फेसबुक एक ऐसी जगह है जहां लोग अपना ज्ञान फोकट में ठेल जाते हैं. तुम लेना चाहो चाहे नहीं. टाइम लाइन पर दिखता रहता है ज्ञान. अगर उसे देखकर अंगूठा चिपका दो तो उस ज्ञान की मात्रा बढ़ती जाती है. लेकिन कुछ ज्ञानी वहां ऐसे होते हैं जिनको अपने नाम पर भरोसा नहीं होता. लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा होता है. वो अपनी मेहनत से लिखा कोट किसी और के नाम से चिपका जाते हैं. ताकि उस नाम के वजह से उस सड़े कोट में भी वजन आ जाए. फेसबुक पर सबसे ज्यादा कोट्स जिन महापुरुषों के नाम पर झोंके जाते हैं, निम्नलिखित हैं.
1. चाणक्य

इन्होंने इतने कोट्स अपनी किताब अर्थशास्त्र के लिए नहीं लिखे होंगे जितने फेसबुक के लिए लिखे. इनकी उंगली उठी फोटो समूचे फेसबुक के उंगली किये बैठी है.
2. अम्बेडकर

संविधान देकर जाना इनकी दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है. पहली है बुद्ध जीवी जानकारों की प्रोफाइल पिक का रूप धर कर शोभा बढ़ाना. इनके नाम से कोई भी दलितों की रक्षा वाले कोट्स लगा देता है जिससे अम्बेडकर खुद भी इत्तेफाक न रखते रहे होंगे.
3. भगत सिंह

नास्तिकों की प्रोफाइल पिक में बहुतायत से पाये जाते हैं. अक्सर चूहों से डरने वाले लोगों के जीवाश्मों की खुदाई की जाये तो वे भगत सिंह के फैन निकलेंगे. इंटरनेट पर मौजूद मुट्ठी भर फोटोज के जरिए भगत सिंह ने ऐसा शोर मचाया है जितना असेंबली में बम फेंककर भी नहीं मचाया था.
4. चे गुएरा

हमको सच्ची नहीं पता कि कौन है ये आदमी और पक्का है इसकी फोटो टीशर्ट और डीपी में लगाने वाले भी बहुत ज्यादा न जानते होंगे. इनके नाम को हिंदी में कैसे लिखा जाए इस पर भी वैज्ञानिकों में मतभेद है. कोई चे ग्वेरा लिखता है, कोई चे गुआवेरा तो कोई सिर्फ चे लिखकर मोहब्बत बरसा जाता है.
5. परशुराम

जब बांभन बुद्धि और क्रोध को साबित करने की जरूरत पड़ती है तो इनकी फोटो सर्वथा उपयोगी नजर आती है. इनकी फोटो के साथ आपने ये लाइनें लिखी पढ़ी होंगी-
ब्राह्मण भूखा तो सुदामा
समझा तो चाणक्य
रूठा तो रावण
धकियाया तो आडवाणी
चोट्टाया तो माल्या
6. विवेकानंद

शिकागो के भाषण की कॉपी फेसबुक पर छपने पर रॉयल्टी मिलती तो निश्चित ही वे मुकेश अम्बानी के समकक्ष होते. उनकी ऐसी ऐसी बातें लोगों ने छाप दी हैं जो वो कभी सोचते भी नहीं. जिनको विवेकानंद के बचपन का नाम भी नहीं मालूम है वे भो उनके नाम से अपने अनमोल वचन बेंच लेते हैं.
7. कलाम

कलाम साहब एक किवदंती हैं अब. जबकि वो हैं नहीं तो उनके नाम से अपने विचार भी लोग धड़ल्ले से पोस्ट कर रहे हैं. और तो और उनके जन्म या मरण दिवस पर ऐसी कहानियां पोस्ट करते हैं जिनसे उनका कुछ लेना देना ही नहीं था.
8. ग़ालिब

जिनको असदुल्लाह खां ग़ालिब कहने को बोलो तो जबान तुड़मुड़ा जाएगी, वो भी अपने शेर ग़ालिब के नाम से फेसबुक पर लिखते हैं. आपको यकीन नहीं होगा कि “चलती है गाड़ी उड़ती है धूल, जलते हैं दुश्मन खिलते हैं फूल” भी मिर्जा ग़ालिब ने लिखा था.
9. हरिवंशराय बच्चन

जिसको कविताओं के दौरे आते हैं, ये उनके फेवरेट हैं. जब से उनके पुत्तर बच्चन अंताब ने कुमार विश्वास पर नजरे इनायत की है, लोग थोड़ा बचने लगे हैं नहीं तो ‘कटोरे में कटोरा, मेरा दोस्त बहुत चटोरा’ जैसी कालजयी रचनाओं के लिए भी हरिवंशराय बच्चन को ही जिम्मेदार बता देते थे.
इनके अलावा नाना पाटेकर जैसे कुछ जीवित महापुरुष भी हैं जिनके फोटो पर अपनी बात चिपकाकर तोल दी जाती है. भले पढ़ने वाला अपने दिमाग की नस खेंच डाले.
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