पटाख़ा का ट्रेलरः विशाल भारद्वाज की ये फिल्म देखते हुए कानों में अंगुली डाल लेंगे
बच्चों को इस ट्रेलर से दूर ही रखें तो बेहतर.
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फिल्म के ट्रेलर में तीन प्रमुख पात्र - गेंदा, चंपा और डिप्पर.
1. 'पटाख़ा' से पहले फिल्म का नाम 'छुर्रियां' था. बदला गया क्योंकि डायरेक्टर विशाल भारद्वाज को लगा लोग अंग्रेजी में स्पेलिंग से कनफ्यूज होकर 'चूड़ियां' या 'छोरियां' पढ़ लेंगे. विशाल कहते हैं कि ये मूवी भी पटाख़े जैसी ही है और उनको 'पटाख़ा' शब्द का साउंड भी अच्छा लगा.2. कहानी राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहने वाली दो बहनों की है. बचपन से लेकर जवानी तक दोनों आपस में बहुत लड़ती हैं. गांव के बीचों-बीच, स्कूल में, गलियों में, घर में, मिट्टी में, कीचड़ में, बाल नोंचकर, पटक-पटककर, गालियां दे-देकर. बीड़ियां पीती है. वाचाल है. इनका पिता इनसे बहुत परेशान है. फिर उसे किसी काम के लिए बहुत सारे पैसों की ज़रूरत पड़ती है. लेकिन पैसे उसके पास हैं नहीं. ऐसे में गांव के एक पैसेवाले से बेटी की शादी करने का सौदा कर लेता है. लेकिन दोनों इस चक्कर में नहीं आती. ख़ैर, इनकी शादियां भी होती है और गलती से एक ही घर में हो जाती है. अब यहीं के कहानी में ट्विस्ट आता है. कहानी में कई मोड़ आते हैं. दोनों मां भी बनती हैं. ईर्ष्या और प्यार वाले इस रिश्ते का स्टेटस अंत में बदलता है. कहानी का सूत्रवाक्य भी है - "हम अपने रिश्ते चुन सकते हैं, रिश्तेदार नहीं."

3. सान्या मल्होत्रा और राधिका मदन ने इन दो बहनों के रोल किए हैं. आमिर खान के साथ 'दंगल' (2016) से डेब्यू करने वाली सान्या इसमें छोटी बहन गेंदा कुमारी बनी है. उसे सब छुटकी कहते हैं. हैं. राधिका ने बड़ी बहन चम्पा कुमारी का रोल किया है. उसे सब बड़की कहते हैं. राधिका की ये पहली फीचर फिल्म हैं. वे एक लोकप्रिय टीवी एक्ट्रेस हैं. 'मेरी आशिकी तुम से है' (2014) सीरियल में उनका ईशानी का रोल चर्चित है. वे 2015 के डांस रिएलिटी शो 'झलक दिखला जा - रीलोडेड' में भी थीं.
4. फिल्म में कई झगड़े वाले सीन में दोनों ने असली में मार-कुटाई की थी. इन्हें फिल्म के एक हिस्से के लिए आठ से दस किलो वजन बढ़ाना था. शादी से पहले दोनों पतली होती हैं और चार साल बाद वजन बढ़ जाता है. इस हिस्से के लिए दोनों ने एक महीने में 10 किलो वजन बढ़ाए. अपने रोल की तैयारी के लिए और शूट के दौरान सान्या और राधिका ने गोबर थापना, भैंसों को चारा डालना, दूध निकालना, बिलोना करना और कुएं से पानी भरकर लाना जैसे कई काम गांव में रहकर खुद किए.

5. सुनील ग्रोवर का पात्र फिल्म में सबसे ज्यादा बदमाशियां करने वाला है. वो इन दोनों बहनों के बीच आग लगाता है और लड़ाइयां करवाता है. वो कई सारे धंधे करता रहता है. कभी स्कूल के बाहर खीरे बेचता है तो कभी साड़ियां बेचता करता है. उसके कैरेक्टर का नाम ही है - डिप्पर नारदमुनि.
डॉ. मशहूर गुलाटी, गुत्थी, रिंकू भाभी जैसे टीवी कैरेक्टर्स से सुनील हाल के वर्षों में बहुत फेमस हुए हैं. लेकिन असल में वे फिल्में भी बहुत कर चुके हैं. उनका फिल्मी करियर 1998 में आई फिल्म 'प्यार तो होना ही था' से शुरू हुआ था जिसमें उनका कैरेक्टर अजय देवगन के पात्र की दा़ढ़ी बनाते हुए आधी मूंछ गलती से काट देता है फिर पिटता है. उन्होंने उसके बाद 'गजनी', 'हीरोपंती', 'गब्बर इज़ बैक' और 'बाग़ी' में भी काम किया. अब 2019 में सुनील, सलमान खान की बड़े बजट की फिल्म 'भारत' में उनके दोस्त के रोल में दिखने वाले हैं.

6. 'पटाख़ा' में विजय राज भी हैं जिन्होंने दोनों बहनों के दुखी पिता का रोल किया है. नमित दास (आंखों देखी, वेकअप सिड) और अभिषेक दुहान (सुल्तान) ने फिल्म में बड़की और छुटकी के पति के रोल किए हैं. फिल्म में सभी कलाकारों ने राजस्थानी बोली सीखी है.
7. गौतम किशनचंदानी ने फिल्म की कास्टिंग की है. उनकी सबसे उल्लेखनीय फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' (2004) रही है जो अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट की थी. उसके बाद उन्होंने 'नो स्मोकिंग', 'आमिर', 'देव डी', 'गुलाल', 'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई', 'नो वन किल्ड जेसिका' और 'घनचक्कर' की कास्टिंग भी की. तीन-चार साल के ब्रेक के बाद विशाल भारद्वाज की इस फिल्म से वे लौट रहे हैं.

8. ये फिल्म राजस्थान के कथाकार चरण सिंह पथिक की कहानी 'दो बहनें' पर आधारित है. बीते साल विशाल भारद्वाज जब चरण सिंह से मिलने उनके गांव रौंसी (करौली) पहुंचे तब इस प्रोजेक्ट का पता चला. ये कहानी 2006 में समकालीन भारतीय साहित्य मैगजीन में छपी थी. विशाल भारद्वाज के एक असिस्टेंट ने इसे पढ़ा था और उन्हें बताया. 2011 में विशाल भारद्वाज ने इसे पढ़ा. फिर जयपुर लिट फेस्ट में चरण सिंह से उनकी मुलाकात हुई. चरण ने फेस्ट में अपनी कहानी 'फिरनेवालियां' का पाठ किया था.
विशाल ने वहां उन्हें कहा था कि वे 'दो बहनें' पर भविष्य में फिल्म बनाएंगे. फिर मार्च 2017 में उनका फोन चरण सिंह पथिक को आया. उन्होंने मुंबई आने का टिकट भेजा था. उनके कहने पर चरण ने अपनी कहानी को नॉवेल की तरह लिखा. करीब 125 पेज का ड्राफ्ट तैयार किया. उसे विशाल ने स्क्रिप्ट में तब्दील किया. फिर डायलॉग लिखे गए.

साल 2017 के अंत में जब विशाल मुंबई से चरण सिंह के गांव (दोनों बीच बैठे दिख रहे हैं) पहुंचे तो यहीं फिल्म की लोकेशंस भी हंट की. (फोटोः चरण सिंह पथिक)
9. हिसाब से 'पटाख़ा' अभी नहीं बननी थी. विशाल अपनी दूसरी फिल्म पर काम कर रहे थे जिसमें दीपिका पादुकोण और इरफान खान लीड रोल में थे. इसकी कहानी हुसैन ज़ैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' से ही प्रेरित थी जिसकी कहानी और स्क्रीनप्ले पर काम करते हुए ये प्रोजेक्ट अपने सोर्स मटीरियल से बिलकुल ही अलग हो गया. लेकिन इरफान की तबीयत खराब होने की वजह से इस प्रोजेक्ट को आगे खिसका दिया गया और विशाल ने 'छुर्रियां (पटाख़ा)' पर काम शुरू किया.
10. 'पटाख़ा' 28 सितंबर को रिलीज होगी. ये डेट इसलिए तय की गई क्योंकि विशाल भारद्वाज के लिए ये हफ्ता लकी रहा है. उनकी दो सफल फिल्में 'हैदर' और 'तलवार' 2 अक्टूबर की रिलीज हुईं. हालांकि इस बार रिलीज डेट का ये फैसला उनके लिए कितना लकी रहेगा देखना होगा क्योंकि 'सुई धागा' भी 28 सितंबर की लग रही है. उसमें वरुण धवन और अनुष्का शर्मा लीड रोल में हैं.
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