The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Delhi court rejects plea for FIR against Sonia Gandhi over inclusion in voters list before becoming citizen

सोनिया गांधी को 'बिना नागरिकता का वोटर' बताने वाली याचिका खारिज, FIR की मांग की थी

याचिका में कहा गया था कि सोनिया गांधी ने अप्रैल, 1983 को भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी. लेकिन उनका नाम 1980-81 में मतदाता सूची में दर्ज था, जो गैर-कानूनी है.

Advertisement
Delhi court rejects plea for FIR against Sonia Gandhi over inclusion in voters list before becoming citizen
दावा किया गया कि 1980 में जब सोनिया का नाम पहली बार शामिल किया गया था, तब चुनाव आयोग को कौन से डॉक्यूमेंट्स दिखाए गए थे. (फोटो- PTI)
pic
प्रशांत सिंह
11 सितंबर 2025 (Updated: 11 सितंबर 2025, 05:25 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है (Delhi court rejects plea for FIR against Sonia Gandhi). याचिका में आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के इलेक्टोरल रोल में शामिल था, जबकि उन्होंने 1983 में भारत की नागरिकता प्राप्त की थी.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (ACJM) वैभव चौरसिया ने मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा,

"हमने इस याचिका को खारिज कर दिया है."

इस मामले में कोर्ट का डिटेल्ड ऑर्डर अभी सामने नहीं आया है.

नाम हटाकर फिर जोड़ा गया

बता दें कि वकील विकास त्रिपाठी ने ये याचिका दायर की थी. उन्होंने  याचिका में कहा था कि सोनिया गांधी ने अप्रैल, 1983 को भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी. लेकिन, उनका नाम 1980-81 में मतदाता सूची में पहले से दर्ज था, जो गैर-कानूनी है. क्योंकि मतदाता बनने की पहली शर्त भारतीय नागरिकता है. 

अदालत में याचिकाकर्ता के वकील पवन नारंग ने तर्क दिया कि 1982 में उनका नाम सूची से हटाया गया था. इसके बाद 1983 में इसे फिर से जोड़ा गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी को मतदाता दिखाने के लिए जाली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल कर अपराध किया गया है.

नारंग ने कोर्ट को बताया,

“नाम हटाने का कारण नहीं पता चला है. इसके दो कारण हो सकते हैं, या तो कोई दूसरे देश की नागरिकता ले ले या फॉर्म 8 (एप्लीकेशन में सुधार के लिए आवेदन) भर दे. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वो व्यक्ति नागरिक हो."

उन्होंने सवाल उठाया कि 1980 में जब सोनिया का नाम पहली बार शामिल किया गया था, तब चुनाव आयोग को कौन से डॉक्यूमेंट्स दिखाए गए थे. उन्होंने आरोप लगाया,

"कुछ जालसाजी हुई है, और एक सार्वजनिक प्राधिकरण को धोखा दिया गया है."

नारंग ने कोर्ट से कानून के उचित प्रावधानों के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश देने का आग्रह किया था.

वीडियो: ED की चार्जशीट में गांधी परिवार का नाम, देशभर में कांग्रेस का प्रदर्शन

Advertisement