स्मार्टफोन के साथ चार्जर आना तो अभी बंद हुआ है, मतलब ज्यादातर में तो नहीं ही आता है. लेकिन एक चीज तो पहले से ही नहीं आती है. स्क्रीनगार्ड या स्क्रीन प्रोटेक्शन. चार्जर के बिना तो काम चल भी सकता है. वो पहले से आपके पास हो सकता है या फिर दोस्त से मांगकर काम चलाया जा सकता है. मगर स्क्रीनगार्ड (Screen guard for phone) के बिना काम नहीं चलता. फोन बनाने वाली कंपनी भले कछु कहे. मसलन, स्क्रीन पर गोरिल्ला बैठा है या सिरामिक शील्ड लगी है. लेकिन फोन हाथ में आते ही स्क्रीन टूटने को लेकर धुकधुकी होती ही है.
फोन में प्राइवेसी और अनब्रेकेबल स्क्रीनगार्ड लगाया है? बहुत बड़ी गलती की
नया फोन खरीदते ही हम लगवाते हैं एक स्क्रीन गार्ड. मगर कौन सा लगवाते (Screen guard for phone) हैं, वो समझना जरूरी है. क्योंकि जो आपने गलत गार्ड लगवाया तो वो ना तो स्क्रीन गार्ड करने वाला है और ना आपकी निजी जानकारी बचाने वाला है. सिर्फ नुकसान करेगा. दो किस्म के तो बिल्कुल नहीं लगाने हैं.

फिर हम लगवाते हैं एक स्क्रीनगार्ड. मगर कौन सा लगवाते हैं, वो समझना जरूरी है. क्योंकि जो आपने गलत गार्ड लगवाया तो वो ना तो स्क्रीनगार्ड करने वाला है और ना आपकी निजी जानकारी बचाने वाला है. सिर्फ नुकसान करेगा. दो किस्म के तो बिल्कुल ही नहीं लगाने हैं.
प्राइवेसी स्क्रीनगार्डये बड़े स्पेशल किस्म के स्क्रीनगार्ड होते हैं. मतलब दिखते तो नॉर्मल गार्ड जैसे हैं, मगर इनके किनारे पर एज होते हैं. नॉर्मल स्क्रीनगार्ड की तुलना में थोड़े गहरे रंग के भी होते हैं. इसमें सिर्फ फोन के सामने से ही स्क्रीन नजर आती है. ऐसा होने की वजह से आसपास में अगर कोई बैठा हो या फिर कोई शरारती बच्चा फोन में ढूंकने की कोशिश करे, तो उसे कुछ नहीं दिखता.

कमाल है भाई, लेकिन यही फीचर फोन की बैटरी को निचोड़ देता है. गहरे रंग की वजह से इसमें साफ नहीं दिखता तो मजबूरन ब्राइटनेस को बढ़ाना पड़ता है. इसका सीधा असर बैटरी पर पड़ता है. जल्द से फुर्र भी हो जाती है और कुल जमा भी कम ही चलती है. फोन गर्म होता है सो अलग. इसलिए ऐसे प्राइवेसी स्क्रीनगार्ड से दूरी भली. रही बात महिला मित्र या पुरुष मित्र से सीक्रेट चैट की तो भईया और दीदी, थोड़ा कोने में हो लो. वॉयस मैसेज भेज दो या फिर ईमेल कर लो.
अनब्रेकेबल स्क्रीनगार्डये भाई तो बाहुबली टाइप हैं. मतलब इनका प्रचार ऐसे किया जाता है कि ये टूटता ही नहीं. बाकायदा हथोड़े से पीटकर और ऊंचाई से पटककर दिखाया भी जाता है. ये होते भी ऐसे ही हैं. इनके आगे जितने H लगे होंगे उतने मजबूत होंगे. मतलब 6H, 7H, 8H वगैरा. H का मतलब हार्ड से है. मगर यही सबसे बड़ा दुख है. अब ये तो नहीं टूटेंगे तो फिर क्या टूटेगा, फोन का डिस्प्ले. अगर जो नहीं टूटा तो खराब तो जरूर होगा. स्क्रीनगार्ड का काम है छोटी-मोटी सेफ़्टी. अगर स्क्रीन पर ज्यादा प्रेशर पड़े तो टूट जाओ. मगर ये तो टूटेंगे नहीं. स्क्रीनगार्ड ना हुए नवाज भाई हो गए. जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं…

तो इनसे भी बचिए और साथ में सोलर लाइट वाले स्क्रीनगार्ड से भी. इसमें इस्तेमाल होने वाला लिक्विड जो फोन के पोर्ट में गया तो हो गया भंडारा. कंपनियों ने भी इसको लेकर चेतावनी दी है. इसलिए इनके बारे में डिटेल में बात नहीं की. वैसे भी नॉर्मल रबर बेस स्क्रीनगार्ड बहुत है. इससे आपको फोन के टच का भी असल मजा मिलता रहेगा. आजकल कई कंपनियां तो खुद अपने सर्विस सेंटर पर फ्री में स्क्रीनगार्ड लगाकर देती हैं.
वो भी ठीक. हैप्पी टचिंग.
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