बात 2008 की. दिन 26 नवंबर. पाकिस्तान से कुछ लोग समंदर के रास्ते मुंबई आते हैं और शहर को लहूलुहान कर देते हैं. स्टेशन, कैफ़े, होटल, हॉस्पिटल ऐसी कोई जगह नहीं जहां उन आतंकियों ने आम निर्दोष लोगों का खून न बहाया हो. तीन दिन तक चली ये हैवानियत जब खत्म हुई, तब तक सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके थे. 27 नवंबर को जब ताज होटल में आतंकी गोली और बम के सहारे दहशत फैला रहे थे, तब एनएसजी की टीम ने लॉन्च किया ऑपरेशन ‘ब्लैक टॉरनेडो.’ इस ऑपरेशन को हेड कर रहे थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन. इसी ब्रेवहार्ट की जिंदगी पर अब एक नोटिसेबल फ़िल्म आ रही है. ‘मेजर’ – जो 3 जून को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी.
इस फ़िल्म का ट्रेलर आ गया है. ट्रेलर के रास्ते बात करेंगे इस फ़िल्म की, इसकी कहानी की, उस रियल लाइफ मेजर की, मेकर्स की, फ़िल्म के बेहद जरूरी और रोचक पहलुओं की.
असल में कैसा था संदीप उन्नीकृष्णन नाम का वो योद्धा
एक मलियाली परिवार में जन्मा लड़का जिसके पिता इसरो में वैज्ञानिक थे, उसने आर्मी का करियर चुना. संदीप ने 1995 में एनडीए का एग्जाम निकाला और 1999 में लेफ्टिनेंट के तौर पर कमीशंड हो गए. दो प्रमोशन पाकर 2003 में कैप्टन और 2005 में मेजर बन गए. उन्होंने इंडियन आर्मी के सबसे डिफिकल्ट माने जाने वाले कोर्स ‘घातक’ में दो बार टॉप किया. ट्रेनिंग के बाद एनएसजी ज्वाइन की. जो ब्लैक कैट कमांडोज़ की कॉउंटर टेररिस्ट यूनिट है. सब बढ़िया चल रहा था.

संदीप अपने करियर में आगे बढ़ रहे थे. उसी दौरान 2008 में मुम्बई पर आतंकी हमला होता है. तीन दिनों तक आतंकी क्रूरता दिखाते रहते हैं. जब ताज होटल में घुसे टेररिस्ट्स को कोई नहीं थाम पाता. तब एनएसजी के स्पेशल ऐक्शन ग्रुप को बुलाया जाता है, जिसके टीम कमांडर थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन.

10 कमांडो की टीम ने जब होटल में प्रवेश किया, तो उन्हें तीसरी मंजिल पर आतंकियों के होने का शक हुआ. एक रूम में आतंकियों ने कुछ लोगों को बंधक बना रखा था. कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था. टीम कमरे का दरवाज़ा तोड़ने जैसे ही आगे बढ़ी. उन पर गोलीबारी शुरू हो गई. टीम ने काउंटर फायरिंग शुरू की. फायरिंग में संदीप के साथी कमांडो सुनील यादव घायल हो गए. संदीप अपने घायल साथी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान उनके दाएं हाथ में गोली लग गई. फिर भी वो आतंकियों का पीछा करते रहे और गोली चला रहे आतंकियों को ढूंढकर उन्होंने मार गिराया. संदीप आगे बढ़े, तो आतंकी कमरे में लोगों को बंद करके मार रहे थे. संदीप ने वहां से 14 लोगों को बाहर निकाला. पर पीछे से हुई गोलीबारी में वो बुरी तरह जख्मी हो गए. वो लड़ते रहे, अंतिम सांस तक लड़ते रहे और ऑपरेशन ‘ब्लैक टॉरनेडो’ को क़ामयाब बनाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए.

‘डोंट कम अप, आईल हैण्डल देम’
अपने एक घायल साथी को बचाने के बाद टीममेट्स से कहे गए ये आखिरी शब्द थे, शहीद मेजर उन्नीकृष्णन के. ट्रेलर में जब संदीप का रोल प्ले कर रहे एक्टर अदिवी शेष ये कहते हैं तो उम्मीद बढ़ जाती है कि शायद ये फ़िल्म संदीप की रियल लाइफ़ के ज़्यादा क़रीब हो. दूसरी बायोपिक मूवीज़ की तरह लार्जर दैन लाइफ़ न हो. बायोपिक को ज़्यादा ड्रामेटाइज़ न किया गया हो. देखते हैं फ़िल्म में क्या होता है!

ज़िंगोइज़्म को छूके टक से वापस आ सकता हूं
ट्रेलर शुरू होता है, एक ऑफिसर संदीप से पूछता है: ‘बॉर्डर पार करके पीओके क्यों गये संदीप, ये हमारी तरफ़ है और वो उनकी’. संदीप कहते हैं: ‘हमारा ही तो है सर’. एक बार को लगा कि फ़िल्म ज़िंगोइज़्म का ढिंढोरा पीटेगी. पर जैसे-जैसे ट्रेलर आगे बढ़ता है, वो संदीप के जीवन पर केन्द्रित होता जाता है. और फ़िल्म के ज़िंगोइस्टिक होने के भ्रम को तोड़ता है. ट्रेलर अपने नाम को जस्टीफाई करता है और आख़िर तक मेजर पर पूरी तरह टिका रहता है. यानी हालिया वार और टेरीरिज्म से जुड़ी फिल्मों से ‘मेजर’ शायद अलग होने वाली है. पर कुछ पुख्ता तो फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद ही कहा जा सकेगा.
कौन हैं संदीप का रोल निभाने वाले अदिवि?
अदिवि शेष एक डायरेक्टर, राइटर और ऐक्टर हैं. जो तेलगु इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. चूंकि ये फ़िल्म भी मूल रूप से तेलगु में ही है. पर इसे एक ही साथ तेलगु और हिंदी दोनों भाषाओं में शूट किया गया है और मलयालम में डब किया गया है. 2002 में अदिवि ने अपनी पहली फ़िल्म की थी, पर उसके बाद आठ सालों तक कोई फ़िल्म नहीं की. 2010 में वो लौटे. सिर्फ़ ऐक्टर के तौर पर नहीं बल्कि डायरेक्टर के तौर पर भी, फ़िल्म थी ‘कर्मा’. उसके बाद से वो साउथ की और कई बायलिंग्वल फिल्मों में काम कर चुके हैं. अब उनकी फ़िल्म आ रही है ‘मेजर’. फ़िल्म में मुरली शर्मा, साई मांजरेकर, रेवती और प्रकाश राज महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. प्रकाश राज फ़िल्म में संदीप के पिता बने हैं. ट्रेलर से ऐसा मालूम होता है कि वो ‘मेजर’ में सूत्रधार या नरेटर की भूमिका भी निभा रहे हैं.

75 लोकेशंस पर हुई शूट ‘मेजर’
‘मेजर’ को शूट करने में क़रीब दो साल का समय लग गया. फ़रवरी 2020 में शुरू हुआ इसका शूट, कोरोना की मार झेलता हुआ दिसम्बर 2021 में खत्म हुआ. 120 दिन में पूरी हुई ये मूवी 75 अलग-अलग लोकेशंस पर शूट हुई है. इसे लिखा है ख़ुद संदीप का रोल कर रहे अदिवि शेष ने और डायरेक्ट किया है अदिवि की ‘कर्मा’ फ़िल्म में क्रू मेम्बर रहे शशि किरण टिक्का ने. सोनी पिक्चर्स और महेश बाबू ने मिलकर इसमें पैसा लगाया है.
कोरोना के दौर को भेदती हुई ये फ़िल्म आख़िरकार रिलीज़ हो रही है. ऐसे में मेकर्स को इससे उम्मीदें होंगी ही, हमें भी ख़ूब हैं. इंतज़ार करते हैं 3 जून का ये फ़िल्म दूसरी देशभक्ति से लबरेज़ फिल्मों की तरह ही होगी या कुछ नया पेश करेगी.