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10 लाख लोगों को हर दिन हो रहे सेक्स से इंफेक्शंस, लक्षण जान लीजिए, बचे रहेंगे

World Sexual Health Day आज है. WHO के मुताबिक, दुनियाभर में 15 से 49 साल के 10 लाख लोगों को हर दिन सेक्स से फैलने वाले इंफेक्शंस होते हैं. जिन्हें इलाज से ठीक किया जा सकता है. मगर दिक्कत ये है कि ज़्यादातर इंफेक्शंस के शुरुआती लक्षण दिखते नहीं हैं. इसलिए सेक्स से फैलने वाले इन इंफेक्शंस के बारे में जानकारी होना बेहद ज़रूरी है.

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common sexually transmitted infections causes symptoms prevention and treatment
सेक्स से फैलने वाले इंफेक्शन दुनियाभर में बहुत आम हैं (फोटो: Freepik)
4 सितंबर 2025 (Published: 04:41 PM IST)
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तारीख 4 सितंबर. आज है वर्ल्ड सेक्शुअल हेल्थ डे. मुद्दा जब सेक्स से जुड़ा होता है, तो उस पर अक्सर खुलकर बात नहीं होती. इसलिए सेक्शुअल हेल्थ को लेकर लोगों में जागरूकता भी कम है. सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी एक बहुत ही आम समस्या है STI. यानी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन. ये सेक्स से फैलने वाले इन्फेक्शन हैं.

WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के मुताबिक, दुनियाभर में 15 से 49 साल के 10 लाख लोगों को हर दिन STIs होते हैं. जिन्हें इलाज से ठीक किया जा सकता है. पर दिक्कत ये है कि ज़्यादातर इन्फेक्शंस के शुरुआती लक्षण दिखते नहीं हैं. यानी व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि उसे STI है.

भारत की बात करें, तो सेक्स से होने वाले इंफेक्शंस हमारे देश में भी बहुत आम हैं. साल 2024. इंडियन जर्नल ऑफ सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ एंड एड्स में एक स्टडी छपी. Re-surgence of sexually transmitted infections in India नाम से. इसके मुताबिक, भारत में STI के सटीक आंकड़े रेकॉर्डेड नहीं हैं. हालांकि कम्यूनिटी बेस्ड स्टडीज़ से पता चलता है कि देश के लगभग 6% एडल्ट्स STI से प्रभावित हैं. 

6% सुनने में बहुत कम लगता है. लेकिन अगर बात करोड़ों की आबादी की हो, तो ये संख्या 6 करोड़ के आसपास बैठेगी. इसलिए सेक्स से फैलने वाले इन इंफेक्शंस के बारे में जानकारी होना बेहद ज़रूरी है.

भारत में मौजूद कुछ आम STIs के बारे में हमें जानकारी दी इंस्टीट्यूट ऑफ एंड्रोलॉजी एंड सेक्शुअल हेल्थ के फाउंडर डॉक्टर चिराग भंडारी ने.

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डॉ. चिराग भंडारी, फाउंडर, इंस्टीट्यूट ऑफ एंड्रोलॉजी एंड सेक्शुअल हेल्थ

STIs बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट यानी परजीवी की वजह से हो सकते हैं. सेक्स के ज़रिए ये एक से दूसरे इंसान में फैलते हैं. सबसे आम STIs हैं HIV, सिफलिस, गोनोरिया, क्लैमाइडिया, HPV, हेपेटाइटिस B, हर्पीस और वैजिनाइटिस वगैरह.

HIV की बात करें तो इसमें मरीज़ की इम्यूनिटी कमज़ोर हो जाती है. अगर समय पर इलाज न हो, तो AIDS हो सकता है.

सिफलिस में प्राइवेट पार्ट में घाव हो जाते हैं. शरीर में दाने निकलने लगते हैं. इलाज न हो तो दिल, दिमाग समेत शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंच सकता है. ये एक जानलेवा कंडीशन है. WHO के मुताबिक, साल 2022 में दुनियाभर में 80 लाख एडल्ट्स सिफलिस से संक्रमित थे.  

गोनोरिया में पेशाब में जलन होती है. प्राइवेट पार्ट से अबनॉर्मल डिस्चार्ज होता है.

अगर किसी को वैजिनाइटिस हो जाए, तो वजाइना से अबनॉर्मल डिस्चार्ज होता है. खुजली होती है. सेक्स के वक्त ड्राईनेस महसूस होती है.

अनसेफ सेक्स से हेपेटाइटिस B भी हो सकता है. इसमें लिवर में सूजन आ जाती है. धीरे-धीरे लिवर काम करना बंद कर देता है. लिवर में कैंसर तक हो सकता है. हेपेटाइटिस B के लक्षण हैं- लगातार थकान रहना. भूख न लगना. उबकाई-उल्टी आना. पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना. खासकर दाईं ओर, जहां लिवर होता है. पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाना. स्किन और आंखें पीली पड़ना.

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प्राइवेट पार्ट में आने वाले हर छोटे-बड़े बदलावों पर ध्यान देना ज़रूरी है (फोटो: Freepik)

अब बात क्लैमाइडिया की. क्लैमाइडिया में शुरुआती लक्षण महसूस नहीं होते. लेकिन कुछ केसेज़ में प्राइवेट पार्ट से डिस्चार्ज होता है. पेशाब करते वक़्त भयंकर दर्द होता है. पेल्विक एरिया में दर्द होता है. अगर क्लैमाइडिया का इलाज न हो, तो पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ हो सकता है. ये महिलाओं के रिप्रोडक्टिव अंगों में होने वाला इंफेक्शन है. ये ज़्यादातर तब होता है, जब सेक्स से फैला बैक्टीरिया वजाइना से यूटेरस यानी गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब्स और ओवरीज़ यानी अंडाशय तक फैल जाता है. क्लैमाइडिया से बच्चा पैदा करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

अनसेफ सेक्स से शरीर में HPV भी पहुंच सकता है. HPV यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस. इस वायरस से न सिर्फ इंफेक्शन और बीमारियां फैलती हैं. बल्कि महिलाओं में सर्विकल कैंसर भी हो सकता है. सर्विकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर. WHO के मुताबिक, भारत में साल 2022 में सर्विकल कैंसर के 1 लाख 27 हज़ार से ज़्यादा नए मामले सामने आए थे.

सेक्स से फैलने वाले इंफेक्शंस में जेनिटल हर्पीज़ भी शामिल है. ये हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस की वजह से होता है. इसकी वजह से प्राइवेट पार्ट्स में दर्दनाक छाले निकल आते हैं. जेनिटल हर्पीज़ का कोई इलाज नहीं है. इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता.

वैसे ऐसा ज़रूरी नहीं है कि ये इंफेक्शन सिर्फ और सिर्फ़ सेक्स से ही फैलें. ये खून या बॉडी फ्लूइड के संपर्क में आने से भी फैल सकते हैं.

कई बार व्यक्ति को STI हो जाता है. पर लक्षण न दिखने की वजह से उसे इसका पता ही नहीं चलता. नतीजा? इंफेक्शन गंभीर होता जाता है. इसलिए प्राइवेट पार्ट में आने वाले हर छोटे-बड़े बदलावों पर ध्यान देना ज़रूरी है.

STIs के कुछ आम लक्षण ज़रूर होते हैं. जैसे प्राइवेट पार्ट से अबनॉर्मल डिस्चार्ज होना. वहां छाले या घाव पड़ जाना. प्राइवेट पार्ट में खूब खुजली या जलन होना. पेशाब करते समय जलन और दर्द होना. बुखार, थकान रहना. शरीर पर दाने निकलना.

जब आप इन लक्षणों के साथ डॉक्टर के पास जाएंगे, तो वो कुछ टेस्ट करेंगे. जैसे ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, स्वाब टेस्ट, पैप स्मीयर टेस्ट वगैरह. डॉक्टर फिज़िकल एग्ज़ामिनेशन भी कर सकते हैं. यानी शारीरिक जांच.

इलाज से बेहतर है बचाव. STI से बचाव कैसे होगा? सबसे ज़रूरी और सबसे अहम है सेफ़ सेक्स. सेक्स के दौरान कॉन्डम का इस्तेमाल करें. सेक्स के बाद पेशाब करें और अपने प्राइवेट पार्ट को अच्छे से साफ करें. आप HPV और हेपेटाइटिस B से बचने के लिए वैक्सीन भी लगवा सकते हैं.

STI का इलाज इन्फेक्शन पर निर्भर करता है. इंफेक्शंस को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स भी दी जा सकती हैं. एंटीवायरल दवाओं का भी इस्तेमाल होता है. जो इंफेक्शन पूरी तरह ठीक नहीं किए जा सकते, उनके लक्षणों को दवाओं के ज़रिए कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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