साल 2020. कोरोना वायरस के नाम रहा. क्रिकेट जगत पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा. ना तो इस साल T20 विश्वकप खेला गया. और न ही एशिया कप और एशेज़ जैसे इवेंट्स हुए.
02 मार्च, 2020 के दिन क्राइस्टचर्च में भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट खेलकर वतन लौटी. आते ही उसे साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज़ खेलनी थी. लेकिन दुनियाभर में कोविड को लेकर शोर मचा और क्रिकेट पर भी ताला लग गया. दक्षिण अफ्रीकी टीम बिना खेले ही वापस चली गई.
भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ दुनियाभर के खिलाड़ी घरों में बंद हो गए और प्रैक्टिस से कोसों दूर हो गए. कोविड में लगे इस ब्रेक का क्रिकेट पर क्या असर पड़ा, उसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं. चार से छह महीने के इस लंबे ब्रेक ने क्रिकेटर्स को फिटनेस और खेल से बहुत दूर कर दिया है. शुरुआत में क्रिकेट जगत की T20 क्रिकेट से वापसी हुई लेकिन असली क्रिकेट जब आया तो टीमें चोटों से परेशान होने लगीं,
कोविड लॉकडाउन के बाद क्रिकेट की वापसी:
कोविड का असर अब भी है लेकिन दुनिया कुछ वक्त के बाद फिर से सामान्य दिशा में बढ़ी और 16 जुलाई से फिर से इंटरनेशनल क्रिकेट की इंग्लैंड से वापसी हुई. इंग्लैंड के साथ वेस्टइंडीज़, आयरलैंड और पाकिस्तान की टीमें सबसे पहले मैदान पर उतर गईं.

19 सितम्बर से IPL शुरू हुआ और भारतीय खिलाड़ी भी लंबे वक्त बात मैदान पर नज़र आए. लेकिन भारतीय खिलाड़ियों का मैदान पर उतरने का इंतज़ार बाकी टीमों से लंबा रहा. टीम इंडिया के खिलाड़ी छह महीने से भी ज़्यादा लंबे गैप के बाद मैदान पर उतरे थे.
IPL में इंजरी:
इतने लंबे ब्रेक का असर खिलाड़ियों की फिटनेस पर भी दिखा. IPL में कई खिलाड़ी चोटिल हो गए. जिनमें रोहित शर्मा, इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और वरुण चक्रवर्ती की चोट भारत के लिए बहुत बड़ी रही. क्योंकि भारतीय टीम को दुबई से सीधे ऑस्ट्रेलिया रवाना होना था. ऐसे में IPL खत्म कर पूरी टीम ऑस्ट्रेलिया गई लेकिन रोहित, भुवनेश्वर, इशांत और वरुण टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया नहीं जा सके. आईपीएल के बाद रोहित शर्मा फिट होकर आखिरी के दो मैचों के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. लेकिन इशांत, भुवनेश्वर और वरुण चक्रवर्ती इंजरी से रिकवर नहीं हो सके.

T20 क्रिकेट में तो फिर भी फिटनेस को लेकर बहुत कुछ नहीं खुला. लेकिन जब कहानी टेस्ट क्रिकेट की तरफ बढ़ी तो असल दिक्कत सामने आ गई. क्योंकि जहां टी20 क्रिकेट तीन घंटे का गेम है. वहीं टेस्ट क्रिकेट में आपको पांच दिन तक अपना जी-जान लगाना होता है. किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी की फिटनेस मापने का असली पैमाना पांच दिन का टेस्ट क्रिकेट ही होता है.
ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट में हुआ असली टेस्टः
ऑस्ट्रेलिया में वनडे और T20 सीरीज़ तक चीज़ें ठीकठाक चलीं. क्योंकि ये खेल शॉर्टर फॉर्मेट का था. लेकिन जैसे ही टेस्ट की तरफ टीम बढ़ी. तो एक एक कर कलई खुलनी शुरू हो गई.
टेस्ट सीरीज़ शुरू होने के साथ ही टीम इंडिया के फील्डिंग कोच आर श्रीधर की कोविड लॉकडाउन के वक्त कही गई बात सही साबित हो रही थी. उन्होंने कहा था,
”शार्प दिमाग को टेस्ट मैच के मोड में आने के लिए कम से कम छह हफ्तों का समय देना पड़ेगा.”
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की सीरीज़ में कोविड काल के बाद भारत का पहला असली टेस्ट होना था. लेकिन इस सीरीज़ में भारत को बड़ा झटका लगा. एक के बाद एक आठ खिलाड़ी सिर्फ तीन टेस्ट मैचों में ही चोटिल होकर या तो बाहर हो गए या बाहर होने की कगार पर खड़े हैं.
उन खिलाड़ियों की लिस्ट जो इस सीरीज़ में फिटनेस के फेर में फंसे:
मोहम्मद शमी: सीरीज़ के पहले टेस्ट में टीम तो हारी ही. लेकिन बल्लेबाज़ी करते वक्त मोहम्मद शमी अपनी कलाई चोटिल करवा बैठे. इसके साथ ही वो पूरी सीरीज़ से बाहर हो गए.

उमेश यादव: अभी सिर्फ शमी गए थे. तो ये उम्मीद थी कि चलो बाकी पेस बोलर्स मोर्चा संभाले हुए हैं. लेकिन सीरीज़ अभी आधी भी नहीं बीती कि मेलबर्न टेस्ट में टीम इंडिया के लिए दूसरी बुरी खबर आ गई. टेस्ट की दूसरी पारी में विकेट लेने के बाद उमेश को पिंडली में चोट लग गई.
इशांत, भुवी ऑस्ट्रेलिया गए नहीं और शमी-उमेश पहले दो मैचों के बाद ही बाहर हो गए. अब टीम के पास बुमराह के साथ मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी और टी नटराजन बचे थे. ये तो अच्छा हुआ कि शॉर्टर फॉर्मेट के बाद बतौर नेट गेंदबाज़ नटराजन को ऑस्ट्रेलिया में ही रोक लिया था. वरना ओवर्स पूरे करने के लाले पड़ जाते.
केएल राहुल: अभी टीम तेज़ गेंदबाज़ों की चोट से उबर ही रही थी कि केएल राहुल को लेकर एक बुरी खबर आ गई. सिडनी टेस्ट से ठीक पहले केएल राहुल भी नेट्स में चोटिल हो गए. राहुल को भी हाथ के अंगूठे और कलाई के पास चोट लगी और चोटिल होकर वो भी वतन लौट आए.

रविन्द्र जडेजा: चोटों से परेशान टीम तीसरा टेस्ट खेलने उतरी. अब हम कोई और चोट अफोर्ड नहीं कर सकते थे. खासकर गेंदबाज़ी में. सिडनी में बेहद करीबी मैच चल रहा था कि तभी पहली पारी में बैटिंग करते वक्त रविन्द्र जडेजा अपना अंगूठा चोटिल करवा बैठे.
पहली पारी में 4 विकेट निकालने वाले जडेजा के अंगूठे की चोट ने टीम इंडिया की मैच और सीरीज़ में मुश्किलें बढ़ा दीं. दूसरी पारी में जडेजा खेलने के लिए तैयार तो ज़रूर हुए. लेकिन इंजेक्शन लेकर. अगर ज़रूरत पड़ती तो वो टीम के लिए खेलने भी आते. लेकिन आगे के लिए अब वो सीरीज़ में मौजूद नहीं रहेंगे.
ऋषभ पंत: बिल्कुल जडेजा जैसी ही कहानी टीम इंडिया के विकेटकीपर ऋषभ पंत के साथ भी हुई. सिडनी टेस्ट की पहली पारी में बैटिंग करते हुए वो अपनी कोहनी में चोट लगवा बैठे. पंत चोट की वजह से सिडनी टेस्ट में कीपिंग भी नहीं कर पाए. हालांकि दूसरी पारी में उन्होंने बल्लेबाज़ी की और अब वो सीरीज़ के आखिरी मैच के लिए भी अवेलेबल हैं.

हनुमा विहारी: चोटिल प्लेयर्स की लिस्ट रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. सिडनी में चोटिल होने का अगला नंबर रहा मैच के हीरो हनुमा विहारी का. विहारी जब मैच के आखिरी दिन बैटिंग के लिए उतरे तो भारत मुश्किल स्थिति में था. विहारी का बैटिंग करना बहुत ज़्यादा ज़रूरी था. विहारी को मैदान पर आते ही हेम्स्ट्रिंग इंजरी हुई और पूरी पारी में वो लंगड़ाते हुए मैदान पर डटे रहे. उन्होंने लगभग चार घंटे तक बल्लेबाज़ी की और भारत के लिए मैच को बचाया.
हनुमा विहारी की चोट बहुत ज़्यादा गंभीर बताई जा रही है और वो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी टेस्ट के साथ-साथ इंग्लैंड सीरीज़ से भी लगभग बाहर हो गए हैं.
मयंक अग्रवाल: टीम इंडिया के ओपनर मयंक अग्रवाल तीसरे टेस्ट में तो नहीं खेले. लेकिन वो प्रेक्टिस के दौरान गेंद को हाथ पर लगवाकर चोटिल हो गए. अभी मयंक की स्कैन रिपोर्ट का इंतज़ार है.
जसप्रीत बुमराह: इतनी लंबी चोट वाले प्लेयर्स की लिस्ट में आखिरी नाम जसप्रीत बुमराह का जुड़ा है. जिनके पेट में खिंचाव हो गया है और वो सीरीज़ के आखिरी टेस्ट में नहीं खेल पाएंगे. बुमराह के लौटने के साथ ही अब टीम के पास सबसे ज़्यादा अनुभव के नाम पर सिर्फ दो टेस्ट खेले मोहम्मद सिराज हैं. उनके अलावा नवदीप सैनी, शार्दुल ठाकुर और टी नटराजन में से किसी गेंदबाज़ के साथ भारत को आखिरी टेस्ट में उतरना पड़ेगा.
टीम में चेतेश्वर पुजारा जैसे ऐसे खिलाड़ी भी मौजूद हैं जो कि कोविड के बाद सीधे टेस्ट सीरीज़ खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. ऐसे में इतने लंबे गैप के बाद पांच दिन का लंबा क्रिकेट खेलना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होता.
भारत की तरह ही इंग्लैंड, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमें भी कोविड के बाद वापसी करते हुए चोटों का शिकार रही हैं.
हाल के दिनों में इतने ज़्यादा प्लेयर्स के चोटिल होने की सबसे बड़ी वजह कोविड की वजह से लंबा ब्रेक रहा है. भारतीय खिलाड़ी कोविड काल के बाद पहली बार इतने लंबे दौरे पर गए हैं. ऐसे में भारतीय टीम भी इस बात को अच्छे से जानती थी कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत को चोटों से जूझना पड़ सकता है. क्योंकि इतने लंबे दौरे पर खिलाड़ियों के चोटिल होने के चांस बढ़ जाते हैं. इस वजह से ही भारत ने पहली बार विदेश के लिए सबसे बड़े खिलाड़ियों के दल को ऑस्ट्रेलिया रवाना किया था. तीन महीने के लंबे दौरे के लिए 32 सदस्यों का दल भेजा गया था.

टीम इंडिया के फिज़ियो नितिन पटेल और टीम मैनेजमेंट इस बात को अच्छे से पहचानते थे कि भारतीय टीम के लिए इतने लंबे गैप के बाद तीन महीने का लंबा दौरा आसान नहीं रहने वाला.
इस वजह से ही भारत एक बड़े दल के साथ ऑस्ट्रेलिया पहुंचा. इतने बड़े दल के बावजूद भारतीय टीम के पास इस समय फाइनल प्लेइंग इलेवन की दिक्कतें भी हैं. लेकिन अजिंक्य रहाणे की टीम को ब्रिस्बेन में खेले जाने वाले आखिरी और सीरीज़ डिसाइडर मैच में एक ऐसी टीमें के साथ ऐसा कारनामा करना होगा जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाए.
ब्रिस्बेन में आखिरी मैच से पहले आ गई ये बुरी खबर?