'मुझे नरेंद्र मोदी का नाम लेने को कहा गया...', मालेगांव ब्लास्ट मामले में प्रज्ञा ठाकुर का बयान
Malegaon Blast Case में NIA की स्पेशल कोर्ट ने Pragya Thakur समेत सभी 7 आरोपियों को बरी किया है. प्रज्ञा ठाकुर ने आरोप लगाया कि जांचकर्ताओं ने उनसे PM Narendra Modi समेत कई लोगों के नाम लेने के लिए दबाव डाला था.

2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि जांचकर्ताओं ने उन पर दबाव डालने की कोशिश की, ताकि वे इस केस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत और अन्य लोगों का नाम लें.
प्रज्ञा ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि जांचकर्ताओं ने उनसे कहा, ‘इनके नाम लो… तो हम तुम्हें नहीं पीटेंगे.’ प्रज्ञा ठाकुर ने आरोप लगाया कि जांचकर्ताओं का मकसद उन्हें प्रताड़ित करना था. शनिवार, 2 अगस्त को प्रज्ञा ठाकुर ने कई और दावे करते हुए कहा,
उन्होंने मुझसे इसके अलावा भी कई लोगों के नाम लेने को कहा… जिनमें (सीनियर BJP नेता) राम माधव और इंद्रेश कुमार भी शामिल हैं… ये सब करने के लिए उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया… मेरे फेफड़े की झिल्ली फट गई, मैं बेहोश हो गई. मुझे अस्पताल में गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा गया था.
प्रज्ञा ठाकुर ने आगे दावा किया,
मैं गुजरात में रहती थी. इसलिए उन्होंने मुझसे (प्रधानमंत्री) मोदी जी का नाम कहलवाने का प्रयास किया. मैंने किसी का नाम नहीं लिया. क्योंकि सब असत्य कहलवाना चाह रहे थे, इसलिए मैंने किसी का नाम नहीं लिया.
दरअसल, 31 जुलाई को मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की स्पेशल कोर्ट का फैसला आया. इसमें प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर अपराध साबित करने में कामयाब नहीं रहा.
प्रज्ञा ठाकुर से पहले, मिलिंद जोशीराव ने कोर्ट को बताया कि एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) के अधिकारियों ने उन्हें योगी आदित्यनाथ और दूसरे RSS नेताओं का नाम लेने के लिए दबाव बनाया गया था. मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में अपने बयान से मुकरने वाले 39 गवाहों में से एक मिलिंद जोशीराव भी थे. जो अभिनव भारत ट्रस्ट के ट्रस्टी थे.
क्या हुआ था?29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में भीक्कू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ था. इसके महज कुछ मिनट बाद ही गुजरात के मोडासा में भी धमाका हुआ. मालेगांव धमाके में 7 लोगों की मौत हुई थी. जबकि मोडासा में एक 15 साल के लड़के की जान चली गई थी. कुल 80 लोग घायल हुए थे. मामले में जांच हुई तो पता चला कि इसके पीछे हिंदू कट्टरपंथियों का हाथ है. 24 अक्टूबर 2008 को पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर शामिल थीं. प्रज्ञा ठाकुर बाद में भाजपा के टिकट पर भोपाल से सांसद भी बनीं.
आगे और जांच हुई तो कड़ी से कड़ी खुलती गईं. ATS ने अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों की भी भूमिका का खुलासा किया, जिसमें राष्ट्रीय जागरण मंच, शारदा सर्वज्ञ पीठ, हिंदू राष्ट्र सेना और अभिनव भारत का नाम शामिल था. ATS ने 4 नवंबर 2008 को लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को गिरफ्तार किया, जो उस समय सेना में काम कर रहे थे. ब्लास्ट केस की जांच NIA कर रही थी. बाद में केस में एक के बाद एक गवाह लगातार पलटते गए.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: मालेगांव ब्लास्ट केस में कैसे बरी हुए प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 आरोपी?