काईटैक्स ग्रुप के CMD साबू एम जैकब ने कहा है कि वे अब केरल में और इनवेस्टमेंट नहीं करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि अब वो तेलंगाना के वारांगल में अपना नया अपैरल पार्क बनाएंगे. काईटैक्स ग्रुप इससे पहले केरल में 3500 करोड़ का इनवेस्टमेंट करने वाला था. लेकिन अब जैकब का कहना है कि वो केरल में एक रुपये का भी इनवेस्टमेंट नहीं करना चाहते हैं. कई लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर क्यों केरल की सबसे पुरानी और सफल कंपनियों में से एक के मुखिया ऐसा कह रहे हैं. केरल की पी विजयन सरकार द्वारा काईटैक्स ग्रुप का बार-बार इंस्पेक्शन किए जाने को इसकी एक बड़ी वजह बताया जा रहा है.

मामला क्या है?
काईटैक्स ग्रुप क्या है, क्या काम करता है और केरल छोड़कर तेलंगाना शिफ्ट होने पर क्यों विचार कर रहा है, इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए वक्त का पहिया थोड़ा पीछे घुमाना होगा. उस दौर में जाना होगा जब केरल के रहने वाले एमसी जैकब ने गरीबों के लिए कुछ करने का सपना देखा था.
साल था 1968. साबू जैकब के पिता एमसी जैकब ने 8 कर्मचारियों के साथ अन्ना एल्युमिनियम की शुरुआत की थी. वो शुद्ध एल्युमिनियम के बर्तन बनाते थे. उनकी कीमत साढ़े सात रुपये किलो थी. लेकिन पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से आने वाले एल्युमिनियम के बर्तन इससे बहुत सस्ते थे. इसलिए अन्ना एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बिकते थे. इसके चलते जैकब कर्ज में डूबते चले गए. साल 1970 तक उन पर 45 लाख का कर्जा हो चुका था.

लेकिन तकदीर ने जैकब का साथ दिया. तमिलनाडु में बिजली संकट शुरू हो गया. वहां की फैक्टरियों का अंधेरा जैकब के लिए उम्मीद की रौशनी साबित हुआ. उनका एल्युमिनियम 30 रुपये किलो बिकने लगा. देखते ही देखते कंपनी का टर्नओवर 5 लाख से 4 करोड़ सालाना हो गया. उस जमाने में वो यूनिट 10 लाख का इनकम टैक्स देने लगी थी.
पिता की राह पर बेटा
एमसी जैकब ने केवल व्यापार कर मुनाफा नहीं कमाया. उन्होंने जरूरतमंदों के लिए काफी काम किया. जब उनकी यूनिट तरक्की पर थी तो एमसी जैकब ने विकलांग लोगों की मदद के लिए उन्हें नौकरी देना शुरू किया. धीरे धीरे वे इस संख्या को बढ़ाते रहे. जैकब काम करने वाले मजदूरों को पिता की तरह प्यार करते और उनकी समस्याओं पर गौर करते. फिर 1975 में जैकब ने काईटैक्स को लॉन्च किया. उन्होंने फैक्टरी में काम करने वाले वर्कर्स, खासतौर पर महिलाओं के लिए हॉस्टल फैसेलिटी शुरू की. यहां टीवी, वीसीआर, लाइब्रेरी के अलावा अन्य सुविधाएं थीं.
1978 में सरस स्पासेज को लॉन्च किया गया. यानी अन्ना ग्रुप लगातार बढ़ता रहा. कुछ वक्त के लिए केरल में सीपीआई (एम) ने ट्रेड यूनियनों की स्ट्राइक बुलाई जिसने जैकब के काम को काफी प्रभावित किया. लेकिन अंत भला तो सब भला. उनका काम लगातार बढ़ता चला गया.

उधर, पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए साबू एम जैकब (एमसी जैकब के बेटे) ने साल 1992 में नवजात बच्चों के लिए कपड़े बनाने की यूनिट लगाई. आज काईटैक्स बच्चों के कपड़े बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है. ऐसा काईटैक्स का दावा है.
राजनीति में रखा कदम
6 जून 2011 को एमसी जैकब दुनिया छोड़ गए. उससे एक साल पहले केरल सरकार ने उन्हें इंडस्ट्रियल सेक्टर में उनके योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया था. एर्नाकुलम स्थित किजक्कंबलम इलाके के लोगों के लिए जैकब ने बहुत काम किए जिन्हें उनके बेटे साबू ने भी बरकरार रखा. उन्होंने ट्वेंटी20 नाम की एक संस्था बनाई. इसके माध्यम से उन्होंने लोगों की मदद की. इसके बाद साबू ने इसी नाम से 2015 में राजनीतिक पार्टी भी बना ली.
2015 के निकाय चुनावों में ट्वेंटी20 ने किजक्कंबलम के केवल एक वार्ड को छोड़कर सभी वार्ड्स में जीत हासिल की थी. भारत में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी कारपोरेट फर्म ने सियासी पार्टी के रूप में पंचायत चुनाव में जीत हासिल की थी. फिर 2020 में किजक्कंबलम के अलावा तीन अन्य पंचायतों पर भी ट्वेंटी20 ने जीत हासिल की थी.
लेकिन ट्वेंटी20 की चुनावी जीत का बढ़ता दायरा दूसरी पार्टियों के लिए खतरा माना जा रहा था. स्थानीय चुनावी जीतों से उत्साहित ट्वेंटी20 ने साल 2021 के विधानसभा चुनावों में अपने प्रत्याशी उतार दिए. उसने 6 उम्मीदवारों को पार्टी का टिकट दे दिया. हालांकि उसे एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हो पाई.

इसी के बाद साबू की कंपनी के निरीक्षण किए जाने लगे. मई 2021 में सीएम पी विजयन के नेतृत्व में LDF की सरकार बनी और जून में 11 बार साबू की कंपनी का इंस्पेक्शन हुआ. इस बारे में केरल के उद्योग मंत्री पी राजीव ने 9 जुलाई को कहा था कि इस चेकिंग का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन सरकार की कार्रवाई से साबू कितने दुखी थे, ये उनके एक इंटरव्यू में सामने आ गया.
तेलंगाना जाने का फैसला
बीती 10 जुलाई को न्यूज वेबसाइट ‘द क्विंट’ से बात करते हुए साबू एम जैकब ने कहा कि अगर केरल में व्यापार की राह आसान नहीं हुई तो काईटैक्स ग्रुप राज्य छोड़ सकता है. इससे एक दिन पहले ही यानी 9 जुलाई को उन्होंने कहा था कि वे अगले दो सालों में तेलंगाना में एक हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करेंगे. इससे पहले कंपनी ने केरल में 3500 करोड़ के इनवेस्टमेंट का प्लान बनाया था. लेकिन अब कंपनी का इस योजना से पीछे हटना तय माना जा रहा है.
स्थानीय रिपोर्टें ये भी कहती हैं कि काईटैक्स केरल से अपना बिजनेस पूरी तरह कहीं और शिफ्ट कर सकती है. इस बारे में जब मीडिया ने जैकब से सवाल किया तो उन्होंने कहा,
“हम ऐसा तुरंत करने की नहीं सोच रहे हैं. लेकिन हम इस पर विचार करेंगे. फिलहाल हम कहीं और 3500 करोड़ इन्वेस्ट करने का प्लान बना रहे हैं. अगर सब कुछ ठीक रहता है तो ऐसा किया जाएगा.”
साबू की मानें तो कई और राज्य भी चाहते हैं कि काईटैक्स उनके राज्य में इनवेस्ट करे. उनके मुताबिक, निवेश के मामले में अगर तेलंगाना का रेस्पॉन्स अच्छा रहता है तो और भी निवेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात खास तौर पर चाहते हैं कि काईटैक्स उनके यहां निवेश करे. बकौल जैकब, उन्हें अब तक 9 राज्यों से प्रस्ताव मिल चुका है. उन्होंने कहा है कि फिलहाल तेलंगाना में जो निवेश किया जा रहा है वो पहले चरण का निवेश है.
वीडियो- शिक्षा-स्वास्थ्य मामलों में भले केरल आगे हो पर दहेज हत्या और घरेलू हिंसा के मामलों में भी पीछे नहीं!