मैनिफेस्टो के हिसाब से कांग्रेस पंजाब में चाय और रेजगारी की बाढ़ लाने वाली है
कैप्टन साहब, अपने आखिरी चुनाव में ऐसी छीछालेदर क्यों कर रहे हैं?
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फोटो - thelallantop
'मैं 47 सालों से राजनीति में हूं और ये मेरा आखिरी चुनाव है. इसके बाद मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा. लोग जानते हैं कि मैं जो कहता हूं, वो करता हूं.'
दिल्ली में पंजाब चुनाव का मैनिफेस्टो पेश करते समय यही शब्द थे कैप्टन अमरिंदर सिंह के. वो अपनी (कांग्रेस की) जीत के लिए आश्वस्त दिख रहे हैं. कुछ सर्वे उन्हें विजेता बता भी रहे हैं. कहा जा रहा है कि बादल सरकार मुश्किल में है. कैप्टन साहब ने कांग्रेस का मैनिफेस्टो जारी किया है. मैनिफेस्टो मतलब वादों की अटैची. इस इवेंट में हल्की सी मुस्कान लिए पिछले प्रधानसेवक डॉ. मनमोहन सिंह भी मौजूद थे. चिर-परिचित अंदाज में नीली पगड़ी बांधे. काफी कुछ छिपा था उनकी मौजूदगी में. खैर, कैप्टन ने खूब सारे वादे किए हैं. उनमें से कुछ यहां दे रहे हैं. फिर तराजू लेकर भी बैठेंगे-- हर घर के एक आदमी को नौकरी देंगे.- जब तक नौकरी नहीं दे पाएंगे, तब तक हर महीने 2500 रुपए का बेरोजगारी भत्ता देंगे.- ड्रग्स की सप्लाई, डिस्ट्रीब्यूशन और खपत को चार हफ्ते में खत्म कर देंगे.- अपनी गाड़ी, अपना रोजगार: इस योजना के तहत प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को एक लाख सब्सिडाइज्ड वाहन दिए जाएंगे, ताकि वो अपना खर्च चला सकें.- उद्योगों में 50% नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व रहेंगी.- प्रकाश बादल की आटा-दाल योजना में चाय-पत्ती भी जोड़ी जाएगी.- हर बेघर दलित परिवार को मुफ्त में घर दिया जाएगा. ओबीसी वर्ग को सामाजिक सुरक्षा दी जाएगी.- टीचर्स को क्लर्क वाले कामों से निजात दिलाने के लिए स्कूलों में 15 हजार नौकरियां लाई जाएंगी.देखने-सुनने में तो ये मैनिफेस्टो बड़ा अच्छा लग रहा है. एकदम हरा-हरा. जैसे इसके लागू होते ही पंजाब वालों के दिन बहुर जाएंगे. लेकिन उससे पहले अगर अमरिंदर सिंह इन तीन सवालों के जवाब दे दें, तो बड़ा अच्छा रहेगा-
1. 2004 का अपना फैसला याद है कैप्टन साहब?

सत्ता हासिल करने के लिए आज वो बेरोजगारी भत्ते की बात कर रहे हैं. कह रहे हैं कि जब तक नौकरी नहीं दे पाएंगे, हर जरूरतमंद युवा को महीने में ढाई हजार रुपए देंगे. बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए या नहीं, इसे लेकर भी अपने यहां तीखे मतभेद हैं. पर पहले जिन प्रदेशों में बेरोजगारी भत्ता दिया गया, वहां इसके नाम पर कितना हेरफेर और भ्रष्टाचार हुआ, यह किसी से छिपा नहीं है. अमरिंदर सिंह ने इस बारे में कोई ब्लूप्रिंट पेश नहीं किया. अब कर दें, तो अच्छी बात है.
2. जिनकी बिजली छीनी थी, उन किसानों का कर्ज क्यों माफ करेंगे?
एक बार फिर 2002 में चलते हैं. चुनाव से पहले कैप्टन ने वादा किया था कि किसानों को सस्ती बिजली दी जाएगी. जीत गए, तो बोले कि इतनी तो क्षमता ही नहीं है. किसानों को कुछ देने के बजाय उन्हें खेतों के लिए जो फ्री बिजली मिल रही थी, वो भी बंद कर दी गई थी. आज वो फिर कुछ वैसा ही वादा कर रहे हैं. कहा है कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में किसानों ने जो 67 हजार करोड़ का कर्ज है, उसे सरकार अपने सिर ले लेगी. बैंकों से निगोशिएशन किया जाएगा. सवाल फिर वही है. कैप्टन साहब का ह्रदय-परिवर्तन हुआ है या वो एक बार फिर झांसा दे रहे हैं. वैसे उनका मुकाबला अरविंद केजरीवाल से है, जो लोक-लुभावन वादों के उस्ताद कहे जाते हैं. अगर इस लड़ाई में किसानों का भला हो जाए, तो अच्छी बात है, लेकिन भरोसा नहीं होता. वैसे भी ये कैप्टन का आखिरी चुनाव है. उन्हें कौन सा अगली बार लड़ना है कि वादे पूरे करते घूमें.3. कैसे पूरा करेंगे ड्रग्स खत्म करने का वादा?

आखिर में सबसे बड़ा सवाल. कब तक पूरे करेंगे ये वादे? कोई टाइम लिमिट है. या फिर कहने लगेंगे कि हमको भी दस साल दो. बीस साल दो. एक छोटा सवाल. इतनी सारे वादे पूरे करने के लिए पैसे कहां से आएंगे? पेड़ पर थोड़े फलते हैं. फलते तो हम ना तोड़ लेते.
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