देखकर लिखा है क्या?

वाजपेयी उस दिन बहुत गुस्से में थे. उन्होंने सोनिया समेत पूरी कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाई.

Advertisement
Img The Lallantop
अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ में पत्रकारिता की शुरुआत की और वहीं से बाद में लंबे समय तक सांसद रहे.
font-size
Small
Medium
Large
17 अगस्त 2018 (Updated: 16 अगस्त 2019, 11:48 IST)
Updated: 16 अगस्त 2019 11:48 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
2003 का अगस्त महीना था. ठीक-ठीक बताएं, तो 19वीं तारीख थी. लोकसभा बैठी हुई थी. सत्ता में थी NDA. विपक्ष उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था. इसी पर दो दिन से बहस चल रही थी. अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. वो अपनी जगह पर बोलने के लिए खड़े हुए. बोले,
मैंने इतने अविश्वास प्रस्ताव देखे जीवन में, लेकिन इस जैसा नहीं देखा. अविश्वास प्रस्ताव तब लाया जाता है, जब सरकार गिरने की कगार पर होती है. या फिर जब विपक्ष किसी तरह सरकार को गिराना चाहता है. मगर ये तो अद्भुत स्थिति है. न तो हमारी सरकार गिरने की हालत में है. और न ही आप हमारी सरकार गिराना चाहते हैं. ऐसे में ये प्रस्ताव क्यों लाए हैं आप?
विपक्ष ने कई इल्जाम लगाए थे वाजपेयी सरकार पर. जैसे ये कि सरकार ने आंतरिक सुरक्षा को दांव पर लगा दिया है. कि सरकार की रक्षा नीति सही नहीं है. विदेश नीति ठीक नहीं है. इन सब आरोपों का जवाब देते हुए उस दिन वाजपेयी एकदम फायर थे. देश के हितों को गिरवी रखने के आरोपों पर जवाब देते हुए वाजपेयी बोले-
आपको क्या लगता है? भारत इतना सस्ता है कि उसे गिरवी रखा जा सकता है! ये राजनीति की होड़ में हमें एक-दूसरे की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.
कांग्रेस वाजपेयी सरकार की विदेश नीति पर अंगुली उठा रही थी. जवाब में वाजपेयी ने विपक्ष को याद दिलाया. कहा कि वो 1957 से सांसद रहे हैं लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि विदेश नीति जैसे मसले पर सरकार और विपक्ष में ऐसा मतभेद दिखा हो.
कांग्रेस वाजपेयी सरकार की विदेश नीति पर अंगुली उठा रही थी. जवाब में वाजपेयी ने विपक्ष को याद दिलाया. कहा कि वो 1957 से सांसद रहे हैं लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि विदेश नीति जैसे मसले पर सरकार और विपक्ष में ऐसा मतभेद दिखा हो.


इस अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वाजपेयी सरकार को इन्कॉम्पिटेंट (अयोग्य), इन्सेंसिटिव (असंवेदनशील), इररेस्पॉन्सेबल (गैर-जिम्मेदार) और ब्रेजनली करप्ट (भ्रष्टाचारी) बताया था. वाजपेयी बड़े नाराज हुए थे इन शब्दों पर. उन्होंने कांग्रेस को सुनाते हुए कहा-
अभी तो मैं पढ़कर दंग रह गया, जब मैंने श्रीमती सोनिया (गांधी) जी का भाषण पढ़ा. उन्होंने सारे शब्द इकट्ठे कर लिए हैं. एक ही पैरा में. कहा है- बीजेपी लेड गवर्नमेंट हैज़ शोन इटसेल्फ टू बी इन्कॉम्पिटेंट, इन्सेंसिटिव, इररेस्पॉन्सेबल ऐंड ब्रेजनली करप्ट. राजनैतिक क्षेत्र में जो आपके साथ कंधे से कंधा लगाकर काम कर रहे हैं, उनके बारे में आपने ये सब लिखा है? मतभेद होंगे. लेकिन मतभेदों को प्रकट करने का ये तरीका है आपका? ऐसा लगता है कि शब्दकोश खोलकर बैठा गया है. उसमें से ढूंढ-ढूंढकर शब्द निकाले गए हैं. इन्कॉम्पिटेंट, इन्सेंसिटिव, इररेस्पॉन्सेबल.
वाजपेयी को नहीं लगा था कि 2004 का चुनाव वो हारेंगे. उन्हें दोबारा प्रधानमंत्री बनने का यकीन था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
वाजपेयी को नहीं लगा था कि 2004 का चुनाव वो हारेंगे. उन्हें दोबारा प्रधानमंत्री बनने का यकीन था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.


और फिर वाजपेयी ने कांग्रेस को सीधे-सीधे चुनौती देते हुए कहा-
सोनिया जी ने लिखा है- इट इज़ अ गवर्नमेंट दैट हैज बिट्रेड द मैनडेट ऑफ द पीपल. हम यहां लोगों के हाथों चुनकर आए हैं. जब तक लोग चाहेंगे, हम रहेंगे. आपका मैनडेट कौन होता है हमारा फैसला तय करने वाला. इट इज अ गवर्नमेंट दैट हैज बिट्रेड द मैनडेट! किसने आपको जज बनाया है? आप यहां तो शक्ति परीक्षण के लिए तैयार नहीं हैं. अब जब असेंबली के चुनाव होंगे, तब हो जाएंगे दो-दो हाथ. लेकिन ये क्या है? अरे, सभ्य तरीके से लड़िए. इस देश की मर्यादाओं का ध्यान रखिए.



ये भी पढ़ें: 
वाजपेयी के वो पांच बड़े फैसले, जिनके लिए देश हमेशा उन्हें याद रखेगा

अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: हिरोशिमा की पीड़ा

जब वाजपेयी के समर्थन के लिए मुसलमानों ने बनाई 'अटल हिमायत कमिटी'

क्या इंदिरा गांधी को 'दुर्गा' कहकर पलट गए थे अटल बिहारी?

जिसने सोमनाथ का मंदिर तोड़ा, उसके गांव जाने की इतनी तमन्ना क्यों थी अटल बिहारी वाजपेयी को?

कहानी उस लोकसभा चुनाव की, जिसने वाजपेयी को राजनीति में 'अटल' बना दिया

जब अटल बिहारी वाजपेयी ने ABVP से कहा- अपनी गलती मानो और कांग्रेस से माफी मांगो

जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा- हराम में भी राम होता है



विडियो में देखिए वो कहानी, जब अटल ने आडवाणी को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया

thumbnail

Advertisement

Advertisement

Advertisement