टीम इंडिया के टेस्ट बल्लेबाज़. टेस्ट बल्लेबाज़ नाम आते ही T20 लवर्स के ज़हन में एक शांत स्वभाव वाला, अग्रेशन से कोसों दूर, सिम्पल लिविंग, सिम्पल स्टाइल, सभ्य, आज्ञाकारी बल्लेबाज़ की छवि आती है. ऐसा बल्लेबाज, जो 54वीं गेंद पर जाकर खाता खोलता है. टेस्ट क्रिकेट में किसी फास्ट बोलर को आते ही सीधे छह रन के लिए नहीं पहुंचाता. शरीर पर गेंदें खा-खाकर उस गेंदबाज़ का हौसला तोड़ता है.
इन तमाम चीजों को हमने हाल में जिनके अंदर सबसे ज्यादा देखा है आज उन्हीं चेतेश्वर पुजारा का हैप्पी बर्थडे है. उनके बड्डे के मौके पर हम आपको पुजारा के क्रिकेट से अलग बहुत सारी इंट्रेस्टिंग बातें बताएंगे. आइये जानते हैं.
# चेतेश्वर नाम का मतलब: पुजारा के नाम का मतलब होता है किंग ऑफ सोल. यानि आत्मा का राजा. जो सिर्फ अपनी सुनता है.
# पुजारा का निकनेम: पुजारा को टीम इंडिया ने पुजी और पुज जैसे निकनेम दिए. टीम के साथियों ने जहां उन्हें पुजी बुलाया. वहीं घर पर उन्हें प्यार से चिंटू निकनेम मिला.

# प्ले-स्टेशन में माहिर: पुजी अपनी बैटिंग को ही सीरियसली नहीं लेते. वो मैदान के बाहर जब टीम मेंबर्स के साथ टाइम पास गेम्स खेल रहे होते हैं, तो भी पूरी शिद्दत के साथ भिड़े रहते हैं. अक्सर बैडमिंटन, टेबल टेनिस और खासकर प्ले-स्टेशन खेलते हुए तो ऐसा ही होता है. पुजी, विराट और शिखर के साथ अकसर प्लेस्टेशन खेलते और हर एक पॉइंट के लिए लड़ते भी हैं.
# ढाई साल के पुजारा की फोटो ने बनाया क्रिकेटर: बिल्कुल सही बात है. जब पुजारा लगभग ढाई-तीन साल के बीच थे. तो उनके पिता अरविंद के भतीजे के एक दोस्त ने बल्ला पकड़कर शॉट खेलते हुए पुजारा की फोटो क्लिक की. पापा ने फोटो देखी और उस तस्वीर में उनका बैलेंस, शॉट एकदम सटीक लगा. बस फिर पापा ने तय कर लिया कि मेरा बेटा क्रिकेटर बनेगा. वैसे ये नज़र एक जौहरी की थी क्योंकि खुद पुजारा के पापा भी सौराष्ट्र के लिए फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेल चुके थे.
# करसन घावरी ने लगाई मुहर: बेटे की इत्ती सही फोटो देखने के बाद पापा पुजारा को ग्राउंड ले जाने लगे. वो पुजारा को रबड़ बॉल से खिलाते. कुछ साल बाद उन्होंने अपने परिचित और क्रिकेटर करसन घावरी से इस बारे में बात की. घावरी ने उनसे पुजारा को बॉम्बे लेकर आने को कहा. बस घावरी ने पुजारा को देखा और काठियावाड़ी अंदाज़ में कहा, हमें इस लड़के पर कड़ी मेहनत करनी चाहिए.
# बचपन में की विकेटकीपिंग: आठ साल की उम्र में जब पुजारा ने क्रिकेट की ट्रेनिंग शुरू की. तो पापा को उनका रबड़ या टेनिस बॉल से कम्पाउंड में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना बिल्कुल भी पसंद नहीं था. वो अक्सर अपनी बालकनी में से बच्चों को खेलते देखते थे. और जब पापा नहीं होते थे तो वो उन बच्चों के साथ खेलने पहुंच जाते. लेकिन वो वहां कीपिंग ही करते थे. जिससे अगर पापा अचानक आ जाएं तो वो ये कह सकें कि मैं तो सिर्फ इन्हें देख रहा हूं.
# किश्तों पर खरीदा बैट: बचपन में पुजारा के घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. उनके पापा एक क्रिकेट बैट खरीदना भी अफोर्ड नहीं कर सकते थे. लेकिन उनकी मां ने उनके लिए राजकोट की एक स्पोर्ट्स शॉप से 1500 रुपये का बैट खरीदा. वो भी किस्तों पर. बाद में पुजारा की मम्मी ने अपने पास बचे हुए पैसों से उस बैट की इंस्टॉलमेंट्स दीं.
# घर पर बने पैड पहनकर खेला क्रिकेट: जब पुजारा आठ-नौ साल के थे तो पुजारा के साइज़ के पैड नहीं मिलते थे. जो भी पैड उन्होंने देखे वो बड़े थे. जिसमें उनका फुटवर्क सही से नहीं चल पा रहा था. ऐसे में उनकी मां ने उनके लिए घर में पैड बनाए.
# इंजरी से बचने के लिए नहीं फोड़े पटाखे: कित्ता अजीब लगता है ना सुनकर. पटाखों से इंजरी? लेकिन ऐसा होता था. जब पुजारा 12-13 साल के थे तो बाकी बच्चों की तरह उनका भी मन होता था पतंग उड़ाने का, पटाखे फोड़ने का. लेकिन पापा उन्हें ऐसा करने से रोकते थे. क्योंकि वो क्रिकेट के मैदान पर ट्रेनिंग कर रहे थे. और अगर ऐसी किसी एक्टिविटी में उन्हें चोट लगी तो उनके क्रिकेट करियर का मामला बिगड़ सकता था. हालांकि मां कभी-कभी चोरी-छुपे पुजारा की इसमें हेल्प कर दिया करती थीं.
# अंधविश्वास नहीं: सचिन सर मानते थे कि पहले बाएं पैर में पैड पहना जाए, युवराज और उनकी जर्सी का नंबर, गांगुली अपनी पॉकेट में गुरूजी की तस्वीर रखते थे. लेकिन पुज्जी भइया का इन सब में विश्वास नहीं है. वो अपनी काबिलियत और मेहनत से बढ़कर कुछ नहीं मानते.
# सोयाबीन लड्डू: एक बार पुजारा ने ये भी बताया कि हफ्ते में एक दिन जब उनका चीट डे होता है तो वो सोयाबीन के लड्डू खाते हैं. इतना ही नहीं वो ड्रेसिंग रूम में भी वो लड्डू ले जाते थे. जिन्हें विराट और टीम के बाकी साथी भी खाते थे.
# पुजारा और पप्पा के बीच की कड़ी पूजा: चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा हमेशा पुजारा और उनके पापा के बीच कड़ी रही हैं. जब भी पुजारा के पापा को पुजारा की बैटिंग में, उनकी तकनीक में बदलाव करवाना होता था. तो वो पूजा से ये मैसेज पुज्जी तक पहुंचवाते थे. हालांकि पुजारा ऐसी किसी भी सलाह को मानने में विश्वास नहीं रखते थे. वो अपनी पत्नी को कहते भी थे कि देखो मैं तुमसे कोई भी क्रिकेटिंग एडवाइज नहीं लूंगा.

# फ्री में क्रिकेट की कोचिंग: अब पुजारा, राजकोट में रीनाबेन अरविंदभाई स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स नाम से एक क्रिकेट अकैडमी चलाते हैं. जिसमें वो 40-50 बच्चों को फ्री में क्रिकेट सिखाते हैं.
आज भले ही आज पुजारा की फॉर्म उनका साथ ना दे रही हो, लोग उन्हें टीम से बाहर करने की बातें कर रहे हों. लेकिन हमें पूरी उम्मीद है कि पुजारा लौटेंगे और फिर से हमें कई मैच जिताएंगे. लल्लनटॉप स्पोर्ट्स की तरफ से चेतेश्वर पुजारा को बड्डे की शुभकामनाएं.
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