केएल राहुल. हिंदी के चर्चित कॉमेंटेटर के शब्दों में कहें तो कमाल-लाज़वाब राहुल. IPL की नई-नई टीम लखनऊ के मालिक और कोचिंग स्टाफ की मानें तो असाधारण लीडर. स्वयं राहुल के चाहने वालों का दावा है कि मौजूदा भारतीय टीम में राहुल से ज्यादा टैलेंटेड क्रिकेटर कोई नहीं है. आंकड़े भी काफी हद तक इनमें से कई बातों को सही साबित करते हैं.
लेकिन फिर भी कुछ लोग हैं जो राहुल के लिए किए जा रहे दावों से सहमत नहीं होते. और आप इसे दुर्भाग्य कहिए या कुछ और… मैं यानी सूरज पांडेय भी उन लोगों में शामिल हूं. और अब, जबकि इंडिया के बाद राहुल के कब्जे में मेरी घरेलू टीम लखनऊ की कमान भी आ गई है. मैंने सोचा कि क्यों ना राहुल के बारे में अपनी राय आप लोगों से साझा करूं.
# Batter Rahul
मुझे बल्लेबाज राहुल से भी समस्या है. हां, ठीक है… कई लोगों को लग सकता है कि ये एक्सट्रीम है. मुझे ऐसा कहने का कोई हक़ नहीं है. और हां अभी मैं इस लिस्ट में उन लोगों को जोड़ ही नहीं रहा जो भाई! जीवन में कभी बैट पकड़ा है क्या? जैसे कमेंट्स टाइप ही कर रहे होंगे. मैं अभी उन लोगों की बात कर रहा जिनके जीवन में अभी भी डिबेट की जगह है.
हां, तो उन सभी लोगों को मैं बताना चाहूंगा कि बल्लेबाज राहुल मुझे क्यों नहीं पसंद. भाई देखो! सबसे बड़ी वजह तो है उनका टुकटुक गेम. राहुल मानो कसम खाकर खेलने उतरते हैं कि पावरप्ले में ज्यादा से ज्यादा डॉट्स खेलेंगे. और ये मैं नहीं आंकड़े कहते हैं. साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे में राहुल ने 17 गेंदें खेली. एक भी बाउंड्री नहीं. आठ गेंदें डॉट. और बाकी की नौ गेंदों में रन बने 12. ना कोई चौका और ना ही छक्का.
ऐसा भी नहीं है कि दूसरे एंड से शिखर धवन एकदम विरेंदर सहवाग हुए पड़े थे कि आपको एंकर खेलना था. राहुल के आउट होते वक्त धवन ने 33 गेंदों पर 33 रन बनाए थे. और फिर आया दूसरा वनडे. राहुल ने यहां 79 गेंदों में 36 डॉट्स खेलीं. अंत में वह 79 गेंदों पर 55 रन बनाकर आउट हुए. यानी तकऱीबन आधी गेंदें ऐसी जिनमें आपने स्ट्राइक भी रोटेट नहीं की. यहां तक कि उन्होंने ऐडन मार्करम को इतनी सावधानी से खेला जैसे मार्करम के अंदर प्राइम मुरली और वॉर्न आ गए हों.
और यही हाल राहुल का IPL में भी रहता है. दो सीजन पंजाब की कप्तानी करते हुए उन्होंने अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए. लेकिन किस कीमत पर? दोनों बार टीम छठे नंबर पर रही. क्योंकि राहुल एक एंड से लगातार अपने खोल में छिपकर विकेट पर अड़े रहते थे. डॉट्स पर डॉट्स खेलते हैं. सिंगल्स तक नहीं निकालते. जिसे दूसरे एंड के बल्लेबाज पर अनावश्यक प्रेशर आता है. और वह विकेट थ्रो कर जाता है.
We wanted the best and we didn’t settle for less. #TeamLucknow #IPL2022 @klrahul11 @MStoinis @bishnoi0056 pic.twitter.com/p9oM8M9tHy
— Official Lucknow IPL Team (@TeamLucknowIPL) January 21, 2022
जैसा कि हमने दूसरे मैच में शिखर और IPL में कई बार मयंक अग्रवाल के साथ होते देखा. IPL2021 जब बीच में रुका तो कुछ आंकड़े सामने आए. मोहनदास मेनन जी के इन आंकड़ों के मुताबिक IPL2021 में राहुल से ज्यादा डॉट बॉल्स सिर्फ शिखर धवन ने खेली थीं. हालांकि परसेंटेज के मामले में राहुल, धवन से आगे थे. इसी सीजन के एक मैच में राहुल ने दिल्ली के खिलाफ 43 परसेंट से ज्यादा डॉट बॉल्स खेली थीं. ये राहुल का कमाल ही था कि उनकी टीम टूर्नामेंट के इस पड़ाव तक सबसे ज्यादा डॉट बॉल खेलने वाली टीम थी.
और ये चीज इसलिए और बुरी लगती है क्योंकि राहुल के पास क्षमता है. वह जॉनी बेयरस्टो और एबी डीविलियर्स जैसे दिग्गजों से बेहतर तरीके से बोलर्स को कूट सकते हैं. लेकिन नहीं कूटते. कई लोग कहते हैं कि पंजाब की टीम कमजोर थी इसलिए राहुल ऐसा करते थे. लेकिन यार मुझे ये सब समझ नहीं आता. इन दलीलों से मैं सहमत नहीं हो पाता.
आप लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में डॉट बॉल्स खेलकर कमजोर टीम की हैल्प कैसे करते हैं? क्या नॉटआउट जाने से आपके ऐवरेज के अलावा भी कोई चीज बढ़ती है? टीम का टोटल बढ़ा दिया जाता है? नहीं ना? और मैं कौन सा कह रहा कि सर आप हर गेंद पर बाउंड्री मारो. आप सिंगल्स तो लो. खुद नहीं मार पा रहे तो दूसरे बल्लेबाज को मारने दो. कहीं से तो रन आएं. क्योंकि अंत में जीत तो रन ही दिलाएंगे ना?
# Captain Rahul
इंटेंसिटी पर तो मैं बात ही नहीं करूंगा. वो तो विराट जैसी कोई नहीं ला सकता. लेकिन आप राहुल की बॉडी लैंग्वेज देखिए. झुके हुए कंधे, एकदम शांत भाव-भंगिमा. कोई जोश ही नहीं. उदय शेट्टी के ‘सह लेंगे थोड़ा’जैसे खड़े राहुल कम से कम मुझे तो प्रेरित नहीं ही कर पाते. और बाकी टीम का हाल तो सब देख ही रहे हैं.
साउथ अफ्रीका के खिलाफ राहुल दूसरे टेस्ट और दो वनडे मैच में कप्तानी कर चुके हैं. और इन तीनों दफा मेजबानों ने भारत को चारों खाने चित किया है. टीम इंडिया कहीं से भी उन्हें चैलेंज करती नहीं दिखी. और ऐसे हाल में कप्तान का रोल और बड़ा हो जाता है. वह अपनी हरकतों, फील्ड प्लेसमेंट, बोलिंग चेंज इत्यादि से टीम का मोराल उठाना चाहता है. लेकिन राहुल का तो.. ‘सह लेंगे थोड़ा’ एटिट्यूड ही चलता रहता है.
कैप्टन बनते ही उनके गिरते स्ट्राइक रेट पर तो दुनिया बात कर ही रही है. फिर चाहे वो IPL हो या फिर इंटरनेशनल क्रिकेट कप्तानी मिलते ही बैटर राहुल अनावश्यक दबाव ले लेता है. फ़ैन्स मानते हैं कि ये दबाव वह अपनी टीम को बचाने के लिए लेते हैं, लेकिन स्टैट्स इससे एकदम उलट हैं. राहुल द्वारा लिया गया दबाव ना सिर्फ उन्हें बल्कि पूरी टीम को डुबो देता है.
उनके बोलिंग चेंज्स हमने पहले वनडे में देखे ही. बोलर्स लगातर पिट रहे थे, हमारे पास वेंकटेश अय्यर के रूप में छठा बोलिंग ऑप्शन भी था. फिर भी राहुल ने उन्हें एक भी गेंद नहीं दी. पंजाब के लिए बीते सीजन रवि बिश्वोई को सिर्फ नौ मैच खिलाए गए. जबकि वह आदिल रशीद के साथ टीम के बेस्ट लेग स्पिन ऑप्शन थे. लगातार फेल होने के बाद भी निकलस पूरन को मौके मिले. राहुल के टीम सेलेक्शन पर शुरू से ही सवाल हैं.
Stand-in India captain KL Rahul confirms he will also open the batting in the #SAvIND ODIs in Rohit Sharma’s absence pic.twitter.com/OtiVNXGPh1
— ESPNcricinfo (@ESPNcricinfo) January 18, 2022
लेजेंडरी सुनील गावस्कर तक बोल चुके हैं कि टीम के बैकफुट पर जाते ही राहुल क्लूलेस हो जाते हैं. क्लूलेस मतलब वही जिसे कुछ पता ही ना हो कि अब करना क्या है. और ये हम सब भी देखते ही आए हैं. यहां तक कि राहुल की नई-नई IPL टीम लखनऊ के मेंटॉर गौतम गंभीर भी उनकी कप्तानी से नाखुश थे. कम से कम तब तक तो खुलकर ही थे जब तक लखनऊ ने राहुल की साइनिंग ऑफिशल नहीं की थी.
गंभीर ने पहले वनडे के बाद राहुल की कप्तानी की जमकर आलोचना की थी. उन्होंने कहा था,
‘एक चीज जो मैं देखना चाहता हूं वो अटैकिंग फील्ड प्लेसमेंट्स हैं. जब मार्करम आउट हुए तब मैं युज़वेंद्र चहल के लिए एक स्लिप, एक गली और एक गली पॉइंट देखना चाहता था. जब अश्विन बोलिंग करने आए तो आपको एक लेग-स्लिप या शॉर्ट-लेग लगाने की जरूरत थी. जाहिर है कि इससे जरूरी नहीं है कि आपको विकेट मिल ही जाएगा. लेकिन पॉइंट ये है कि बोलर तो फील्ड सेटिंग के हिसाब से ही बोलिंग करेगा ना.’
और इन सबके साथ साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले दो वनडे देखिए. राहुल खुद ओपन कर रहे हैं. जबकि उन्हें पता है कि रोहित के वापस आते ही ओपनिंग स्लॉट उनसे छिन जाना है. ऐसे में आपको नहीं लगता कि वनडे में राहुल को अपना मिडल ऑर्डर का रोल जारी रखना था? और खासतौर से तब, जबकि हमारे पास विस्फोटक फॉर्म से गुजर रहे रुतुराज गायकवाड़ के रूप में ओपनिंग का अच्छा ऑप्शन है. और हमारा मिडल ऑर्डर लगातार हमें डुबो रहा है?
क्या ये राहुल एंड राहुल की अकड़ को नहीं दिख रहा? अगले ही साल हमें वनडे वर्ल्ड कप खेलना है. और उससे पहले मिल रहे मौकों में हम फिर वही गलतियां दोहरा रहे हैं जिनके चलते हम 2019 के वर्ल्ड कप में नाकाम हुए थे. और वो भी इसलिए कि हमारा मेकशिफ्ट कप्तान अपने मनचाहे नंबर पर बैटिंग कर सके? और नंबर भी वो जहां मैनेजमेंट दूसरे प्लेयर्स को देख रहा है?
कहानी उस पेसर की, जिससे विवियन रिचर्ड्स भी डरते थे!