सावधान! पेटीकोट बहुत कसकर बांधती हैं तो स्किन कैंसर हो सकता है! डॉक्टर से सब समझ लीजिए
पेटीकोट कैंसर से जुड़ी एक स्टडी BMJ केस रिपोर्ट्स नाम के जर्नल में छपी. बताया गया कि जब पेटीकोट के नाड़े को कसकर कमर पर बांधा जाता है. तब स्किन के नाड़े से लगातार घिसने की वजह से स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा हो सकता है. ये एक तरह का स्किन कैंसर है.

ब्रेस्ट कैंसर. सर्विकल कैंसर. ओवेरियन कैंसर और यूटेराइन कैंसर. ये महिलाओं से जुड़े कुछ बहुत ही आम कैंसर हैं. मगर, अब इस लिस्ट में एक नया नाम और जोड़ लीजिए. ये नाम है, पेटीकोट कैंसर का (Petticoat Cancer).
जी, ये कैंसर पेटीकोट पहनने, उसे टाइट बांधने से होता है. पेटीकोट, साड़ी के भीतर पहना जाने वाला एक कपड़ा है. ये किसी स्कर्ट की तरह होता है. कुछ वक्त पहले, पेटीकोट कैंसर से जुड़ी एक स्टडी BMJ केस रिपोर्ट्स नाम के जर्नल में छपी. इसमें बताया गया कि जब पेटीकोट के नाड़े को कसकर कमर पर बांधा जाता है. तब स्किन के नाड़े से लगातार घिसने की वजह से स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) हो सकता है. ये एक तरह का स्किन कैंसर है. इसे ही ‘पेटीकोट कैंसर’ भी कहा जाता है.
अगर आप भी रोज़ साड़ी पहनते हैं. और, पेटीकोट को कसकर बांधते हैं. तब आपके लिए इस कैंसर के बारे में जानना और भी ज़रूरी हो जाता है. लिहाज़ा डॉक्टर से जानिए कि पेटीकोट कैंसर क्या है. ये क्यों होता है. इसके लक्षण क्या हैं. और, पेटीकोट कैंसर से बचाव व इलाज कैसे किया जाए.
पेटीकोट कैंसर क्या है?ये हमें बताया डॉक्टर रिचु शर्मा ने.

पेटीकोट कैंसर एक तरह का स्किन कैंसर है. इसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC) भी कहा जाता है. पेटीकोट कैंसर उन महिलाओं में देखा जा रहा है जो लंबे समय तक साड़ी पहनकर काम करती हैं. वो साड़ी के अंदर पहने जाने वाले पेटीकोट को बहुत कसकर कमर पर बांधती हैं. इसकी वजह से कमर के आसपास सबसे ज़्यादा पसीना इकट्ठा होता है. लगातार पसीने और घिसाव से स्किन में जलन होनी शुरू हो जाती है. इससे कैंसर समेत अलग-अलग तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
पेटीकोट कैंसर क्यों होता है?अगर पेटीकोट को बहुत कसकर बांधा जाए, तो बार-बार घिसाव की वजह से स्किन में बदलाव आने लगते हैं. कमर की स्किन का रंग बदल जाता है. धीरे-धीरे वहां ज़ख्म बनने लगता है. फिर ये ज़ख्म अल्सर में तब्दील हो जाता है. अगर अल्सर का समय पर इलाज न हो, तो उसके कैंसर बनने के चांस रहते हैं.
पेटीकोट कैंसर के लक्षणपेटीकोट के एरिया में स्किन का रंग बदलना, जैसे कालापन या लालपन आना. उस जगह पर बार-बार खुजली और जलन होना. स्किन में गांठ महसूस होना. अल्सर या ज़ख्म बनना, जो दवाई लगाने के बाद भी ठीक न हो. गांठों का आसपास के हिस्सों में फैलना. उस जगह से लगातार खून आना. ये सभी लक्षण हों तो पेटीकोट कैंसर होने का चांस होता है.

पेटीकोट कैंसर से बचने के लिए बीमारी को पनपने से रोकना सबसे ज़रूरी है. लिहाज़ा, आरामदायक कपड़े पहनें. पेटीकोट की गांठ बहुत कसकर न बांधें. सूती कपड़े का इस्तेमाल करें. ये स्किन को बहुत ज़्यादा इरिटेट नहीं करता. अगर वहां बार-बार पसीना आ रहा है, तो उसे तुरंत सुखाएं. बार-बार पसीना पोछें और प्रॉपर हाइजीन बनाए रखें. अपनी स्किन को अच्छे से साफ करें. अगर ज़रूरत पड़े, तो टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल करें. जिससे स्किन में घिसाव न हो और इस वजह से वहां कोई बदलाव न आए.
सबसे ज़रूरी, अगर कोई अस्वाभाविक बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. अगर ये कैंसर होता है तो भी इसका इलाज मुमकिन है. बस आप डॉक्टर के पास जाएं और अपनी जांच कराएं. सर्जरी, कीमोथेरेपी, या रेडिएशन थेरेपी से पेटीकोट कैंसर का इलाज किया जा सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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