बिहार के 'मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम रेप केस' की पूरी कहानी, जिसपर शाहरुख खान फिल्म ला रहे हैं
केस जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी नीतीश सरकार को लताड़ा था.

हालांकि ‘कामयाब’ से उनका ये जुड़ाव, शुरू से नहीं था. बल्कि वो और उनकी कंपनी इस मूवी से तब जाकर जुड़े, जब ये मूवी कई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्मी समारोहों के चक्कर लगाकर आ चुकी थी. ये जुड़ाव ‘इन गुड फ़ेथ’ कहा जा सकता है, जिससे ‘कामयाब’ की और चर्चा हो और ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस मूवी को देखने जाएं.
‘कामयाब’ से इतर नेटफ्लिक्स पर उनकी प्रोड्यूस की हुई वेब सीरीज़ ‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’ आ चुकी है. बॉबी देओल को लेकर नेटफ्लिक्स ऑरिजनल ‘क्लास ऑफ़ 83’ प्रोड्यूस कर ही रहे हैं.
साथ ही उनके प्रोडक्शन हाउस का एक और प्रोजेक्ट है. ‘बॉब बिस्वास’ नाम की मूवी.
ये विद्या बालन की मूवी ‘कहानी’ की स्पिन ऑफ़ होगी. जिसमें लीड किरदार, यानी बॉब बिस्वास का रोल अभिषेक बच्चन करेंगे.
और फ़ाइनली तीन महीने पहले उनकी एज़ एन एक्टर भी एक मूवी फ़ाइनल करने की ख़बर आई थी.Nomoshkar! 🙏🏻👓 Thrilled to announce our upcoming film, #BobBiswas
— Red Chillies Entertainment (@RedChilliesEnt) November 25, 2019
in association with Bound Script Production; starring @juniorbachchan
and directed by Diya Annapurna Ghosh. @gaurikhan
@iamsrk
@sujoy_g
@_GauravVerma
pic.twitter.com/CoQLlfE55X
पता चला था कि वो राज निदिमोरू और कृष्णा डीके द्वारा निर्देशित एक बड़े बजट की कॉमिक एक्शन-थ्रिलर में दिखाई देंगे.
हालांकि ये एक्टिंग वाली बात अभी तक कन्फ़र्म नहीं हो पाई है. लेकिन इस दौरान हमें शाहरुख़ के बारे में एक और ख़बर पता चली है. और ये भी उनके मूवी प्रोडक्शन को लेकर ही है.
# एक्टिंग नहीं फिर से प्रोडक्शन ही करेंगे किंग खान-
तो अब ख़बर ये है कि शाहरुख एक सच्ची घटना पर आधारित मूवी प्रोड्यूस करने जा रहे हैं. ये सत्य घटना 'मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम रेप केस’ नाम से जानी जाती है.
इसे पुलकित डायरेक्ट करेंगे. पुलकित नाम से आप कनफ़्यूज न हो जाएं, इसलिए बता देते हैं कि ये ‘फुकरे’ फ़ेम एक्टर पुलकित सम्राट नहीं, वेब सीरीज़, ‘बोस: डेड/अलाइव’ के निर्देशक पुलकित हैं. इसके अलावा इन्होंने एक मूवी भी डायरेक्ट की है. ‘मरून’ नाम से. पुलकित ने ही इस अनाम मूवी की स्क्रिप्ट भी लिखी है.

मुंबई से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक ‘मिरर’ के अनुसार-
पुलकित ने फिल्म के लिए काफ़ी शोध किया है. इसमें लीड कैरेक्टर एक पत्रकार होगा. मूवी की शूटिंग जुलाई से शुरू होने की उम्मीद है.# क्या था मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम रेप केस-
बालिका गृह में उन बच्चियों को रखा जाता है, जिनके साथ कोई अपराध हुआ होता है या फिर जो अपराध में शामिल होती हैं. यहां बच्चियों को शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की सुविधा मुहैया करवाई जाती है.
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में भी ऐसी ही बच्चियों को रखा गया था, जिनकी उम्र सात साल से चौदह साल के बीच थी. इस बालिका गृह का संरक्षक ब्रजेश ठाकुर था.

लेकिन क्या इस शेल्टर होम में सबकुछ सही चल रहा था? नहीं.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज. इसका काम है सोशल ऑडिट करना. इस संस्था की एक टीम ‘कोशिश’ ने 2017-18 में बिहार में चल रहे सभी बालिका गृहों का सोशल ऑडिट किया था. ये सोशल ऑडिट बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के आदेश पर किया गया था. ‘कोशिश’ टीम ने सोशल ऑडिट के बाद 15 मार्च, 2018 को बिहार सरकार को पूरी ऑडिट रिपोर्ट भेजी थी. 100 पन्नों की इस रिपोर्ट में पेज नंबर 51 पर दावा किया गया था कि मुज़फ़्फ़रपुर में चल रहे ‘बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ में लड़कियों का यौन शोषण हो रहा है. टीम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में स्वयंसेवी संस्था सेवा संस्थान संकल्प एवं विकास समिति के खिलाफ तत्काल केस दर्ज करने और पूरे मामले की जांच करवाने की सिफारिश की गई थी.
31 मई, 2018 को बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति के संचालक ब्रजेश ठाकुर और विनीत के साथ ही संस्था के कर्मचारियों और अधिकारियों पर यौन शोषण, आपराधिक षड्यंत्र और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया गया.
केस दर्ज होने से ठीक एक दिन पहले 30 मई, 2018 को ही समाज कल्याण विभाग के हस्तक्षेप के बाद बालिका गृह की 87 बच्चियों में से 44 बच्चियों को दूसरी जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया.

राज्य सरकार ने 2 जून को मामले की जांच के लिए SIT बना दी. बालिका गृह में छापेमारी की. बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर और विनीत के साथ ही वहां की आठ महिलाओं को थाने ले जाकर पूछताछ की गयी. डीएसपी मुकुल रंजन और महिला थानेदार ज्योति कुमारी साहू सेवा संकल्प के ऑफिस पहुंचे. वहां से विजिटर रजिस्टर, स्टाफ रजिस्टर, एक कैसेट और कई कागजात अपने कब्जे में ले लिया.
इसी दिन बालिका गृह पर ताला भी लगा दिया गया. 3 जून को पुलिस ने बालिका गृह के संरक्षक ब्रजेश ठाकुर के साथ ही वहां काम कर रही किरण कुमारी, चंदा कुमारी, मंजू देवी, इंदु कुमारी, हेमा मसीह, मीनू देवी और नेहा को गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान महिला आयोग ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया. आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने बालिका गृह का मुआयना किया. कहा कि यहां की व्यवस्था जेल से भी बदतर है.
जब बच्चियों ने मुंह खोला, तो पता चला कि इस बालिका गृह में न सिर्फ बच्चियों का यौन शोषण हुआ है, बल्कि यहां की 29 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है, एक बच्ची की हत्या कर शव दफना दिया गया है (हालांकि सीबीआई ने बाद में स्पष्ट किया कि जिन 35 बच्चियों में से हत्या की बात आ रही थी वो सभी जीवित हैं.) इसके अलावा तीन बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई.

फोटो के जरिए जब बच्चियों से आरोपियों की शिनाख्त की गई तो पता चला कि बच्चियों के साथ शोषण में पहला नाम ब्रजेश ठाकुर का ही था, जो इस बालिका गृह को चलाता था. उसके अलावा बाल कल्याण समिति का सदस्य विकास कुमार भी इन बच्चियों का यौन शोषण करता था. पता चलने पर पुलिस ने विकास कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया. जब विकास से पूछताछ हुई तो पता चला कि बाल संरक्षण का एक और अधिकारी रवि रोशन भी इसमें शामिल था और वो भी बच्चियों का यौन शोषण करता था. पुलिस ने 24 जून, 2018 को उसे भी गिरफ्तार कर लिया.
उससे पूछताछ हुई तो उसने कहा कि मुजफ्फरपुर के बाल संरक्षण के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा को मामले की पूरी जानकारी थी और वो भी इस मामले में शामिल था. पुलिस जैसे-जैसे जांच करती जा रही थी, उसके होश उड़ते जा रहे थे. इसके बाद पुलिस को पता चला कि इस पूरी वारदात का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि जिला बाल विकास समिति का अध्यक्ष दिलीप वर्मा है. वही दिलीप वर्मा, जिसे जांच शुरू करते समय सबसे पहले जानकारी दी गयी थी.
बहुत दिनों तक पुलिस दिलीप वर्मा को गिरफ्तार करने में असफल रही. आखिरकार अक्टूबर, 2018 को बिहार पुलिस ने दिलीप वर्मा को उनके आवास से गिरफ्तार किया. कुछ दिनों के भीतर पुलिस ने ब्रजेश ठाकुर की सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया. और मामले में बने कुल 11 आरोपी.
पूरे दौरान ये मामला काफ़ी हाई प्रोफ़ाइल बना रहा था. बिहार में सरकार तब भी नीतीश कुमार की ही थी. बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन. और विपक्ष में आरजेडी. मामला खुलने पर कहा गया कि नीतीश कुमार अपने नेताओं और अफसरों को बचा रहे हैं. बिहार सरकार ने पूरे मामले में पुख्ता सफाई या बयान भी जारी नहीं किया.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि बच्चियों को मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के पास भेजा जाता था. इस पूरे मामले में सत्ताधारी दलों के दिग्गज शामिल हैं, इसलिए कोई कुछ नहीं बोल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार सरकार को लताड़ा था. अगस्त 2018 में इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन लोकुर, दीपक गुप्ता और केएम जोसेफ ने बिहार सरकार को आड़े हाथों लिया. कहा कि जिस NGO पर लड़कियों के बलात्कार, यौन शोषण और हत्या का आरोप है, राज्य सरकार उसकी फंडिंग क्यों करती रही.मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में सुशील मोदी और नीतीश कुमार गंभीर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
किन-किन मंत्रियों व सरकारी अधिकारियों के यहां नाबालिग़ लड़कियों को भेजा जाता था, ये खुलासा करने मे किसका डर है?इसलिए की सत्ताधारी दलों के दिग्गज नेताओं के नाम सुनने मे आ रहे है
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 8, 2018
इस साल यानी 2020 के जनवरी महीने में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ब्रजेश समेत 19 लोगों को दोषी करार दिया.
ब्रजेश पर नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के आरोप थे, जिन्हें कोर्ट ने सही पाया.
11 फरवरी, 2020 को ब्रजेश ठाकुर सहित 19 दोषियों को सजा सुनाई थी. एडिशनल सेशन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.Muzaffarpur shelter home case: A Delhi Court convicts 19 accused including NGO owner Brajesh Thakur in connection with sexual & physical assault of girls at a shelter home in Bihar's Muzaffarpur district. One accused acquitted. pic.twitter.com/n8ysX2D994
— ANI (@ANI) January 20, 2020
तो ये थे इस केस से जुड़े सारे अपडेट्स. पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि इस केस पर मूवी बनाने में तन, मन और धन के अलावा काफ़ी रिसर्च और हिम्मत भी चाहिए थी. रिसर्च के लिए पुलकित को और हिम्मत के लिए शाहरुख को शाबाशी बनती है. साथ ही, इसके निर्माण में और इसकी रिलीज़ में कितनी दिक़्क़तें आती हैं, इसपर भी हमारी नज़र बनी रहनी चाहिए.
वीडियो देखें:
मुजफ्फरपुर रेप केस: रेप और बच्ची की हत्या के मामले में श्मशान घाट की खुदाई-