The Lallantop
Advertisement

मैनिफेस्टो के हिसाब से कांग्रेस पंजाब में चाय और रेजगारी की बाढ़ लाने वाली है

कैप्टन साहब, अपने आखिरी चुनाव में ऐसी छीछालेदर क्यों कर रहे हैं?

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
विशाल
10 जनवरी 2017 (Updated: 10 जनवरी 2017, 11:50 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

'मैं 47 सालों से राजनीति में हूं और ये मेरा आखिरी चुनाव है. इसके बाद मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा. लोग जानते हैं कि मैं जो कहता हूं, वो करता हूं.'

दिल्ली में पंजाब चुनाव का मैनिफेस्टो पेश करते समय यही शब्द थे कैप्टन अमरिंदर सिंह के. वो अपनी (कांग्रेस की) जीत के लिए आश्वस्त दिख रहे हैं. कुछ सर्वे उन्हें विजेता बता भी रहे हैं. कहा जा रहा है कि बादल सरकार मुश्किल में है. कैप्टन साहब ने कांग्रेस का मैनिफेस्टो जारी किया है. मैनिफेस्टो मतलब वादों की अटैची. इस इवेंट में हल्की सी मुस्कान लिए पिछले प्रधानसेवक डॉ. मनमोहन सिंह भी मौजूद थे. चिर-परिचित अंदाज में नीली पगड़ी बांधे. काफी कुछ छिपा था उनकी मौजूदगी में. खैर, कैप्टन ने खूब सारे वादे किए हैं. उनमें से कुछ यहां दे रहे हैं. फिर तराजू लेकर भी बैठेंगे-
- हर घर के एक आदमी को नौकरी देंगे.- जब तक नौकरी नहीं दे पाएंगे, तब तक हर महीने 2500 रुपए का बेरोजगारी भत्ता देंगे.- ड्रग्स की सप्लाई, डिस्ट्रीब्यूशन और खपत को चार हफ्ते में खत्म कर देंगे.- अपनी गाड़ी, अपना रोजगार: इस योजना के तहत प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को एक लाख सब्सिडाइज्ड वाहन दिए जाएंगे, ताकि वो अपना खर्च चला सकें.- उद्योगों में 50% नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व रहेंगी.- प्रकाश बादल की आटा-दाल योजना में चाय-पत्ती भी जोड़ी जाएगी.- हर बेघर दलित परिवार को मुफ्त में घर दिया जाएगा. ओबीसी वर्ग को सामाजिक सुरक्षा दी जाएगी.- टीचर्स को क्लर्क वाले कामों से निजात दिलाने के लिए स्कूलों में 15 हजार नौकरियां लाई जाएंगी.
देखने-सुनने में तो ये मैनिफेस्टो बड़ा अच्छा लग रहा है. एकदम हरा-हरा. जैसे इसके लागू होते ही पंजाब वालों के दिन बहुर जाएंगे. लेकिन उससे पहले अगर अमरिंदर सिंह इन तीन सवालों के जवाब दे दें, तो बड़ा अच्छा रहेगा-

1. 2004 का अपना फैसला याद है कैप्टन साहब?

captain 2002 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती थी. अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने थे. 2004 में एक नोटिफिकेशन लाए कि पंजाब में कोई सरकारी रिक्रूटमेंट नहीं होगा. पहले से जो पोस्ट थीं, वो भी खत्म कर दी गईं. आज वो पंजाब में 50 लाख रोजगार देने का वादा कर रहे हैं. कह रहे हैं कि 25 लाख नौकरियां तो पहले पांच साल में ही दे देंगे. डियर कैप्टन, अगर आज आपको लगता है कि पंजाब के बेरोजगार युवाओं को नौकरी की जरूरत है, तो तब क्यों ऊलजुलूल फैसला लिया था. क्या तब पंजाब में बेरोजगार नहीं थे या लोगों को नौकरी की जरूरत नहीं थी.
सत्ता हासिल करने के लिए आज वो बेरोजगारी भत्ते की बात कर रहे हैं. कह रहे हैं कि जब तक नौकरी नहीं दे पाएंगे, हर जरूरतमंद युवा को महीने में ढाई हजार रुपए देंगे. बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए या नहीं, इसे लेकर भी अपने यहां तीखे मतभेद हैं. पर पहले जिन प्रदेशों में बेरोजगारी भत्ता दिया गया, वहां इसके नाम पर कितना हेरफेर और भ्रष्टाचार हुआ, यह किसी से छिपा नहीं है. अमरिंदर सिंह ने इस बारे में कोई ब्लूप्रिंट पेश नहीं किया. अब कर दें, तो अच्छी बात है.

2. जिनकी बिजली छीनी थी, उन किसानों का कर्ज क्यों माफ करेंगे?

एक बार फिर 2002 में चलते हैं. चुनाव से पहले कैप्टन ने वादा किया था कि किसानों को सस्ती बिजली दी जाएगी. जीत गए, तो बोले कि इतनी तो क्षमता ही नहीं है. किसानों को कुछ देने के बजाय उन्हें खेतों के लिए जो फ्री बिजली मिल रही थी, वो भी बंद कर दी गई थी. आज वो फिर कुछ वैसा ही वादा कर रहे हैं. कहा है कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में किसानों ने जो 67 हजार करोड़ का कर्ज है, उसे सरकार अपने सिर ले लेगी. बैंकों से निगोशिएशन किया जाएगा. सवाल फिर वही है. कैप्टन साहब का ह्रदय-परिवर्तन हुआ है या वो एक बार फिर झांसा दे रहे हैं. वैसे उनका मुकाबला अरविंद केजरीवाल से है, जो लोक-लुभावन वादों के उस्ताद कहे जाते हैं. अगर इस लड़ाई में किसानों का भला हो जाए, तो अच्छी बात है, लेकिन भरोसा नहीं होता. वैसे भी ये कैप्टन का आखिरी चुनाव है. उन्हें कौन सा अगली बार लड़ना है कि वादे पूरे करते घूमें.

3. कैसे पूरा करेंगे ड्रग्स खत्म करने का वादा?

drugs कैप्टन ने जो मैनिफेस्टो जारी किया है, उसके बारे में कोई ब्लूप्रिंट या रोडमैप नहीं बताया है. कह रहे हैं कि पंजाब में ड्रग्स की समस्या सिर्फ चार सप्ताह यानी एक महीने में खत्म कर देंगे. सप्लाई से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन और खपत तक. लेकिन कैसे? ऐसे वादे करते समय शब्दों का ताना-बाना बड़ी चालाकी से बुना जाता है. थोड़ा सा धुंधलापन सायास छोड़ दिया जाता है. पंजाब के जो लोग नशे की गिरफ्त में हैं, उनकी पहचान और इलाज क्या आसान काम है? अमरिंदर के पास इसकी भी कोई योजना नहीं दिखी कि हॉस्पिटल्स की मौजूदा क्षमता के साथ वो इतने सारे लोगों को नशे की लत से कैसे निजात दिलाएंगे. सियासत के सब्सिडी काल के बाद 'वादों वाली पॉलिटिक्स' पिछले कुछ सालों में कुछ ज्यादा ही चढ़ी है. बेहतर होगा कि कैप्टन इससे बाहर निकलकर जमीन पर कुछ काम करें.
  आखिर में सबसे बड़ा सवाल. कब तक पूरे करेंगे ये वादे? कोई टाइम लिमिट है. या फिर कहने लगेंगे कि हमको भी दस साल दो. बीस साल दो. एक छोटा सवाल. इतनी सारे वादे पूरे करने के लिए पैसे कहां से आएंगे? पेड़ पर थोड़े फलते हैं. फलते तो हम ना तोड़ लेते.
ये भी पढ़ें:

सिर्फ तीन शब्द लिखकर कैप्टन अमरिंदर ने केजरीवाल की मौज ले ली

पंजाब का ये सर्वे केजरीवाल के बारे में अनोखी बात बता रहा है

दिल्ली के अपने विधायक को पंजाब में चुनाव लड़ाने ले जा रहे केजरीवाल

AAP के नेता दुर्गेश पाठक कौन हैं, जिनसे मिलने के 10 लाख रुपये लगते हैं!

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement