हैहय वंश का लीडर था अर्जुन. महाभारत वाला अर्जुन नहीं, ये वो अर्जुन था जिसने भगवान को खुश करके खुद के लिए एक हजार हाथ ले लिए थे. इसके अलावा रुपिया, पइसा, प्रॉपर्टी और तमाम औजार-हथियार मांग लिए.
अब उसके भाव इत्ते बढ़ गए कि जब जमदग्नि मुनि यानी परशुराम के पापा की कुटिया में पहुंचे तो किए न दुआ न सलाम, सीधे उनकी कामधेनु हांक लाए. परशुराम बाजार से सौदा लेने गए थे. वापस आए तो देखा घर पर भसड़ हो गई. वो अपना वर्ल्ड फेमस फरसा, तरकश, ढाल, धनुष और सब अद्धा-गुम्मा बटोरते हुए पहुंचा अर्जुन के पास.
लड़ाई हुई घमासान. पहले तो परशुराम ने अर्जुन की पूरी सेना को खत्म किया और फिर उसके हज़ार हाथ काट दिए. इसके बाद पापा की कामधेनु को घर ले आए.
(श्रीमद्भागवत महापुराण)