The Lallantop
Advertisement

संजय बांगड़ के बेटे आर्यन बने लड़के से लड़की, इस चेंज के लिए कैसे होती है हॉर्मोन थेरेपी?

जब शरीर में हॉर्मोन्स की कमी हो जाती है, तब इन्हें बाहर से दिया जाता है. इसे हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कहते हैं. पर इस दौरान शरीर में क्या बदलाव होते हैं और कैसे? डॉक्टर ने सब बताया है.

Advertisement
Sanjay bangars son undergoes hormone replacement therapy know eveything about it
अनाया की तस्वीर (सर्जरी से पहले और कुछ वक्त बाद की)
11 नवंबर 2024 (Updated: 11 नवंबर 2024, 10:07 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पूर्व क्रिकेटर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन ने अपना जेंडर चेंज कराया है. अब वो आर्यन से अनाया बन गए हैं. इसके लिए उन्होंने हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सहारा लिया है. अनाया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर थेरेपी के बाद की नई फोटोज़ पोस्ट की हैं.

मगर ये हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या है? कैसे कोई लड़का से लड़की बन सकता है, या लड़की से लड़का बन सकता है? ये हमने पूछा डॉक्टर शैली शर्मा से. 

dr shailly sharma
डॉ. शैली शर्मा, एसोसिएट डायरेक्टर, गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉक्टर शैली बताती हैं कि जब शरीर में हॉर्मोन्स की कमी हो जाती है, तब इन्हें बाहर से दिया जाता है. इसे हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कहते हैं. जैसे महिलाओं के शरीर में मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन कम हो जाते हैं. ये वो हॉर्मोन्स हैं, जिनके कारण महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं. उनके पीरियड्स आते हैं. तब इन हॉर्मोन्स की कमी से बचाने या उन्हें ठीक करने के लिए बाहर से हॉर्मोन्स लिए जाते हैं.

ये थेरेपी कई तरह की होती है. जैसे मेस्कुलनाइज़िंग हॉर्मोन थेरेपी (Masculinizing hormone therapy) और फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरेपी (Feminizing hormone therapy). इन्हें जेंडर-अफर्मिंग हॉर्मोन थेरेपी या ट्रांसजेंडर हॉर्मोन थेरेपी भी कहा जाता है. जो थेरेपी आर्यन ने अनाया बनने के लिए कराई, वो फेमिनाइज़िंग हॉर्मोन थेरेपी होगी. इसमें व्यक्ति को एस्ट्रोजन हॉर्मोन दिया जाता है. क्यों? क्योंकि, महिलाओं में जो शारीरिक बदलाव होते हैं. जो उन्हें पुरुषों से अलग बनाते हैं. वो एस्ट्रोजन हॉर्मोन्स की वजह से ही होते हैं. जैसे पीरियड्स आना. प्रेग्नेंसी होना. ब्रेस्ट और हिप्स का विकास होना. वगैरह वगैरह.

anaya bangar
अनाया ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये तस्वीरें पोस्ट की हैं

हालांकि, इस थेरेपी से शरीर में केवल बाहरी बदलाव ही होते हैं. इसका पीरियड्स और प्रेग्नेंसी से कोई संबंध नहीं होता. यानी इस थेरेपी को करवाने के बाद भी, इंसान प्रेगनेंट नहीं हो सकता. ना पीरियड्स होते हैं. वो इसलिए, क्योंकि इसके लिए गर्भाशय और ओवरी की ज़रूरत होती है.  

अब फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरेपी में एस्ट्रोजन हॉर्मोन तो दिया ही जाता है. शरीर से टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा घटाने के लिए एंटी-एंड्रोजन्स भी दिए जाते हैं. इसे एक तरह की दवा समझिए. इससे व्यक्ति के शरीर में बदलाव होने लगता है. ब्रेस्ट उभरने लगते हैं. स्किन सॉफ्ट हो जाती है. शरीर और चेहरे पर बाल कम होने लगते हैं. शरीर में फैट डिस्ट्रीब्यूशन भी अलग तरीके से होने लगता है. जैसे हिप्स और जांघों में अधिक फैट जमा होता है, ताकि शारीरिक बनावट महिलाओं जैसी हो जाए.

इसी तरह, मेस्कुलनाइज़िंग हॉर्मोन थेरेपी में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन दिया जाता है. ताकि पीरियड्स आना बंद हो जाएं. ओवरी में कम एस्ट्रोजन बने. मसल्स का विकास हो. आवाज़ भारी हो, और शरीर पर बाल बढ़ जाएं.

hormones
हॉर्मोन्स दवा के ज़रिए दिए जा सकते हैं

अब बात आती है कि ये हॉर्मोन्स दिए कैसे जाते हैं? डॉक्टर शैली बताती हैं कि हॉर्मोन्स देने के कई तरीके हैं. जैसे गोली, पैच, जेल या क्रीम और इंजेक्शन. थेरेपी किस तरीके से दी जाएगी, ये व्यक्ति की जरूरत और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है.

वहीं हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कितने वक्त में काम करेगी, ये व्यक्ति की उम्र, हॉर्मोन रिसेप्टर्स और दवा के असर पर निर्भर करता है. देखिए, हॉर्मोन रिसेप्टर्स एक तरह के प्रोटीन होते हैं जो किसी खास हॉर्मोन को बांधकर रखते हैं.

हालांकि हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की कुछ कमियां भी हैं. जैसे ये प्यूबर्टी के समय हुए बदलावों को रिवर्स नहीं कर सकती. माने अगर आप जन्म से एक पुरुष हैं. आपकी आवाज़ भी लड़कों जैसी है. तो, ये थेरेपी कराने के बाद आपकी आवाज़ लड़कियों जैसी नहीं हो जाएगी. वो पहले जैसी ही रहेगी. इंसान चाहे तो इसके लिए अलग से कोई थेरेपी या सर्जरी करवा सकता है.

हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लॉन्ग टर्म रिस्क क्या हैं, ये अभी पूरी तरह से मालूम नहीं है. मगर माना जाता है कि इससे इनफर्टिलिटी हो सकती है. खून का थक्का जम सकता है. ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है. किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिए, अगर आप ये थेरेपी कराने की सोच रहे हैं तो पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः दिल की किन बीमारियों का रिस्क पुुरुषों को ज़्यादा है? डॉक्टर ने बताया

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement