कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि पॉक्सो अधिनियमलैंगिक रूप से तटस्थ है, यानी यह सभी बच्चों की सुरक्षा के लिए समान रूप से लागूहोता है, चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला. यह मामला तब सामने आया जब एक 48 वर्षीयमहिला पर 13 वर्षीय लड़के का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया, और न्यायालय नेइस पुरानी धारणा को दृढ़ता से खारिज कर दिया कि केवल पुरुष ही ऐसे अपराध कर सकतेहैं. न्यायालय ने यह भी कहा कि बच्चों द्वारा यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करानेमें देरी से मामला कमज़ोर नहीं होता, क्योंकि आघात और भय अक्सर तुरंत शिकायत दर्जकराने से रोकते हैं. इस फैसले के साथ, न्यायालय ने एक स्पष्ट संदेश दिया है किबच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए, अपराधी का लिंग चाहे जो भी हो, कड़ी सजा दीजाएगी. क्या कहा कोर्ट ने, जानने के लिए देखें वीडियो.