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'भागवत के अरेस्ट का आदेश मुझे दिया था, लेकिन... ' मालेगांव ब्लास्ट के जांच अधिकारी का खुलासा

Mehboob Mujawar ने बताया कि Malegaon Blast Case में उन्हें सरसंघचालक Mohan Bhagwat को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में भगवा आतंकवाद के कॉन्सेप्ट को सिद्ध करने के लिए उन पर गलत जांच करने का दबाव बनाया गया था. उन्होंने उस अधिकारी का नाम भी बताया है, जिन्होंने ये आदेश दिया था.

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Mehboob Mujawar Malegaon Blast Case  Mohan Bhagwat
महबूब मुजावर ने मोहन भागवत को लेकर बड़ा दावा किया है. (इंडिया टुडे)
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अभिजीत करंडे
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1 अगस्त 2025 (Updated: 1 अगस्त 2025, 01:28 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी महबूब मुजावर (Mehboob Mujawar) ने मालेगांव ब्लास्ट केस (Malegaon Blast Case) को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने दावा किया है कि उन्हें इस मामले में RSS चीफ मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था. मुजावर मालेगांव विस्फोट मामले की जांच कर रहे एंटी टेररिस्ट स्कवॉड (ATS) का हिस्सा थे.

इंडिया टुडे टीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में महबूब मुजावर ने बताया कि मालेगांव ब्लास्ट केस के जांच अधिकारी परमवीर सिंह ने उन्हें सरसंघचालक मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में भगवा आतंकवाद के कॉन्सेप्ट को सिद्ध करने के लिए उन पर गलत जांच करने का दबाव बनाया गया था. मुजावर ने बताया,

 मैंने इसका विरोध किया क्योंकि मैं गलत काम नहीं करना चाहता था.

उन्होंने आगे दावा किया कि जांच अधिकारी के गैर कानूनी आदेशों का पालन करने से इनकार करने पर उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया गया. लेकिन वो इन सभी मामलों में बरी हो गए. महबूब मुजावर ने बताया,

 उस समय के IPS अधिकारी परमवीर सिंह ने मुझ पर दबाव बनाया कि मैं ब्लास्ट में मारे गए लोगों को चार्जशीट में जिंदा बताऊं. मैं यह नहीं कह सकता कि ATS ने तब क्या जांच की और क्यों की. लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और RSS प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे. ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि कोई उनका पालन कर सके.

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साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी. और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस विस्फोट के लगभग 17 साल बाद NIA के स्पेशल कोर्ट ने पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है.

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